चीन के युवा संगीतकार कू सू अच्छे गायक ही नहीं बेहतरीन वादक भी हैं। उनकी वादन तकनीक और संगीत प्रतिभा ने श्रोताओं-दर्शकों को संगीत की सुन्दरता का अनुभव कराया है।
संगीत---वह पकंग
यह है कू सू द्वारा स्वर्चित"वह पतंग" नामक गीत । गीत की धुन तैयार करने के लिए उन्होंने ब्रिटिश रॉक शैली के साथ लातिन संगीत की रोमानियत का इस्तेमाल किया । कू सू की जोशीली गायन शैली को संगीत विशेषज्ञों की मान्यता भी हासिल हुई।
24 वर्षीय कू सू का जन्म चीन की मातृ नदी मानी जाने वाली पीली नदी के तट पर स्थित कान सू प्रांत की राजधानी लान चो में हुआ। रॉक संगीत के शौकीन अपने बड़े भाई से असर ले कर वे भी तेरह वर्ष की उम्र में रॉक के दीवाने बन गये और अपने बड़े भाई से ड्रम और गिटार बजाना सीखने लगे। कू सू ने संगीत रचना भी इसी समय शुरू किया। इसके बारे में कू सू ने कहा
"मैं गिटार सीखने के तीन महीने बाद ही धुनें लिखने लगा था। तब की मेरी रचनाएं परिपक्व नहीं थीं। आज यह याद करते हुए मुझे लगता है कि उस समय मुझ में संगीत रचना की जिज्ञासा भऱ थी। इसीलिए अच्छी हो, या बुरी मैं कोई न कोई धुन रचता ही रहा।"
हाई स्कूल में पढ़ने के दौरान कू सू ने अनेक गीत रचे और वर्ष 1999 में लान चो विश्वविद्यालय में प्रवेश करने पर अपने संगीतप्रेमी साथियों के साथ मिल कर एक संगीत दल की स्थापना की जो विशेष तौर पर रॉक व ब्ल्यूज गाता था। कू सू संगीत दल में गिटार बजाने के साथ धुनें भी लिखते थे। संगीत दल विश्वविद्यालय में बहुत सफल रहा। इस की याद करते हुए कू सू ने बताया
"विश्वविद्यालय के प्रथम वर्ष हम ने एक प्रस्तुति दी, जो बहुत सफल रही। परिसर का संगीतागार भरा हुआ था। देर से आने वालों के लिए उस में प्रवेश पाना मुश्किल रहा। शायद वह हमारे संगीत दल का सब से अच्छा समय था। संगीत दल के सभी सदस्यों के बीच तब बहुत अच्छा सहयोग था।"
लेकिन कुछ समय बाद संगीत दल के सदस्य बिखर गए। कू सू को विविश होकर कंप्यूटर पर संगीत रचना पड़ा। अवकाश के समय उन्होंने कंप्यूटर पर संगीत रचने की तकनीक सीखी और वीडियो फिल्मों के लिए धुनें रचने की कोशिश की। कू सू ने इस दौरान अपनी कुछ धुनें अन्य गायक-गायिकाओं को भी दीं। जब उन्हें लगा कि वे उन की धुनों को सही तरीके से प्रतिबिंबित नहीं कर पा रहे हैं तो वे स्वरचित गीत खुद गाने लगे। दिन में कू सू विश्वविद्यालय में पढ़ते और रात को शहर के विभिन्न संगीतकक्षों में गाते। वे अक्सर बहुत थक जाते थे, पर संगीत के साथ रहना उन्हें बहुत अच्छा लगता था।
कू सू का संगीत जीवन अन्य संगीतकारों की तरह वादक के रूप में शुरू हुआ। उन्होंने संगीत दल की स्थापना की और विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद पेशेवर रिकोर्डिस्ट व संगीत संपादक बने। इस दौरान उन्होंने अपने संगीत क्षेत्र को विस्तार दिया और धीरे-धीरे एक ऐसे संगीतकार बने, जो गीत गाने, धुन रचने तथा वाद्य बजाने में निपुण था।
वर्ष 2004 में कू सू अपनी प्रतिभा के विकास के विचार से राजधानी पेइचिंग पहुंचे। उनकी संगीत प्रतिभा को पेइचिंग के एक मशहूर संगीतकार क्वो छ्वान लिन ने पहचाना। श्री क्वो ने कू सू के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये। इस तरह कू सू ने राजधानी में संगीत के क्षेत्र में कदम रखा। संगीतकार क्वो छ्वान लिन ने इस बारे में कहा
"पहली बार कू सू को सुनते समय मुझे लगा कि वह संगीत को गहराई से समझता है और उसकी अपनी गायन शैली भी है। कू सू की गिटार बजाने, धुन रचने और गीत गाने की निपुणता देख कर मुझे लगा कि वह एक मूल्यवान संगीत प्रतिभा है।"
कू सू की अपनी विशेष संगीत शैली है । उन की रचनाओं में ब्रिटिश रॉक संगीत, ब्ल्यूज तथा कंट्री म्यूजिक के साथ जातीय संगीत भी शामिल है। यों कू सू का विचार है कि उनकी संगीत रचनाओं में रॉक संगीत के तत्व ज्यादा हैं। उन्होंने कहा
"मैं तरह-तरह का संगीत पसंद करता हूँ । मेरा विचार है कि अगर आप कोशिश करें, तो किसी भी शैली का संगीत मधुर बन सकता है।"
संगीत के प्रति कू सू के अपने विचार हैं। उनका मानना है कि हर युग की अपनी सांस्कृतिक विशेषता होती है। हर युग के अपने प्रतिनिधि संगीतकार होते हैं। अगर कोई संगीतकार पॉप संगीत के पीछे छिपे सांस्कृतिक परिवर्तन को नहीं समझ पाता, तो उसे समाज की मुख्यधारा के बाहर खड़ा होना पड़ता है।
हाल में कू सू ने "मैं कौन हूँ" नाम से अपना प्रथम एलबम जारी किया है। इस के सभी गीत उन्होंने खुद रचे हैं। कू सू की आशा है कि उनके एलबम के सभी गीत संगीतप्रेमियों को हवा का एक मीठा झोंका देंमे और इस से वे आनंद महसूस करेंगे।
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