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(GMT+08:00) 2005-04-20 13:58:24    
खाद्य पदार्थ और हमारा स्वास्थ्य

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किसी भी समाज में संस्कृति का अपना ही एक महत्तवपूर्ण स्थान है और जब हम संस्कृति की बात करते हैं तो कई चीजों पर हमारा ध्यान जाता है लेकिन सर्वाधिक,हमारा ध्यान खाने पीने और इससे जुड़े संस्कृति की ओर जाता है। भारत और चीन, दोनों ही देशों की खाना खाने के तौरतरीके और इससे जुड़ी हुई संस्कृति तो विश्व भर में प्रसिद्ध है।भारतीय और चीनी खाना के शौकिन तो विश्व के हर एक कोने में पाये जाते हैं। स्वादिष्ट होने के साथसाथ इन दोनों देशों की खानोपीने के तौर तरीके हमारे स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव डालती हैं, भारत और चीन, दोनों ही देशों में विभिन्न किस्म के तौरतरीके, यही हमारा आज के बातचीत का विषय है। खाने के आदत और मानव के रिश्ते के बारे में एक चीनी विशेषज्ञ लिखते हैं की मानव संस्कृति को समझने में खाद्य की महत्त्व इसके विविधता से पता लगाया जा सकता है।अगर हम सिर्फ जीने के लिए खाते तो विशेव के सभी लोग एक ही किस्म के आहार खाते, पर वास्तव में ऐसा नहीं है।हर एक समाज में हमें एक अद्वितिय खानेपीने की संस्कृति देखने को मिलती है।इसमें इतना विविधता की क्या जरुरत है?खाद्यपदार्थ,ऱसोई करने के सामग्री,पकाने के तौरतरीके,और इनसे जुढ़ी हुई परम्परा सभी ही एक दूसरे से अलग होते है। कोई भी क्षेत्र में खाने पीने के तौर तरीके उस क्षेत्र से प्रभावित होती हैं। जहाँ तक चीन के खाने पीने के सवाल है,दूसरे जगहों की तरह यहाँ की खानेपीने की संस्कृती यहाँ की प्राकृतिक संसाधन से प्रभावित है। इसलिए यह कोई आशचर्यजनक बात नहीं की चीनी खाने की यह विशेष तत्व है की इसमें विभिन्न किस्म के पेड़ पौधे,फलफूल औऱ पशु पाये जाते है। प्राचीन काल से यह सभी चीन का अभिन्न अंग रहे हैं।क्यों की चीन एक विशाल देश है हमें अलग अलग क्षेत्रों में हमें अलगअलग संसाधन देखने को मिलता है।इसी वजह से चीन के चारों दिशाओं में हमें अलगअलग किस्म के खाने देखने को मिलते है। खानेपीने के विषयों में चीन के लोगों के बारे में यह कहा जा सकता है की स्वादिष्ट औऱ शरीर को लाभ पहुँचाने वाले खाद्य पदार्थों की आयात में कभी भी संकोच नहीं दिखायी। ऐसा माना जाता है की गेहूँ ,मेमना औऱ बकरी सम्भवतःपशचिम एशिया से आयात किये गये थे जबकि मध्य एशिया से कई सारे फल और सब्जीयाँ आयात की गई हैं। आज यह सभी आहार चीनी खाने का अभिन्न अंग हैं। इस विषय पर गौर करने की बात यह है की दूध और इससे जुढ़े पदार्थ आज भी चीनी खाने में बहुत ही कम मात्रा में पायी जाती है। सुना है की जीस तरह भारत के चार दिशाओं में अलगअलग किस्म के खाने के तौरतरीके और आदत है,उसी तरह चीन में भी अलगअलग खाने के तौरतरीके प्रचलित हैं? चीन के उत्तरी भागों में आम तौर पर पेईचिंग की खाने से काफी मिलतीजुलती हैं।इसकी प्रमुख विशेषताएँ हैं। एक , इसमें नमक की मात्रा अधिक होती है। दो , यह उतना तीता या झाल नहीं होता । तीन , इसमें तेल की मात्रा कम होती है । चार , इसमें मेमने की गोश्त औऱ भेढ़िये की गोश्त भारी मात्रा में पायी जाती है। ऐसा कहा जाता है की कई वर्षों पहले,युआन राज्य के दौरान मेमने औऱ भेढ़िये की गोश्त खाने की परम्परा आरम्भ हुई। पर खाना केवल स्वादिष्ट के लिए नहीं है । खाना सब से पहले हमारा जान और स्वास्थ्य बनाये रखने के लिए ही है । इसलिए हमें सब से पहले यह निश्चित करना चाहिये कि हम रोज जो खाते हैं , वे स्वाथ्य के लिए सही है , या संक्षेप में कहें , ये सब सुरक्षित होना ही चाहिये । इसलिए हम खाद्य पदार्थों की सुरक्षा और सरकार द्वारा इस के संदर्भ में की गयी कोशिशों के बारे में कुछ बातचीत करें । खाद्य पदार्थों की सुरक्षा लोगों के ध्यान में रहने वाली बात ही है । चीन भी कानून व तकनीक आदि के माध्यम से खाद्य पदार्थों की सुरक्षा की गारंटी कर रही है । इस संदर्भ में कुछ जानकारी पाने की बहुत आवश्यकता है । चीन सरकार खाद्य पदार्थों की सुरक्षा को बहुत महत्व देती है । चीन का खाद्य पदार्थ सुरक्षा कानून भी इस संदर्भ में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है । इस के अलावा चीन सरकार ने खाद्य पदार्थों