प्रिय दोस्तो , शायद आप ने चीन के मकाओ का नाम कभी सुना होगा , पर हो सकता है कि आप इस क्षेत्र के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं जानते । आज के चीन का भ्रमण कार्यक्रम में हम आप के साथ मकाओ का दौरा करने जा रहे हैं ।
मकाओ दक्षिण चीन के मोती नदी डेल्टे में स्थित एक बहुत रमणीक समुद्रतटीय शहर के रूप में जाना जाता है । सिर्फ 20 वर्गकिलोमीटर क्षेत्रफल वाले मकाओ शहर ने पूर्वी व पश्चिमी सांस्कृतिक शैलियों के मिश्रण से अपनी विशेष पहचान बना ली है । मकाओ के बड़ी सड़कों या छोटी गलियों में स्थित चर्चों , मंदिरों , पुरानी छोटी दुकानों या आधुनिक डिपार्टमेंट स्टोरों और रेस्ट्राओं को देखने से आप को विविधतापूर्ण वास्तुशैलियों , भिन्न भिन्न धार्मिक प्रभावितों और अलग अलग आहार आदतों से युक्त सामंजस्यपूर्ण समाज का आभास दिया जा सकता है ।
मकाओ पहले मछुवाओं का एक छोटा गांव था , मकाओ का यह नाम स्थानीय मछुवाओं की एक बहुत पवित्र व आदरणीय माचू देवी के नाम से आया है । कहा जाता है कि कई सौ सालों से पहले एक मछुआ जहाज शांत समुद्र में यात्रा कर रहा था कि अचानक आकाश पर काले बादल मंडराने लगे और फिर तेज तूफान और मुस्लाधार वर्षा का सामना करना लगा , जहाज पर मछुवाओं की जान खतरे में पड़ गयी । ऐसी नाजुक घड़ी पर एक सुंदर युवती अचानक जहाज पर आ पहुंची और तूफान बंद करने की आज्ञा दी । रोचक बात है कि उस के कहने के तुरंत बाद मुस्लाधार वर्षा और तेज तूफान एकदम बंद हो गयीं और जहाज सही सलामत बंदरगाह वापस लौट गया । जहाज से उतरने के बाद यह युवती एक शब्द तक भी नहीं बोली और सीधे तौर पर माकशान नामक एक क्षेत्र की ओर चल पड़ी , वहां पहुंचने के बाद इस युवती ने तुरंत ही एक काले धुए का रूप धारणा कर लिया । इस के बाद स्थानीय लोगों ने उसी स्थान पर माक मंदिर का निर्माण कर लिया , ताकि मछुवाओं के लिये शांति और शकुन लाने वाली युवती की पूजा की जा सके । 16वीं शताब्दी के मध्य काल में प्रथम खेप के पुर्तगालियों ने मकाओ पहुंचने के बाद स्थानीय लोगों से इसी अंजान जगह का नाम पूछा , तो स्थानीय लोगों ने गलतफहमी से माक मंदिर का नाम बता दिया । फिर पुर्तगालियों ने स्थानीय उच्चरण के अनुसार मकाओ का नाम दे डाला ।
माचू देवी मकाओ वासियों के हृदय में विनम्रता , दयालु , मुहब्बत , शांति और सुखचैन का प्रतीक है । इसलिये माचू मंदिर में साल भर पूजा करने वालों की तांते लगी रहती है और मधुबत्तियों की धुएं व्याप्त रही है , खासकर छुट्टियों या पर्वों के उपलक्ष में यात्रा और पूजा करने वालों की भीड़ और ज्यादा नजर आती है , कभी कभार इस मंदिर में लोग इतने अधिक हैं कि तिल रखने की जगह भी नसीब नहीं है । इस का प्रमुख कारण है कि माचू देवी पर विश्वास करने वाले लोग जब मकाओ आते हैं , तो बे अवश्य ही पूजा प्रार्थना के लिये माचू मंदिर जाते हैं । मध्य चीन के हू पेह प्रांत से आयी पर्यटक सूश्री चाओ लान ने संवाददाता के साथ बातचीत में कहा कि माचू मंदिर का नाम मैं ने बहुत पहले ही सुना है , हां जी , यह भी जानती हूं कि यह मंदिर मछुवाओं की सुरक्षा के लिये स्थापित हुआ है , इसलिये मकाओ आने के बाद मैं विशेष तौर इस मंदिर के दर्शन के लिये आयी ।
मकाओ चीनी परम्परागत सांस्कृतिक विशेषताओं से युक्त शहर ही नहीं , विदेशी शैलियों से भी जाना जाता है । पिछले चार सौ सालों के अधिक समय में पूर्वी व पश्चिमी संस्कृतियों के संगम से अनेक सुप्रसिद्ध सांस्कृतिक अवशेष छोड़े गये हैं । जर्मनी से आयी पर्यटक सुश्री उटे मेस्टर ने मकाओ की चर्चा में कहा कि मुझे मकाओ बहुत पसंद है , यह एक अनौखा जगह है , जहां पूर्वी विशेषताएं होने के साथ साथ बहुत सी पश्चिमी विशेषताएं भी देखने को मिलती हैं ।
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