चीन विश्व के प्राचीनतम सभ्यता वाले देशों में एक है। उस का चार हज़ार वर्ष पुराना लिखित इतिहास है। यहां तरह-तरह के ऐतिहासिक व सांस्कृतिक ग्रन्थ और पुरातन संस्कृति के अवशेष पाए जाते हैं। दुनिया के अन्य राष्ट्रों की तरह चीनी राष्ट्र भी अपने विकास के दौरान आदिम समाज, दास समाज और सामन्ती समाज की मंजिलों से गुजरा था।
उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य से विदेशी पूंजीवादी शक्तियों के आक्रमण के परिणामस्वरूप चीनी समाज धीरे-धीरे एक अर्ध-औपनिवेशिक व अर्ध-सामन्ती समाज में बदलता गया। 1949 में लोक गणराज्य की स्थापना के साथ-साथ चीन ने एक समाजवादी समाज में पदार्पण किया। ऐतिहासिक विकास के इस लम्बे दौर में, चीनी राष्ट्र की विभिन्न जातियों की परिश्रमी, साहसी और बुद्धिमान जनता ने अपने संयुक्त प्रयासों से एक शानदार और ज्योतिर्मय संस्कृति का सृजन किया, तथा समूची मानवजाति के लिये भारी योगदान भी किया।
य्वानमओ मानव, लानथ्येन मानव और पेइचिङ मानव चीन संसार के उन क्षेत्रों में एक है जहां मानवजाति का प्रारम्भिक विकास हुआ था। अब तक उपलब्ध पुरातत्व-सामग्री के अनुसार आज से लगभग सत्रह लाख वर्ष पहले आदिम मनुष्यों ने चीन की इस विशाल भूमि पर रहना शुरू किया था। युननान प्रांत की य्वानमओ काउन्टी में और शेनशी प्रांत की लानथ्येन काउन्टी में कपिमानव के जीवाष्म पाए गए हैं, जिन्हें क्रमशः"य्वानमओ मानव"(आज से 17 लाख साल पहले) और"लानथ्येन मानव"(आज से 8 लाख साल पहले) का नाम दिया गया है। ये चीन में अब तक ज्ञात सबसे पहले के आदिम मनुष्य थे।
आज से लगभग 5 लाख वर्ष पहले, वर्तमान पेइचिङ के दक्षिणपश्चिमी उपनगर में चओखओत्येन नामक स्थान पर रहने वाला कपिमानव, जिस का नाम"पेइचिङ मानव"रखा गया है, मनुष्य की बुनियादी विशेषताओं को अपना चुका था अर्थात वह अपने शरीर को सीधा रखकर चल सकता था, सरल औजार बनाकर उनका इस्तेमाल कर सकता था, तथा आग का प्रयोग करना और उसे हिफाजत के साथ रखना जान गया था। वह समूह में रहकर खुराक इकट्ठी करता था और जानवरों का शिकार करता था।
याङशाओ संस्कृति एक दीर्घ अवस्था से गुज़रने के बाद, इन आदिम मनुष्यों ने सामूहिक जीवन से धीरे-धीरे सगोत्र कम्यून की अवस्था में संक्रमण किया। चीन के अनेक स्थानों पर सगोत्र कम्यून के मानवजीवन की जानकारी देने वाले बहुत से अवशेष पाए गए हैं। चीनी समाज ने भी मातृसत्तात्मक सगोत्र कम्यून और पितृसत्तात्मक सगोत्र कम्यून की ऐतिहासिक अवस्थाओं से गुजरकर अपने विकास का रास्ता तय किया था।
आज से 6000 से 7000 साल पहले की"याङशाओ संस्कृति"मातृसत्तात्मक सगोत्र कम्यून अवस्था का प्रतिनिधित्व करती थी। उस समय पत्थरों और अस्थियों को घिसकर औजार बनाए जाते थे, तीर-कमान और मिट्टी के बरतन बनाए जाते थे, खेतीबारी, पशु-पालन और कताई-बुनाई का प्रारम्भ हो चुका था, तथा लोग मकान बनाकर स्थाई रूप से बसने लगे थे।
शेनशी प्रांत के शीआन में भूमिगत पुरावशेषों की खुदाई में पानफो नामक गांव का पता चला है, जो सगोत्र समाज के गांवों का एक नमूना था।
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