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चीन की अल्पसंख्यक जाति

विज्ञान, शिक्षा व स्वास्थ्य

सांस्कृतिक जीवन
(GMT+08:00) 2005-04-21 08:43:52    
सिन्चांग के प्रसिद्ध चिकित्सा प्रतिभा

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फिलहाल चीन की अल्पसंख्यक जाति कार्यक्रम के अंतर्गत चीन के सिनचांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश के बारे में एक विशेष कार्यक्रम सिन्चांग का दौरा चल रहा है । अब प्रस्तुत है सिन्चांग का दौरा यह कार्यक्रम ।

उत्तर पश्चिम चीन के सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश में बड़ी संख्या में ऐसे लोग उभरे हैं , जिन्हों ने देश के भीतर चिकित्सा शास्त्र पढ़ने के बाद विदेश में जार कर आगे अध्ययन भी किया और समुन्न आधुनिक चिकित्सा ज्ञान से सिन्चांग में नया वैज्ञानिक अनुसंधन शुरू किया और सिन्चांग के चिकित्सा स्तर को विश्व के उन्नत चिकित्सा स्तर के साथ नजदीक लाने में बड़ा योगदान किया । सिन्चांग मेडिकल युनिवर्सिटी का अधीनस्थ प्रथम टीचिंग अस्पता ऐसा एक संस्था है , जहां बहुत से विदेश में पढ़ कर लौटे प्रतिभाशाली चिकित्सक कार्यरत हैं , जिन्हों ने अस्पताल के चिकित्सा स्तर को विश्व के समुन्नत स्तर पर पहुंचाने में बड़ा योगदान किया है ।

वर्ष 2004 के सितम्बर माह के एक दिन , चीन के उत्तर पश्चिम भाग का प्रथम यकृत प्रतिरोपन आपरेशन सिन्चांग के मेडिकल युनिवर्सीटी के प्रथम टीचिंग अस्पताल में सफलतापूर्वक किया गया । आपरेशन के रोगी सिन्चांग के आकसू क्षेत्र से आए वेवूर जाति के ग्रामीण भाई बहन थे ,दोनों भाई बहन की उम्र छोटी थी , इसलिए उन पर जिगर प्रतिरोपन का आपरेशन काफी मुश्किल माना जाता था । लेकिन विभिन्न पक्षों की प्रबल सहायता में आपरेशन अंत में कामयाब हो गया । उस की माता जी आईश्यानमू .अकमू ने इस की चर्चा में बड़ी कृतज्ञ दिखायीः

शुरू शुरू में मैं अपने दो छोटे बच्चों पर बहुत चिंतित थी , अस्पताल के चिकित्सा स्तर पर भी मुझे आशंका थी । बच्चों को अस्पताल में भर्ती किया जाने के बाद अस्पताल के चिकित्सक हमारा बड़ा ख्याल रखते थे , उन्हों ने हमें आर्थिक सहायता भी प्रदान की थी , आपरेशन बहुत कामयाब हुआ , हम अस्तपाल और अस्पताल के प्रभारी वुन हो के अत्यन्त आभारी हैं ।

आईश्यानमू के कथित अस्पताल के प्रभारी का नाम वुन हो है , जो सिन्चांग मेडिकल युनिवर्सीटी के प्रथम टीचिंग अस्पताल के प्रभारी हैं । वे आईश्यानमू के बेटे बेटी का आपरेशन करने वाले प्रमुख डाक्टरों में से एक हैं । उन के नेतृत्व में प्रथम टीचिंग अस्पताल सिन्चांग का सब से बड़ा चिकित्सा , शिक्षा और वैज्ञानिक अनुसंधान युक्त बहुविषीय चिकित्सा अस्पताल के रूप में मशहूर हो गया है । वर्तमान में इस अस्पताल की अनेक उपचार तकनीकें चीन के समुन्नत स्तर पर पहुंची हैं और कुछ मुद्दों पर समुन्नत अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहुंची हैं । अस्पताल की ये उपलब्धियां अस्तपाल में कार्यरत विदेश से अध्ययन कर लौटे प्रतिभाशाली डाक्टरों से सीधे जुड़ी हुई है ।

