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(GMT+08:00) 2005-04-15 09:25:45    
सिन्चांग में बसी गरगिज जाति का सुन्दर नृत्यगान

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सिन्चांग में आबाद चीन की अल्पसंख्यक जाति गरगिज एक प्राचीन जाति है , जो सदियों से सिन्चांग के पश्चिमी भाग में स्थित पमीर पठार पर रहती है । पहाड़ी क्षेत्र में रहने के परिणामस्वरूप गरगिज जाति की अपनी विविध संस्कृति और परम्परा संपन्न हुई है , इस की नृत्यगान कला भी खासा विख्यात है ।

सिन्चांग की गरगिज जाति के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत नृत्यगान में गरगिज जाति के लोगों के सुन्दर जीवन की अभिव्यक्ति हुई है । ऊंचे ऊंचे पहाड़ी चोटियों के तलहटी में , हरे भरे घास मैदान पर रूपवणी गरगिज युवतियां बड़े उमंग के साथ नाच गान कर रही हैं , असीम स्नेह से सिंचित माता की गोद में प्यारा नन्हा बच्चा खेल रहा है , उन्हें ताकते हुए पिता पास खड़े मुस्करा रहा है , कुछ दूर घास में प्यारे हिरण झुंड में विचर रहे है । वातावरण में अपार शांति और अमनचैन व्याप्त हो रहा है ।

गरगिज जाति का महान काव्य मानास बहुत लोकप्रिय है , काव्य में गरगिज जाति के प्राचीन वीर यौद्धा मानास की दिलकश कहानी वर्णित है , इस काव्य के आधार पर नए नए नृत्य नाटक रचे गए हैं , 6 बलिष्ठ यौद्धाओं के कंधों पर बैठा राष्ट्र वीर मानास लोगों से समानादर और अभिवादन स्वीकार कर रहा है , सफेद बालों वाले एक वृद्ध ने उसे मंगलसूचक सफेद पाउडर बरसाया । मानास के गुणगान में बुलंद संगीत दूर दूर तक सुनाई पड़ता है ।

चीनी नृत्य कलकार संघ के उपाध्यक्ष ली सुसांग ने कहा कि गरगिज जाति के नृत्यगान में गाढ़ा सांस्कृतिक महत्व गर्भित है । उन का कहना हैः

चीन की 56 जातियां हैं , लेकिन केवल तीन अल्पसंख्यक जातियों का अपना अपना महान काव्य मिलता है , जिन में से एक गरगिज जाति है । मैं गरगिज जाति के आबादी क्षेत्र में गया था , वहां के मानवी संस्कृति और प्राकृतिक दृश्य से बहुत प्रभावित हो गया हूं । गरगिज लोग सरहदी क्षेत्र में रहते हैं , उन का जीवन कठोर है , लेकिन इस प्रकार के कठोर जीवन ने गरगिज लोगों के अद्मय स्वभाव को तपतपाया है ।

गरगिज जाति का आबादी क्षेत्र गजलेसु का गरगिज स्वायत्त प्रिफेक्चर है , जो चीन के पश्चिमतम भाग में स्थित पमीर पठार पर आबाद है । यहां पहाड़ों की अटूट श्रृंखला फैली है , जिस ने प्रिफेक्चर को सहस्त्र पर्वतों का गृह का नाम दिलाया है । सदियों से यहां रहने वाले गरगिज लोग मेहनती , बहादुर और दयालु हैं , उन्हों ने अपनी असाधारण बुद्धि से शानदार संस्कृति का सृजन किया है , उन का जीवन भी शांत और सुखमय होता है ।

गरगिज जाति का नाचगान आम तौर पर गायन , नृत्य और कविता पर आधारित है , जिस ने त्रिविधि का रूप ले लिया है । उन की नृत्य कला में गरगिज जाति के लम्बे पुराने इतिहास और अनुठी संस्कृति की अभिव्यक्ति होती है , उस में गरगिज लोगों के खुशहाल जीवन , मिट्ठे प्यारे प्रेम मुहब्बत और आधुनिक जीवन के भारी परिवर्तन का वर्णन किया जाता है और उस से गजलेसु की भूमि पर आबाद लोगों में गृह स्थल से असीम लगाव और भावी सुन्दर जीवन से बहरी चाह व्यक्त होता है ।

अब्दुलाई उसमान एक गरगिज विद्वान है , उन्हों ने अपनी जाति के बारे में गहरा अध्ययन किया है और गरगिज जाति के नृत्यगान पर अपना विशेष मत बना हैः

हमारी जाति के नृत्यगान में मुख्यतः गरगिज जाति के प्राचीन काल के इतिहास , संस्कृति और वीर गाथा जैसे विषयवस्तु शामिल हैं । नृत्यगान के माध्यम से गरगिज जाति के सांस्कृतिक इतिहास के विकास , आधुनिक युग के नए परिवर्तन तथा गजलेसु में रहने वाले लोगों के सुन्दर जीवन अभिव्यक्त हुए हैं , जिस से गरगिज जाति के आगे बढ़ने की आहट सुनने को मिलती है ।

नृत्यगान का स्रोत जीवन होता है । गरगिज लोगों के जीवन का हर पहलु प्रफुल्लित और जोशीले नृत्य का अंश बन सकता है ।जब तेजस्वी और प्रफुल्लित धुन गरगिज जाति के परम्परागत वाद्य कुमजी पर बज उठी , तो दल दल में बंटी गरगिज युवतियां हरेभरे घास में घोड़ा दुध मदिरा नृत्य नाचने लगती हैं, वे आनंददायी जीवन में मस्त रही और सुगंधित घोड़ा दुध मदिरा से दिल खिल जाता है , हवा में हंसने और गाने का हर्षोल्लास दूर दूर तक सुनाई देता रहा है ।

श्री ली सुसांग ने जीवन से उत्पन्न हुए गरगिज नृत्य की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कहाः

गरगिज महिला घास मैदान पर खुद घोड़े का दूध निचोड़ती है , दूध का मदिरा बनाती है , खुद पीने से चूर होती है और खूबसूरत बन जाती है , उन के चेहरे पर मिठास झलकती है , वह मानव का सौंदर्य है और गरगिज जाति का सौंदर्य है ।

गरगिज जाति नई नई संस्कृति को अपनी संस्कृति में गृहित करना पसंद करती है , उस की परम्परागत कला में समकालीन युग की ताजा भावना भरपूर है । उस के नृत्य में , वस्त्र आभूषण में हमेशा नयापन दिखता है । गरगिज नृत्य के दीवाना सुश्री ल्यू श्योफांग ने कहाः

मैं ने अनेक किस्मों के नृत्य देखे हैं , लेकिन मुझे अनुभव हुआ है कि गरगिज नृत्य में गाढ़ा विशेषता लिए हुई है , उस में बेली ,स्टेपडांस और गरगिज नाच का मिश्रण होता है , जिस के चलते नृत्य का संगीत तेजस्वी , प्रफुल्लित , प्रबल और सशक्त होता है , परम्परागत नृत्य में नए जीवन का संचार हो गया है ।

नाचगान के शौकिन गरगिज लोग नृत्यगान के जरिए अपना जीवन और गृह भूमि के परिवर्तन दर्शाते हैं । आधुनिक जीवन से ओतप्रोत आज के युग में वे और शानदार जातीय संस्कृति का सृजन कर सकते हैं ।

गरगिज जाति के नाचगान के बारे में आलेख के लिए जो सवाल रखा गया है , वह है गरगिज जाति सिन्चांग के किस प्रिफेक्चर में रहती है ।

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