सिन्चांग वेवूव स्वायत्त प्रदेश में वेवूव जाति में प्राचीन काल से वाणिज्य व व्यापार की परम्परा चलती आयी है । स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ऊरूमूची में एक जातीय विशेषता वाला बाजार बहुच मशहूर है , जिस का नाम अताओछो जातीय बाजार , जहं बड़ी संख्या में वेवूर व्यापारियों की दुकानें खुली हैं । आज के इस कार्यक्रम में उन की दुकान देखें । इस से पहले आप याद रखें कि इस कार्यक्रम में पूछा जाने वाला सवाल , वह है अताओछो जातीय बाजार कितना साल पुराना है ।
अताओछो जातीय बाजार सिन्चांग की राजधानी ऊरूमूची के दक्षिण भाग में स्थित है , जहां बड़ी संस्ख्या में दुकानें खुली हैं , आज से एक सौ साल पहले वेवूर लोगों ने यहां दुकान खोलना शुरू किया था ,जो खाद्य पदार्थ और वेवूर जाति की छोटी मोटी शिल्प चीजें बेचते थे । सौ सालों के कालांतर में इस जगह का कायापलट हो गया , अब यहां सात मंजिला एक लाख वर्गमीटर फर्शी क्षेत्रफल वाला एक विशाल तिजारती इमारत खड़ी नजर आयी । इमारत में एयरकंडेशन और लिफ्ट जैसी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध है और दुकानदार हमेशा के लिए गरमी , सर्दी और हवा बारिश से नजात हो गए हैं ।
इमीत .हसिम अताओछो बाजार का एक वेवूर दुकानदार है , वे रोज सुबह सुबह अपनी दुकान पर व्यापार करने आते है , इन का घर बाजार से दूर नहीं है , इसलिए वे रोज पैदल से यहां आते हैं , उन्हें यहां दुकान खोले हुए दर्जन साल हो गए है ।
अताओछो बाजार में इमीत .हसिम की दुकान तीस वर्ग मीटर बड़ी है , जो इस बाजार में मझोला वाली दुकान मानी जाती है । उन की दुकान में जातीय शैली के रेशमी दुपट्टा , शाल और अन्य किस्मों की चीजें बिकती हैं , जो देखने में रंगबिरंगे और मनमोहक लगती है। उन की वार्षिक इतनी ज्यादा है , जिस से देय आयकर ही एक लाख य्वान तक जा पहुंची है । उन्हों ने संवाददाता से कहाः
मैं बीस साल की उम्र में अपनी जन्म भूमि काशिगर से ऊरूमूची आया था , पहले एक रेस्त्रां में नौकरी करता था । पैसा कमाने के बाद मैं ने खुद एक बाजार में एक स्टॉल ठेके पर ले लिया और जातीय शिल्प चीजें बेचने का काम शुरू किया । वर्ष 1990 में मैं अताओछो जातीय बाजार में स्थानांतरित हुआ और जातीय आभूषण , कंबल , दरी , वेवूर जातीय टोपी , छुरी तथा चाबूक बेचता हूं ।
अताओछो जातीय बाजार अपने अच्छे भौगोलिक स्थान और अनोखी जातीय शिल्प चीजों के चलते दूर निकट बहुत मशहूर है , देश के दूसरे स्थानों से बड़ी संख्या में लोग दूर दूर से सिन्चांग की विभिन्न अल्प संख्यक जातियों की शिल्प चीजें खरीदने आते हैं । खास कर हर साल के गर्मियों और शरद के दिनों में बजार का सौदा बहुत अच्छा है ।
हमारे संवाददता के साथ साक्षात्कार होने के बीच इमीत. हसिम की दुकान में सिन्चांग से बाहरी स्थान से आए एक ग्राहक दाखिल हुआ , ग्राहक और इमीत दुकान के कर्मचारी के बीच एक कंबल पर मोलतोल चला , अंत में सौदा दो सौ य्वान पर पक्का हुआ । ग्राहक बहुत खुश हुआ , क्यों कि उस ने दुकान में सस्ता दाम पर एक मनपसंद अच्छा माल खरीदा है । अताओछो बाजार में खरीद फरोख्त के लिए मोलचाल करने की खास विशेष क्षमता है , ग्राहक और दुकानदार दोनों के लिए संतोषजनक सौदा तय करने का कौशल सीखने में कई साल का समय लगता है ।
अताओछो जातीय बाजार में बड़ी संख्या में हान जाति के लोग चीजें खरीदने आते हैं , इसलिए हान जाती की भाषा जानना जरूरी है । लेकिन इमीत .हसिम यहां बीस साल तक व्यापार करने पर भी हान भाषा टूटी फूटी बोल सकता है । उन्हें गहरा अनुभव है कि ग्राहकों के साथ सौदा करने के लिए हान भाषा सीखना बहुत जरूरी है , इसलिए वे अवकाश समय लगन से हान भाषा सीखते हैं ।