सिन्चांग मेडिकल युनिवर्सीटी के प्रथम टीचिंग अस्पताल में फिलहल डाक्टरी डिग्री प्राप्त 40 चिकित्सक , मास्टर डिग्री प्राप्त 190 चिकित्सक काम करते हैं । जिन में से सौ लोग अमरीका , ब्रिटेन , फ्रांस और जापान से सीख कर लौटे हैं। अस्पताल के वर्तमान प्रभारी श्री वुन हो विदेशों से मेडिकल अध्ययन के बाद सिन्चांग लौटे एक श्रेष्ठ डाक्टर हैं । इस साल 48 वर्षीय वुन हो बहुत ओजस्वी और उत्साहित व्यक्ति हैं , जो ब्रिटेन और फ्रांस में छै साल तक अध्ययन और काम कर चुके हैं और वहां डाक्टरी की डिग्री पायी है । श्री वुन हो चिकित्सा शास्त्र के बुनियादी सिद्धांतों के अध्ययन तथा यकृत रोग के आपरेशन क्षेत्र में अत्यन्त प्रतिभाशाली सिद्ध हुए हैं ।

ब्रिटेन में मेडिकल अध्ययन के दौरान श्री वुन हो ने ब्रिटेन की प्रभावकारी विज्ञान तकनीक पत्रिका में चार निबंध प्रकाशित किए थे , जिन की ओर देश विदेशी विशेषज्ञों का ध्यान बरबस आकर्षित हो गया । विदेशों में स्नातक होने के बाद वे विदेशों द्वारा दी गई अच्छी सुविधा त्याग कर सिन्चांग लौटे ।

स्वदेश लौटने के बाद करीब दस सालों में वुन हो के नेतृत्व में सिन्चांग ने चिकित्सा का प्रमुख प्रयोगशाला कायम किया और चिकित्सा अनुसंधान का केन्द्र बनाया । उन्हों ने श्रेष्ठ चिकित्सकों का एक पांत भी गठित किया । श्री वुन के अनुसार अब उन के साथ बड़ी संख्या में विदेशों से लौटे प्रतिभाशाली डाक्टर काम कर रहे हैं और वे उन का प्रतिभा उजागर करने का अच्छा तरीका भी जानते हैं । वे कहते हैः

सर्वप्रथम उन्हें यह महसूस दिलाया जाना चाहिए कि अस्पताल उन की प्रतिभा पर बहुत महत्व देता है । फिर अस्पताल में युक्तिसंगत आय वितरण पद्धति कायम की गई , जिस से उन्हें अनुभव हुआ है कि उन की प्रतिभा और मेहनत महत्वपूर्ण मानी गई है । इस के अलावा जीवन और भावना के क्षेत्र में उन्हें ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए, ताकि वे समझते हैं कि वे दूसरों से अधिक ध्यान के काबिले हैं ।

श्री वुन हो के सुझाव पर सिन्चांग मेडिकल युनिवर्सीटी के प्रथम टीचिंग अस्पताल ने नामी चिकित्सक प्रशिक्षित करने की रणनीति बनायी । अस्पताल में खुले तौर पर नामी चिकित्सकों तथा वैज्ञानिक अनुसंधान के प्रमुखों के चयन की व्यवस्था लागू हुई । अस्पताल ने विदेशों के साथ आदान प्रदान बढ़ाने के लिए विदेश से लौटे मेडिकल डाक्टरी प्राप्त लोगों की सोसाइटी भी कायम की गई , देश विदेश के सुप्रसिद्ध विशेषज्ञों को चिकित्सी आदान प्रदान व नयी सूचनाओं के प्रचार प्रसार के लिए आमंत्रित किया जाता है । अब अस्पताल ने अमरीका , ब्रिटेन , जर्मनी और फ्रांस आदि दसेक देशों के मेडिकल उच्चशिक्षालयों व अनुसंधान प्रतिष्ठानों के साथ आदान प्रदान संबंध कायम किया ।