की सुरक्षा से संबंधित छै सौ से अधिक नियम भी जारी किये हैं , और खाद्य पदार्थों की गुणवता , उन की पैकिंग तथा खाद्य में प्रयुक्त सामग्री आदि को कानूनी रूप दिया है । चीनी चिकित्सा मंत्रालय के एक पदाधिकारी का कहना है कि चीन सरकार ने खाद्य पदार्थों की सुरक्षा के अनुसंधान कार्य को बहुत महत्व दिया है । सन उन्नीस सौ पचास से ही चीनी विशेषज्ञों ने खाद्य पदार्थों के प्रदूषण तथा मानव स्वास्थ्य के बीच संबंधों पर अनुसंधान शुरू कर दिया था । चीनी वैज्ञानिकों द्वारा प्राप्त अनुसंधान परिणामों का विश्व स्वास्थ्य संगठन में तक इस्तेमाल किया जाता है । इधर के सालों में मैड गाय रोग जैसी बीमारियों से मानव को गंभीर खतरा पैदा हुआ और विश्व का ध्यान एक बार फिर खाद्य पदार्थों की सुरक्षा पर केंद्रित हो गया । चीनी नागरिक भी खाद्य पदार्थों की सुरक्षा को अधिकाधिक महत्व दे रहे हैं । इस साल मार्च में आयोजित चीनी राष्टीय जन प्रतिनिधि सभा के सालाना अधिवेशन में भी खाद्य पदार्थों की सुरक्षा प्रतिनिधियों की बहस का केंद्र बनी । आज चीनी नागरिक खाद्य पदार्थों की सुरक्षा पर कृषि उपयोगी दवा , कुछ हानिकर रासायनिक चीज़ों तथा कलोनिंग तकनीक जैसी नयी तकनीकों के प्रभाव पर बहुत ध्यान रखते हैं । चीनी विज्ञान व तकनीक मंत्रालय के एक अफसर श्री ली के अनुसार खाद्य पदार्थों की सुरक्षा से संबंधित अनेक कानूनों के अमल में आने के बावजूद इस क्षेत्र में जांच व्यवस्था पिछड़ी है , क्योंकि खाद्य पदार्थों की तकनीकों का भी बड़ी तेजी से विकास हो रहा है । श्री ली ने खाद्य पदार्थों की जांच पड़ताल की नयी तकनीकों की चर्चा करते हुए कहा कि हमारे अनुसंधान का मूल उद्देश्य , वैज्ञानिक प्रगति के जरिये खाद्य पदार्थों की सुरक्षा की गारंटी करना है । श्री ली ने कहा कि खाद्य पदार्थों की सुरक्षा को अब देश में कृषि के विकास तथा ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योग संरचनाओं के सुधार के साथ भी जोड़ा गया है । और विश्व व्यापार संगठन में भाग लेने के बाद चीनी खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता दुनिया के अन्य क्षेत्रों पर भी प्रभाव पड़ेगा । इसलिये चीनी विज्ञान व तकनीक मंत्रालय ने खाद्य पदार्थों की सुरक्षा की गारंटी को भावी पांच सालों में तकनालाजीकल प्रगति योजना में शामिल करा दिया है और इस विषय पर पंद्रह करोड़ युवान की पूंजी लगाएगा । और चीन के स्थानीय सरकारें तथा नागरिक उद्योगधंधे भी इस में पूंजी लगाएंगे । इस समय चीन के विज्ञान व तकनीक मंत्रालय , चिकित्सा मंत्रालय तथा कृषि मंत्रालय आदि के विशेषज्ञों से गठित एक अनुसंधान दल खाद्य पदार्थों की सुरक्षा से संबंधित तकनीकों का अनुसंधान कर रहा है । उन का लक्ष्य है कि वे पांच सालों के अंतरगत खाद्य पदार्थों की सुरक्षा उपयोगी तकनीकों के अनुसंधान में स्पष्ट प्रगतियां प्राप्त करेंगे । इन विशेषज्ञों के अनुसार खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता मिट्टी की स्थिति , बोने की तकनीक , खाद्य पदार्थों के परिवाहन , भंडार , प्रोसेसिंग , पैकिंग और कूकिंग आदि सब से संबंधित है । इस समय चीनी विशेषज्ञों ने अपनी शक्तियों को खाद्य पदार्थों की जांच तकनीकों के अनुसंधान पर केंद्रित किया है । चीनी बीमारी विरोधी केंद्र के एक प्रोफेसर श्री चेन जो चीनी विज्ञान व तकनीक मंत्रालय के तहत खाद्य पदार्थों की सुरक्षा अनुसंधानशाले के जिम्मेदार हैं , ने कहा कि खाद्य पदार्थों में हानिकर चीज़ें भी मौजूद है । हमारे अनुसंधान कार्य का केंद्र इन हानिकर चीज़ों की जांच पड़ताल करना और इन्हें खाद्य पदार्थों में से निकाल देना है। प्रोफेसर चेन कहा कि चीनी प्रवासियों के अपने विशेष खाद्य पदार्थ तथा खाने पीने के ढ़ंग हैं । इसलिये हमारे अनुसंधान को भी इन विशेषताओं से आधारित होना पड़ेगा । और खाद्य पदार्थों की जांच तकनीकों के प्रयोग से खाद्य पदार्थों की सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा । कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि खाद्य पदार्थों की सुरक्षा की गारंटी के लिये सफाई आदत भी बनायी रखनी चाहिये । उदाहरण के लिये किसी भी फलों या सब्जियों को खाने से पहले साफ पानी से धोना चाहिये और सेव नाश्पाती आदि फलों का छिलका खाने से पहले उतारना चाहिये ।