दोस्तो , शायद आप को याद हुआ होगा कि चीन का भ्रमण कार्यक्रम में हम मध्य उत्तर चीन में स्थित शानशी प्रांत की राजधानी थाईय्वान का दौरा कर चुके हैं । वहां के प्राकृतिक सौंदर्य , चिन मंदिर में सुरक्षित बेमिसाल प्राचीन ऐतिहासिक अवशेषों और कल कल कर बहते झरने के पीछे मर्मस्पर्शी किम्वदंती ने आप पर छाप छोड़ी होगी । तो आज के इसी चीन का भ्रमण कार्यक्रम में हम आप के साथ शानसी प्रांत के स्थानीय विशेषता वाले खानदानी चार दीवारी आंगन देखने जायेंगे । शानसी प्रांत में कुछ प्रसिद्ध खानदानी चार दीवारी आंगनों ने अपनी विशेष पहचान बना ली है । वे अधिकतर चीन के मिंग व छिंग राजवंश कालों में निर्मित हुए हैं , पिछले कई सौ वर्षों में वर्षा और हवाओं की मार खाने पर भी आज वे ज्यूं का त्यूं खड़े हुए हैं ।
शानसी प्रांत के मध्य भाग में स्थित छाओ खानदानी प्रागण उन में से एक माना जाता है । छाओ खानदानी प्रागण की ऊंची मोटी बाह्य चार दीवार भूरे रंग के पत्थरों से बनायी गयी है ,अंदर काले रंग के अंगिनत छोटे बड़े मकान बड़े सुव्यवस्थित रूप से झांकते हैं । प्रागण में कदम रखते ही एक 80 मीटर से अधिक लम्बा सीधा रास्ता नजर आता है , पत्थरों से बने इस सीधे लम्बे रास्ते ने इस प्रागण को दक्षिण व उत्तर दोनों भागों में बांट दिया है , जबकि इस सीधे लम्बे रास्ते के उस छोर पर अपने पूर्वजों की पूजा करने वाले विशेष मकान स्थापित हुआ है , जो प्रागण के मुख्य द्वार के आमने सामने दिखाई देता है । इस प्रागण के दक्षिण व उत्तर दोनों भाग छै भिन्न भिन्न रूपों वाले आंगनों से गठित हैं , उस का कुल क्षेत्रफल नौ हजार वर्गमीटर विशाल है । दक्षिण पश्चिमी चीन के क्वे चाओ प्रांत से आये पर्यटक यांग क्वांग ने भावावेश में आकर कहा कि मैं ने उत्तरी चीन में अपनी आंखों से पहली बार इतना भव्यदार खानदानी प्रागण देखा है । सौंदर्य की दृष्टि से देखा जाये , इन मकानों के रंगों का प्रयोग बहुत सामंजस्यपूर्ण है , भूरे रंग के बीच थोड़ा बहुत लाल व ब्लैक रंग का प्रयोग आधुनिक लोगों की सौंदर्य दृष्टि के अनुरूप है ।
इस प्रागण की डिजाइन भी अपने ढंग की है , समूचे प्रागण की वास्तुशैली और रंगों का प्रयोग देखने में बहुत अच्छा लगता है । जी हां , छाओ खानदानी प्रागण की डिजाइन बहुत अनौखा है । इस प्रागण के सब से पुराने आंगन को मिसाल ले लीजिये , आंगन के गेट के पास घोड़े बांधने का खंभा , घोड़े पर चढ़ने का पत्थर खड़ा किया गया है , साथ ही रथ और पालकी के आने जाने की सुविधा का बंदोबस्त भी किया गया है । मुख्य द्वार में सूक्ष्म रूप से तराशी गयी लकड़ियों से निर्मित मंडप खड़ा हुआ है , फिर उस के सामने पत्थरों से बनी दो मीटर ऊंची दीवार खड़ी हुई है , यह दीवार विशेष तौर पर भूतों व राक्षेसों से बचने के लिये तैयार हुई है । दीवार पर खुशहाली , सुखी और दीर्घायु देवताओं की जीती जागती आकृतियां चित्रित हुई हैं । आंगन के पूर्वी व पश्चिमी दोनों ओर नौकरों व नौकरानियों के मकान नजर आते हैं । सुंदर डिजाइन वाले मंडप से होकर प्रागण के पिछले भाग पहुंचते ही तो बहुत आलीशान ऊंचे मकान देखने को मिलते है , इस घर के मालिक इन ही मकानों में रहते थे । इस प्रागण में मकानों के समुचित बंदोबस्त , हरेक पत्थर , खपरैल और लकड़ी से तत्काल के भवन निर्माताओं की असाधारण वास्तुकलाओं की अभिव्यक्ति हुई है । भवन निर्माण के अनुसंधानकर्ता ऊ युन ल्यांग का मानना है कि छाओ खानदानी प्रागण उत्तरी चीन के पुराने ढंग के चार दीवारी प्रागणों की आदर्श मिसाल है । उन का कहना है कि छाओ खानदानी प्रागण के निर्माण में प्रमुख रूप से लकड़ियों और पत्थरों का प्रयोग किया गया है , साथ ही तराशे गये पत्थरों को सजावट के रूप में दीवारों व मकानों के छज्जों आदि जगहों पर लगाये जाने से बड़ा सूंदर लगता है ।
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