बेहतरीन विकास वातावरण और अच्छी नीति से प्रेरित विदेशों से लौटे डाक्टरों में ऊंचा उत्साह उभरा , उन्हों के अथक प्रयासों के फलस्वरूप अस्पताल में चोटी के वैज्ञानिक अनुसंधान मुद्दे तेजी से विकसित हो गए । अमरीका से डाक्टरी डिग्री पाने के बाद स्वदेश लौटी सुश्री हो य्येम्यी अस्पताल में हृद्य रक्तनली रोग अनुसंधान प्रतिष्ठान की उप प्रभारी और हृद्य कार्य विभाग की प्रभारी नियुक्त की गई । उन्हों ने अमरीका से एक लाख अमरीकी डालर की पूंजी ले कर पात्च माईसिट पात्च क्लामप अनुसंधान प्रयोगशाला तथा बड़ा जानवर अनुसंधान प्रयोगशाला कायम किए , जिस की तेज गति से अमरीकी विशेषज्ञ भी आश्चर्यचकित हुए । सुश्री हो ने कहाः

अस्पताल की मौजूदा स्थिति को ध्यान में रख कर हम ने जितनी तेजी से अस्पताल का अनुसंधान प्रयोगशाला कायम किया , जिस से अमरीकी सहकर्मी भी बहुत आश्चर्यचकित हुए हैं , उन्हों ने कहा कि उन्हों ने दस सालों के लिए यह काम किया था , लेकिन आप लोगों का काम एक साल में ही पूरा किया गया । हमारे प्रयोगशाला में कोशिका विभाजन अनुसंधान का काम श्रेष्ठ साबित हुआ है , इसलिए अमरीकी डाक्टरों ने हमारे साथ वैज्ञानिक अनुसंधान के सहयोग पर समझौता किया ।

सुश्री हो य्येम्यी के हृद्य रक्तनली अनुसंधान प्रतिष्ठान ने अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अनुसंधान की कार्य पद्धति अपनायी , जिस के परिणामस्वरूप सिन्चांग के हृद्य रक्तनली अनुसंधान क्षेत्र में मास्टर छात्रों का प्रशिक्षण स्तर विश्व स्तर पर पहुंचा है ।

सिन्चांग मेडिकल युनिवर्सीटि के प्रथम टीचिंग अस्पताल में श्री वुन हो और सुश्री हो य्येम्यी जैसे विदेशों से पढ़ कर लौटे प्रतिभा बड़ी संख्या में मिलती है । उन में से हान जाति के अलावा अल्पसंख्यक जातियों के अनेक चिकित्सक भी हैं , जो अपने कार्य क्षेत्र में बड़ी कामयाबियां हासिल कर चुके हैं ।

जापान से पढ़ कर लौटे वेवूर जाति के दंपति इलियार .शेयीदिन और चिमेर्गुली . ऊशुर उन में से हैं , दोनों पति पत्नी सिन्चांग मेडिकल युनिवर्सीटी में सहपाठी थे, बाद में वे दोनों जापान के टोक्यो मेडिकल युनिवर्सीटी में डाक्टरी डिग्री के लिए आगे अध्ययन किए । स्वदेश लौटने के बाद वे देश के दूसरे अस्पतालों के आमंत्रण का त्याग कर सिन्चांग वापस आए । उन्हों ने अपने ज्ञान से सिन्चांग के चिकित्सा कार्य के लिए योगदान करने की ठान ली । श्री इलियार ने कहाः

मैं सिन्चांग में जन्मा और सिन्चांग में पला बढ़ा हूं , मैं ने विदेश में चिकित्सा की जो नई तकनीकें सीखीं , उस का सिन्चांग की विभिन्न जातियों के लोगों के स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रयोग किया जाना चाहिए । अब मै 9 मास्टर छात्रों का अध्यापक हूं । मैं उन्हें विश्व के नए चिकित्सा ज्ञान और नई तकनीकों की शिक्षा दूंगा । मैं कैंसर रोग के निदान व उपचार में भी गहन अनुसंधान करूंगा और सिन्चांग की विभिन्न जातियों के कैंसर रोगियों को रोग की दुख से छुटकारा दिलाने में अपना योगदान करूंगा ।

इस आलेख के लिए हम ने जो सवाल रखा है , वह यह है कि सिन्चांग में सब से बड़ा आकार वाला चिकित्सा , शिक्षा व वैज्ञानिक अनुसंधान मिश्रित बहु विषीय अस्पताल का नाम क्या है ।