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(GMT+08:00) 2005-04-19 14:59:25    
परम्परागत तिब्बती नृत्य क्वो च्वांग

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जा रोंग का क्वो च्वांग बड़े क्वो च्वांग और छोटे क्वो च्वांग में विभाजित किया जा सकता है। बड़ा क्वो च्वांग गंभीर होता है और इसमें नर्तक धीरे-धीरे नाचते हैं। छोटे क्वो च्वांग में लचीलापन नजर आता है और नर्तक मनमानी से नाचते-गाते हैं। तिब्बती लोग बड़ा क्वो च्वांग मुख्यतः सरकारी अधिकारियों और जीवित बुद्ध जैसे तिब्बत के प्रमुख व्यक्तियों के स्वागत व बिदा की रस्मों या महत्वपूर्ण समारोहों व उत्सवों में नाचते हैं। जा रोंग का क्वो च्वांग, तिब्बत का नृत्य गान, गेन जी का थी था और बा थांग का श्वेन ज़ चीन के तिब्बती बहुल क्षेत्रों के सब से प्रचलित नृत्यों की चार किस्में हैं। इसमे नृत्य के साथ संगीत वाद्य बजाने वाले नृत्य बा थांग श्वेन ज़ इसमें भाग लेने वाली युवतियों की सुन्दरता प्रतिबिंबित करता है, तो गेन ज़ का थी था नृत्य पुरुषों की शक्ति को। इससे अलग जा रोंग का क्वो च्वांग चीन के तिब्बती बहुल क्षेत्र की एकमात्र ऐसी कला है, जिस की अपनी लिपि तक है। क्वो च्वांग अपने विशेष नृत्य और व्यापार के लिए चीन के तिब्बती बहुल क्षेत्रों में प्रसिद्ध है। क्वो च्वांग चीनी नृत्य की जीवित मूर्ति माना जाता है।

जा रोंग चीन के सी छ्वान प्रांत के पश्चिम-उत्तरी पठार की मीन च्यांग और दा दू नदियों के ऊपरी भाग में स्थित है। इस के केंद्रीय क्षेत्र में मार्खांग, चिन छ्वान. श्याओ चिन और देन बा काउंटियां पड़ती हैं। इस क्षेत्र में रहने वाले तिब्बती जा रोंग तिब्बती कहलाते हैं। कृषि जा रोंग तिब्बतियों का प्रमुख व्यवसाय है। इस के साथ ही वे पशुपालन भी करते हैं। जा रोंग क्षेत्र में जगह-जगह ऊंचे पहाड़ और गहरी घाटियां हैं। वहां के गांव पहाड़ों पर फैले हैं। इस विशेष भौगोलिक पर्यावरण ने यहां के लोगों के जीवन यापन के तरीके को घास मैदान में रहने वाले तिब्बती लोगों के जीवन यापन के तरीकों से भिन्न बना दिया। यहां के लोगों को एक साथ रहना पसंद है।

जा रोंग का क्वो च्वांग चीन के जा रोंग तिब्बती क्षेत्र का सब से पुराना लोकनृत्य है। इस का पुराना इतिहास है। कहा जाता है कि जा रोंग का क्वो च्वांग तिब्बती बौद्ध धर्म के बन संप्रदाय की स्थापना के समय यानी ईसवी 2 सदी में शुरू हुआ। यह वक्त थू बो के नौवें राजा जेनपूदेचा या हान जाति के पूर्वी हान राजवंश का था। प्राचीन समय में लोग सामूहिक जीवन बिताते थे। वे एक साथ पशुओं को मार कर पकाते थे और फलों व खाद्य पदार्थों का आपस में बंटवारा करते। वे अग्नि या बर्तनों को घेरकर नाचते और खुशी से गाते भी थे। यह सामूहिक नृत्य ही क्वो च्वांग का प्रारंभिक रूप था। आज भी चीन के जा रोंग तिब्बती बहुल क्षेत्रों के मकानों में आम तौर पर क्वो च्वांग बरकरार रखा गया है। देन बा काउंटी के जा च्वू गांव के न्ये गा कस्बे के महासचिव जा बा ने बताया कि वास्तव में क्वो च्वांग स्थानीय तिब्बती लोगों के घरों में खाना पकाने के स्थल को कहते हैं। उन के अनुसार, "क्वो च्वांग वास्तव में तीन पत्थरों पर रखा एक बर्तन होता है। इसलिए, हमारे यहां कहावत है तीन पत्थरों वाला बर्तन। लोग आम तौर पर मिलन समारोहों पर यह नृत्य करते हैं। इसे कई लोग एक साथ करते हैं और कई बार सैकड़ों लोग भी एक साथ नाचते हैं।

अब क्वो च्वांग चौक पर नाचा जाने वाला नृत्य बन गया है। कुछ नृत्य स्थलों के केंद्र में अग्नि होती है तो कुछ में शराब के बर्तन रखे जाते हैं। श्री जा बा के अनुसार, जा रोंग क्वो च्वांग इस क्षेत्र का सब से प्रचलित और विशेष नृत्य है और यह स्थानीय तिब्बती लोगों का पसंदीदा सांस्कृतिक मनोरंजन भी। हजारों वर्षों से जा रोंग के तिब्बती क्वो च्वांग नृत्य के जरिए अपनी खुशी, दुख, आशा और निराशा प्रकट करते रहे हैं।