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(GMT+08:00) 2005-04-07 15:03:20    
जीवित बुद्ध लाछान की प्यार भावना

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हाल ही में हम आप को अपने नियमित कार्यक्रम आज का तिब्बत में तिब्बती जीवित बुद्ध लाछान से मिलवा चुके हैं। क्या आप को याद है ।यहां बता दें कि तिब्बती जीवित बुद्ध लाछान पेइचिग के बौद्ध विद्यालय के उप प्रधानाचार्य हैं। उन्हें इस पद पर काम करते हुए अनेक वर्ष हो चुके हैं। जीवित बुद्ध लाछान का कहना है कि चीन सरकार चीन में धार्मिक विशवास की स्वतंत्रता की नीति लागू किये हुए है। चीन सरकार ने इस नीति को चीनी संविधान में भी शामिल किया है और इस नीति का वह अच्छी तरह पालन करती आयी है। जीवित बुद्ध लाछान के अनुसार, चीन में धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता की नीति बहुत लोकप्रिय है और सामान्य धार्मिक गतिविधियों को सरकारी संरक्षण प्राप्त है।

यहां बता दें कि चीन में जीवित बुद्ध लाछान के नाम पर एक स्कूल भी कायम है। किसी जीवित बुद्ध के नाम पर किसी स्कूल का नाम रखे जाने की बात चीन में ज्यादा नहीं देखने को मिलती।आज हम आप को जीवित बुद्ध लाछान से एक बार फिर मिलवा रहे हैं। वे खुद आप को लाछान स्कूल की कहानी सुनायेंगे।

