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(GMT+08:00) 2005-04-11 16:25:24    
चीनी फिल्म निर्देशक लू छ्वान की कहानी

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चीनी फिल्म क्षेत्र में कई ऐसे निर्देशक हैं, जिनकी आयु 30 वर्ष के पार है। इन्हें चीन के फिल्म निर्देशकों की छठी पीढ़ी में गिना जाता है। इन की रचनाओं ने चीनी दर्शकों को एक नया अनुभव दिया है। श्री लू छ्वान इन में से एक है।

वर्ष 2004 के उत्तरार्द्ध में आई फिल्म निर्देशक लू छ्वान की फिल्म《ख ख शी ली》ने चीन समेत अनेक एशियाई देशों के दर्शकों को बहुत प्रभावित किये रखा।《ख ख शी ली》चीन के पश्चिमी भाग की एक साहसिक कहानी कहती है। यह कथाचित्र है और वृत्तचित्र जैसी भी है। इसका कथानक इस तरह है। आठ सदस्यों का पर्वतरक्षक दल ख ख शी ली पहुंचता है, जहां कोई नहीं रहता। इस दल का काम ख ख शी ली में नीलगायों का हत्या के अपराध को रोकना होता है। उसके वहां काम करने के दौरान कई तरह की घटनाएं घटती हैं। आठों सदस्यों को कठोर प्रकृति के साथ ही नहीं, नीलगायों की हत्या करने वालों के साथ भी संघर्ष करना पड़ता है। अंत में दल के पांच सदस्यों की मृत्यु हो जाती है और सिर्फ़ तीन बच रहते हैं।

《ख ख शी ली》एक सच्ची कहानी पर आधारित है। इस के निर्देशक श्री लू छ्वान ने बताया वे ख ख शी ली में घटी इस घटना से बड़े प्रभावित हुए। उन्होंने कहा

"इस पर्वतरक्षक दल के सदस्यों की भारी कठिनाइयों में जीवन बिताने की कहानी ने मुझे बड़ा प्रभावित किया। इसलिए मुझ में इस कहानी को दर्शकों तक पहुंचाने की जिज्ञासा हुई। हर किसी निर्देशक की फिल्म का उसकी अपनी जिन्दगी के अनुभवों से संबंध होता है। फिल्में उनके दिल की भावना, सपनों तथा सुख-दुःख को अभिव्यक्त करती हैं।《ख ख शी ली》का मेरी जिन्दगी से घनिष्ठ संबंध रहा।"

33 वर्षीय लू छ्वान बहुत कोमल दिखते हैं। लोग उनके《ख ख शी ली》जैसी जोखिम भरी फिल्म बनाने की कल्पना भी नहीं कर सकते। पर इस फिल्म की शूटिंग के लिए लू छ्वुआन ने बहुत मेहनत की। उन्होंने बताया कि 《ख ख शी ली》की शूटिंग के दौरान उन्हें अपनी टीम के साथ बहुत कठिन वक्त गुजारना पड़ा।

ख ख शी ली चीन के छिंग हाई-तिब्बत पठार पर स्थित है। थांग कु ला और खुन लुन पर्वतों के बीच बसा ख ख शी ली चीन की मातृनदी यांत्सी का उद्गम स्थल है। ख ख शी ली की समुद्रतल से ऊंचाई कोई 5 हज़ार मीटर। वह बहुत ठंडा ही नहीं है ओक्सीजन की कमी के काऱण भी दुर्गम है। इसलिए "मानव आवास के लिए प्रतिबंध क्षेत्र"माना जाता है। लेकिन ख ख शी ली में बड़ी संख्या में दुर्लभ नीलगायें पाई जाती हैं। नीलगायों के रोओं से मूल्यवान ऊनी दोशाले बनाये जाते हैं। इसलिए अनेक व्यक्ति उनके रोएं इकट्ठे करने के लिए उन की हत्या करते हैं। पर्वतरक्षक दल को कई बार नीलगायों की रक्षा के लिए ऐसे अपराधियों के साथ संघर्ष करना पड़ता है, यहां तक कि इस के लिए अपनी जान तक देनी पड़ जाती है।

लू छ्वान ने《ख ख शी ली》में दर्शकों को छिंग हा-तिब्बत पठार के ऊंचे बर्फीले पहाड़, विशाल घास मैदान तथा मिरो जैसी स्वच्छ झील दिखायी। नीलगायों के झुंडों के रेतीली भूमि में दौड़ने पर दर्शकों के सामने बहुत सुन्दर दृश्य उपस्थित होता है। लू छ्वुआन का कहना है कि छिंग हाई-तिब्बत पठार इतना विशाल है कि उस की तुलना में मानव की जान कमजोर लगती है। वे यह फिल्म इसलिए बनाना चाहते थे कि दर्शकों को चीन की इस विशेष भूमि की जानकारी दे सकें।

