चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की यात्रा के दौरान आप को जगह जगह पहाड़ों की श्रृंखलाएं दिखाई देती हैं । प्रदेश की राजधानी ल्हासा से तिब्बत के शिकाज़े प्रिफ़ैक्चर जाने के रास्ते में 5 हज़ार मीटर से ज्यादा ऊंचे दो पहाड़ों को पार करना पड़ता है । इन दो पहाड़ों की तलहटी में एक छोटा सा तिब्बती रेस्टरां आबाद है , जहां पर्यटक भोजन कर सकता है, और विश्राम भी कर सकता है । उस का नाम है छिंग ल्यांग रेस्टरां
तिब्बत की राजधानी ल्हासा से शिकाज़े प्रिफ़ैक्चर तक की दूरी कोई 400 से ज्यादा किलोमीटर है ,इसी रास्ते में और श्वे कु ला पर्वत व मा च्यांग ला पर्वत दो पर्वतों को पार करना पड़ता है । एक दिन की सुबह हम ल्हासा से शिकाज़े की ओर चले । पहले हम ने छिंग हाई-तिब्बत मार्ग , जिसे तिब्बत में सब से अच्छा राज मार्ग माना जाता है, पर एक घंटे का रास्ता तय किया , इस के बाद हमारी यात्रा पहाड़ी रास्ते पर चल निकली । पठार का विशेष मौसम अभी अभी तिब्बत आने वाले पर्यटकों के लिए बहुत कठीन है , जहां ओक्सिजन कम होता । हम चार व्यक्ति एक कार में सवार रहे , कार के ऊंचे से ऊंचे स्थल चढ़ने के साथ साथ ओक्सिजन की मात्रा भी कम होती जा रही । तभी हमारे सिर में दर्द आने लगी , उलटी की भावना उठी, और दिल का धड़कन तेज़ होने लगा, इस के अलावा पहाड़ी क्षेत्र में पत्थरों वाले रास्ते से हमारा कार ऊबड़ खाबड़ खा रही थी । ऐसी स्थिति में हमें सच्चे माइने में मालूम हुआ कि कठिनाई क्या चीज होती है । लेकिन कार की खिड़कियों के बाहर दूर दूर की ओर देखे , तो बर्फ़िले पर्वतों की श्रृखलाएं, नीले आसमान, सफ़ेद बादल, बहती हुई स्वच्छ नदी और घास मैदान में इधर उधर घूमते फिरते नीलगायों व बकरियों के झुंड, यह सब एक सुन्दर चित्र बना कर पेश करता है , और देखते ही देखते हमारा थकान एकदम गायब हो गया और तिब्बत की सुन्दरता के प्रति उत्साह और मनमुग्धता की भावना उमड़ आई ।
जब हमारी कार 5200 मीटर ऊंचे श्वे कु ला पर्वत से गुज़र कर शिकाज़े प्रिफ़ैक्चर में प्रवेश हुई , तो दोपहर के खाने का समय भी आ गया । पहाड़ों की घनी वादी में हमें खाना कहां मिलेगा ? हर लोग मन में यह सवाल पूछने लगा । हमारी भुख भांप कर हमारे ड्राइवर ने गाड़ी को पहाड़ की तलहटी में रोका , और हमारे गाइड ने हमें बताया कि हम यहां दोपहर का खाना खाएंगे ।
कार से उतरने के बाद मेरी आंखों के आगे एक छोटा सा किब्बती शिविर नजर आया । ईंटों से बने सरल मकान की छत पर चीनी व तिब्बती भाषा में "छिंग ल्यांग रेस्टरां"का नाम अंकित है । रेस्टरां के पीछे मा च्यांग ला पर्वत है और सामने एक छोटी सी झरना बहती है । झरने और मकान के बीच छोटा सा घास मैदान में कई लोग खाना खा रहे हैं ।
रेसटरां की माहिकन गसांनिमा एक तिब्बती महिला है । उस के सिर पर एक टोपी पहनती है, और चेहरे पर तिब्बती महिलाओं का विशेष सुर्ख रंग फूल की तरह खिला हुआ जान पड़ता है । गसांनिमा एक शर्मिंदा महिला है, हालांकि वह रेस्टरां संभालती है, और वह तरह तरह स्वाभाव वाले लोगों से मिल चुकी है, फिर भी हमारे साथ बातचीत के समय उसे थोड़ी लज्जा भी आई । उस ने हमें बताया कि ल्हासा से शिकाज़े जाने के कुल तीन रास्ते हैं । एक है निर्माणाधीन , और दूसरा बहुत कठीन । इस लिए श्वेकुला पर्वत और माच्यांगला पर्वत का रास्ता बहुत व्यस्त रहा । ल्हासा से शिकाज़े के लिए इन दो पर्वतों को पार करने में कुल सात छै घंटे का समय लगता है , इसलिए आने जाने वाले पर्यटक आम तौर पर उस के "छिंग ल्यांग रेस्टरां" में रूकते हैं, और खाना खाते हैं । इन दो पर्वतों के बीच एक मात्र रेस्टरां होने के कारण यहां का व्यापार बहुत अच्छा है । गसांनिमा ने कहा
" यहां का रास्ता इसी साल निर्मित हुआ है , और मैं ने इसी अवसर से लाभ उठा कर "छिंग ल्यांग रेस्टरां" खोला । यहां का व्यापार काफी अच्छा है और रेस्ट्रां की आय भी अच्छी है । मेरे रेस्टरां में सभी खाना तिब्बती शैली के हैं, पर्यटकों को बहुत पसंद है। सब लोग कारी राइस पसंद करते हैं, और यहां के विशेष स्वाद की दही भी मैं स्वयं बनाती हूँ ।"
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