हाल ही में हमारी संवाददाता सुश्री ल्यू हवी को पेइचिंग में तिब्बती जीवित बुद्ध लाछान के साथ बातचीत करने का मौका मिला। जीवित बुद्ध लाछान बहुत स्नेहिल हैं और उन्हें बड़ा सम्मान प्राप्त है। सुश्री ल्यू हवी के साथ बातचीत में उन्होंने हमें आप सब को नव वर्ष की शुभकामना दी और विश्व शांति के लिए प्रार्थना भी की । यहां बता दें कि तिब्बती जीवित बुद्ध लाछान का जन्म वर्ष 1941 में दक्षिण-पश्चिमी चीन के सीछेन प्रांत की केंची कांउंटी की सशी टाउनशिप में हुआ। वर्ष 1944 में उन के जन्मस्थान के लाछान मठ में एक शानदार रस्म आयोजित की गयी और ऐलान किया गया कि वे ही लाछान मठ के जीवित बुद्ध हैं। वर्ष 1987 में जीवित बुद्ध लाछान को पेइचिंग के बौद्ध विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने का मौका मिला। इस विद्यालय से स्नातक होने के बाद जीवित बुद्ध लाछान विद्यालय का प्रबंध और शिक्षा कार्य करने लगे। कुछ समय बाद उन्हें इस विद्यालय का उप प्रधानाचर्य नियुक्त किया गया। तब से अब तक वे पेइचिंग के बौद्ध विद्यालय में काम कर रहे हैं और उन्हें अपने मठ से बहुत लगाव है। इधर के वर्षों में हालांकि जीवित बुद्ध लाछान पेइचिंग में काम करते रहे हैं पर अपने जन्मस्थान को बहुत याद करते रहे है ।जीवित बुद्ध लाछान का कहना है,मैं अनेक बार अपने मठ वापस लौटा। मैं ने देखा कि मेरे जन्मस्थान का विकास होने के बावजूद कुछ बच्चों के पास पढ़ने के लिए धन नहीं है। यह देख कर मैं ने मन ही मन सोचा कि मैं निर्धन बच्चों को स्कूल में पढ़ने देने के लिए कुछ करूं।जीवित बुद्ध लाछान ने जैसा सोचा, वैसा किया भी। जीवित बुद्ध लाछान के अनुसार वर्ष 1996 में उन्हों ने 4 लाख य्वान से अपने जन्मस्थान सशी टाउनशिप के धानमे गांव में एक स्कूल कायम किया।स्थानीय सरकारी विभाग की पूरी मदद से यहा एक प्राइमरी स्कूल का रूप लेने में सफल रहा। स्कूल में कुल 6 कक्षाएं हैं। इस के अलावा वहां पुस्तकालय भी है और एक बड़ा खेल का मैदान भी है। अध्यापकों के लिए दस आवास स्थल भी वहां हैं।दस अध्यापक इस स्कूल में पढ़ाने के काम में जुटे हैं ।स्थानीय लोगों की इच्छा पर इस स्कूल को जीवित बुद्ध लाछान का नाम दिया गया।लाछान स्कूल अब काफी लोकप्रिय हो गया है । स्थानीय लोग खुशी-खुशी अपने बच्चों को स्कूल में पढ़ने भेजते हैं ।आधुनिक साज सामानों से सजे लाछान स्कूल में निर्धन बच्चे लगन से पढ़ते हैं। वर्ष 1999 में जीवित बुद्ध लाछान ने 26 हजार य्वान खर्च कर इस स्कूल को अनेक टेलिफोन सेट दिये। जीवित बुद्ध लाछान ने स्कूल के पास एक छोटी सी दुकान भी खोली है और हर वर्ष इस दुकान से कमाये मुनाफे को वे शत प्रतिशत लाछान स्कूल के विकास में लगाते हैं।
वर्ष 1999 में जीवित बुद्ध लाछान ने अपने जन्मस्थान के अन्य दो स्कूलों से दस छात्रों को चुन कर पेइचिंग के तिब्बती मिडिल स्कूल में पढ़ाई जारी रखने के लिए भेजा। इस में जीवित बुद्ध को समाज के बहुत से लोगों की सहायता प्राप्त हुई। पेइचिंग म्युनिसिपलटी की जातीय मामला समिति समेत बहुत सी सरकारी व गैरसरकारी इकाइयों ने इन दस तिब्बती छात्रों को एक लाख य्वान दान के रूप में दिये। इस की चर्चा में जीवित बुद्ध लाछान ने कहा कि गत वर्ष इन दस छात्रों में से दो को पेइचिंग के तिब्बती मिडिल स्कूल से पेइचिंग के उच्चशिक्षालयों में अपनी पढ़ाई जारी रखने का मौका मिला । बाकी 8 छात्रों को इस वर्ष यहां से निकलने के बाद उच्चशिक्षालयों में पढ़ाई जारी रखने का मौका प्राप्त होने की संभावना है। जीवित बुद्ध लाछान के अनुसार ये दस तिब्बती छात्र उच्चशिक्षालयों से स्नातक होने के बाद अपने जन्मस्थान वापस लौट कर अपनी प्रतिभा का प्रयोग करने की कोशिश करेंगे।

यहां बता दें कि आज जीवित बुद्ध लाछान के जन्मस्थान के 3 हजार गांववासियों को नल के पानी की सुविधा प्राप्त है। इस से उन वे बड़े खुश हैं। उन का कहना है कि हम जीवित बुद्ध लाछान के आभारी हैं।स्थानीय लोगों का कहना है कि जीवित बुद्ध लाछान सचमुच ही स्नेहिल हैं। वे उन को सम्मान और प्यार देते हैं। दोस्तो, आप को याद होगा कि अपने कार्यक्रम की पिछली कड़ी में हम ने जीवित बुद्ध लाछान को उपहार स्वरूप हाता नामक तिब्बती गीत प्रस्तुत किया था। आज हम जीवित बुद्ध लाछान को उपहार में एक अन्य तिब्बती गीत प्रस्तुत करना चाहते हैं। गीत का नाम है स्नेहमयी मां । गीत की प्रस्तुति तिब्बती गायक यातुड की है । तिब्बती गायक यातुड एक लोकप्रिय गायक हैं। उनका स्नेहमयी मां नामक गीत भी बहुत लोकप्रिय है।