श्री जुमाहुन.तोहुत को अताओछो बाजार में दुखान खोले दस से अधिक साल हो गया । उन की दुकान में जेड , कीमती पत्थर तथा शिल्प की पर्यटन वस्तुएं बिकती हैं। जुमाहुन तोहुत बचपन से ही ऊरूमूची में रहते थे और हान भाषी स्कूल में पढ़ भी चुके थे , इसलिए वह धारावाहक हान भाषा बोलते हैं । इन दिनों पर्यटन का मंदी समय है , जामुहुन का व्यापार भी ज्यादा अच्छा नहीं है , पर वे बड़े आशावान दिखते है। वे हान भाषा में बोलेः
मुझे मालूम है कि यह समय पर्यटन के लिए मंदी का समय है , यह स्वाभाविक है कि इस समय व्यापार कम होता है । फिर भी इधर के सालों में पर्यटन के तेज विकास से जाड़ों के दिन भी पर्यटक पहले से अधिक आते हैं और हर रोज पर्यटन की चीजों का सौदा होता है ।
जामुहुन ने बाजार में एक रेस्ट्रां भी खोला है , उन की पत्नी ने निकट पर एक स्टॉल खोला है , दोनों आसपास अपने अपने व्यापार में लगे रहते हैं , केवल रात में घर वापस लौटते हैं , जीवन साधारण भी है और भरिपूर्ण भी ।
सौदे से अवकाश समय जामुहुन तोहुत अकसर पास के वाद्य स्टॉल पर वेवूर जाति का वाद्य रवाफ उठा कर मुक्त कंठ में गाना गाते हैं । कभी कभी अन्य वेवूर दुकानदार भी उन का साथ देते हैं , रवाफ और ढोलक की ओजस्वी ध्वनि से वेवूर जाति का उत्साहपूर्ण और आशावान स्वभाव व्यक्त हुआ है ।
अताओछो बाजार शुरू शुरू में सड़कों के दोनों किनारों पर कायम स्टॉलों के रूप में बना था ,वर्षां से लगातार विकसित हो कर अब एक विशाल आधुनिक वाणिज्य इमारत बन गया , बाजार के व्यापार वातावरण भी बहुत सुधर गए , खरीद फरोख्त की स्थिति बहुत सुविधापूर्ण हो गयी , बाजार इमरात में दुकानों की संख्या भी पहले से कहीं अधिक बढ़ गयी । जामुहन ने संवाददाता से कहा कि अब सिन्चांग की सभी जातियों के व्यापारी यहां की स्थिति पसंद करते हैं , उन के बीच रिश्ता भी बहुत अच्छा बनता है । उन्हों ने वेवूर भाषा में कहाः
बाजार के आरंभिक साल में यहां मुख्यतः वेवूर लोग व्यापार करते थे , यहां इस आधुनिक बाजार इमारत के निर्माण के बाद सिन्चांग की अन्य जातियों , हान , ह्वी , कजाख आदि के लोग भी व्यापार करने आए हैं , हमारे बीच बहुत अच्छा रिश्ता कायम हुआ है और एक दूसरे की देखभाल भी करते हैं ।
सुश्री तुली की दुकान जामुहुन की दुकान से लगी हुई है , वे हान जाति की हैं । उन्हों ने एक चीनी कहावक कह कर पड़ोसी दुकानदारों के संबंध का यो वर्णन किया कि दूर के रिश्तेदार निकटस्थ पड़ोसी से कम फायदामंद साबित होता है । वे कहती हैः
अल्प संख्यक जाति हान जाति से अलग नहीं हो सकती , साथ ही हान जाति भी अल्पसंख्यक जातियों से अलग नहीं हो सकती । यह सर्वविदित तथ्य है । हमारे आसपास की दुकान सभी वेवूर जाति की हैं , मेरा और उन के बीच का संबंध बेहतर है ।
शाम के आठ बजे , अंधेरा छा पड़ा , बाजार इमारत की शीशे वाली दरवाजे से सड़कों पर जमगती निओन लाइट , आती जाती गाड़ियों की लहर तथा पैदल चल रहे राहियों की भीड़ दिखाई पड़ी , बाजार में दुकान भी बन्द हो गई , जामुहुन तोहट ने अपनी पत्नी को तेलीफोन कर साथ साथ घर लौटने को कहा , पत्नी के आने के इंतजार की फुरसत में उन्हों ने संवाददाता के साथ अपनी भावी योजना बतायीः
शुरू शुरू में मैं ने केवल जीवन यापन के लिए व्यापार करना तय किया था , लेकिन अब मेरा जीवन बहुत सुविधापूर्ण हो गया और मेरा व्यापार भी विकसित हो गया । अब मैं अपने व्यापार का और बड़ा विकास करना चाहता हूं , मैं देश के भीतरी इलाके , यहां तक विदेश में भी व्यापार करने जाऊंगा ।
|