《ख ख शी ली》की शूटिंग में 120 दिन लगे। शूटिंग टीम के 108 कर्मचारियों में से 60 शूटिंग में अंत तक डटे रहे। इसकी याद करते हुए लू छ्वुआन ने बताया कि शूटिंग बहुत कठिन थी। टीम में शामिल लोगों ने इसके लिए सारी शारीरिक शक्ति का प्रयोग किया। बर्फ़ीले तूफ़ान में लोग रेतीली भूमि पर खड़े हों, तो उनके शरीर का आधा भाग स्पष्ट नहीं दिखता और आधा तो बिलकुल ही नहीं दिखाई देता। शूटिंग के दौरान लू छ्वुआन के बाल गिर गये और उन्हें दिल की बीमारी तक हुई। पर इन मुश्किलों को लू छ्वुआन ने मूल्यवान समझा। उन का मानना है कि इसने उन्हें जीवन के प्रति नया विचार दिया। लू छ्वुआन का कहना है कि शहर में मानव बहुत शक्तिशाली लगता है, लेकिन ख ख शी ली में व्यक्ति बहुत कमज़ोर जान पड़ता है। लू छ्लुआन का कहना है

"मानव जीवन में कई अनिश्चित तत्व हैं। प्रकृति उसे बदल सकती है। जीवन यापन मानव की बुनियादी क्षमता है। इसलिए 《ख ख शी ली》ने मुझे जिन्दगी के बारे में सोचने का मंच प्रदान किया।"

लू छ्वान एक समय सैनिक थे। फिल्म के लिए गहरे प्यार के चलते उन्होंने पेइचिंग फिल्म संस्थान के अभिनय विभाग में प्रवेश लिया। वर्ष 1998 से अब तक वे दो फिल्में《खोई हुई बंदूक 》और《ख ख शी ली》बना चुके हैं। कम फिल्में बनाने के बावजूद वे चीनी दर्शकों द्वारा बहुत पसंद किये गये।

लू छ्वान की पहली फिल्म《खोई हुई बंदूक 》एक सीमांत कस्बे के मा शान नामक पुलिसकर्मी की कथा है। एक सुबह मान शान की बंदूक रहस्यमय ढंग से खो जाती है। मा शान अपनी बंदूक की खोज करने लगता है। इस बीच एक हत्याकांड होता है तथा मा शान गहरे खतरे में फंस जाता है। 《 खोई हई बंदूक 》वाकई देखने योग्य है। इसने चीनी फिल्म जगत में लू छ्वुआ को रातोंरात मशहूर कर दिया।

《ख ख शी ली》 में लू छ्वान ने अपनी जान डाल दी। उनका कहना है कि उन्होंने इस फिल्म में पर्वतरक्षक दल के प्रमुख पर अपनी सारी भावना निछावर कर दी। फिल्म के अंत में जब यह दल विजय पाता है, तो दर्शक इस पर संतुष्ट होते हैं। पर दल प्रमुख की मृत्यु के लिए वे तैयार नहीं रहते इसलिए रोने भी लगते हैं।

एक युवा फिल्म निर्देशक के रूप में लू छ्वान स्वयं को बहुत सौभाग्यशाली मानते हैं। उनका कहना है

"1980 के दशक में जन्मी हमारी पीढ़ी ने बहुत सुखमय दिन देखे। हम ने अपनी आंखों से चीन के सब से महान सुधार को देखा। 20 वर्ष पहले, हमारी स्वतंत्र लेखन औऱ बातचीत की इच्छा ने अमली जामा पहना। हर व्यक्ति ने ज्यादा स्वतंत्रता प्राप्त की। लोगों का जीवन रंगारंग हुआ। हम जैसे फिल्म निर्देशक भी अब स्वतंत्रता से काम कर सकते हैं।"

हाल में चीनी फिल्म निर्देशक संघ के प्रथम पुरस्कार समारोह में लू छ्वान को 《ख ख शी ली》के लिए सर्वश्रेष्ठ युवा फिल्म निर्देशक का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ।

निकट भविष्य में लू छ्वान युद्ध विषय पर एक फिल्म बनाने की तैयारी में हैं।

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