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(GMT+08:00) 2005-04-07 14:55:22    
चित्र के आधार पर तैयार उद्यान ने उस जमाने का अद्भुत दृश्य

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प्रिय दोस्तो , आप को मालुम हुआ होगा कि चीन की राजधानी पेइचिंग के प्राचीन प्रासाद म्युजियम में देश का अद्भुत बेशकीमती चित्र छिंग मिंग शांग ह नामक एक बहुत विशाल चित्र सुरक्षित है । यह विशाल चित्र आज से कोई 900 साल से पहले बनाया गया है । आज उस समय की राजधानी ब्येन ल्यांग यानी आज के ह नान प्रांत के खाई फूंग शहर में इसी छिंग मिंग शांग ह नामक विशाल चित्र के आधार पर एक अपने ढंग का उद्यान निर्मित हो गया है , अच्छा अब हम इस उद्यान को देखने चलते हैं ।

चित्रकार चांग च त्वान द्वारा रचित छिंग मिंग शांग ह नामक चित्र में मुख्यतः सैकड़ों सालों से पहले खाई फूंग शहर की भव्यता व समृद्धिशाली दृश्यों का चित्रण किया गया है , जिस में घाटों पर जलीय परिवहन की व्यस्ता ज्यादा नजर आती है । क्योंकि उस समय खाई फूंग शहर में जलीय परिवहन अत्यंत विकसित था , ब्येनह नदी तत्काल में खाई फूंग शहर को देश के दूसरे क्षेत्रों से जुड़ाने वाला प्रमुख मार्ग ही थी । हमारे साथ आयी गाइड सुश्री चंग च्वान ने परिचय देते हुए कहा कि सुंग राजवंश काल में खाई फूंग की आबादी 16 लाख तक पहुंच गयी थी । उस समय खाई फूंग शहर में ब्येन ह नदी नामक एक नहर खोदी गयी , इसी नहर की वजह से खाई फूंग शहर ने तत्काल के अन्य दो प्रसिद्ध शहर छांग आन व लो यांग की जगह लेकर सुंग राजवंश की राजधानी का रूप ले लिया ।

पहले मैं ने सोचा कि सिर्फ छिंग मिंग शांग ह नामक विशाल चित्र में खाई फूंग शहर के तत्कालीन रौनकदार दृश्य देखने को मिलता है । लेकिन इस उद्यान ने सचमुच ही मुझे अचंभे में डाल दिया है । क्योंकि पुनर्निर्मित घाट पर खड़े होकर आप को नदी में मालों से भरे सुंग राजवंश में प्रचलित जहाज एक के बाद एक चलते दिखाई देते हैं , जबकि नदी के तट पर अनेक जहाज लंगर डाले हुए माल उतारे जाने का दृश्य नजर आते हैं ।

घाट से होकर हम इस उद्यान की विशेषता वाली सांसारिक सड़क आ पहुंचे । यह सड़क छिंग मिंग शांग ह नामक चित्र के अनुसार उस जमाने के खाई फूंग शहर दैनिक जीवन के नमूने के रूप में निर्मित हुई है । गाइड सुश्री चंग च्वान का कहना है कि इस सड़क पर कुल 15 विशेष वर्कशाप स्थापित हुए हैं , मजे की बात है कि इन वर्कशापों ने अपनी अपनी यह विशेष पहचान बना ली है कि हरेक वर्गशाप में अपनी विशेष वस्तुएं पर्यटकों के सामने तैयार कर बेची जाती हैं ।

सुश्री चंग के साथ हम इन बड़े सुंदर ढंग से सजे वर्कशाप देखने गये । ये सभी वर्कशाप बड़े नहीं कहे जा सकते , करीब 20 वर्गमीटर वाली दुकानों में अनेक किस्मों वाली प्राचीन स्थानीय वस्तुएं रखी गयी हैं और वहां कार्यरत सभी व्यक्ति सुंग राजवंश काल के पोशाकों से सुसज्जित हुए हैं । इसी प्रकार का माहौल बेशक आप को सैकड़ों सालों से पहले के सुंग राजवंश वापस लौटने का आभास करा देता है । सांसारिक सड़क की एक दुकान में मैं ने बेर पेड़ की लकड़ी से बनी एक कंघी खरीद ली । कंघी बनाने वाली युवती ने मझ से कहा कि बेर पेड़ की लकड़ी बहुत टिकाऊ ही नहीं , वह मुहब्बत का प्रतीक भी है , यदि यह कंघी अपने मनपसंद व्यक्ति को भेंट की जाये , तो दोनों के बीच प्रेमभाव हमेशा के लिये बना रहेगा ।

इस उद्यान में आज से सैकड़ों साल पहले के ऐतिहासिक नजारे नजरों की पुनरावृति देखने को मिलती है । उदाहरण के लिये उस जमाने की ग्रामीण चाय घर , बार , मिट दुकान , मंदिर , कठपुतली औपेरा

और आटे से बनायी अनेक रूपों वाली आकृतियां आदि आदि , देखने में बड़ा मजा आता है । इतना ही नहीं , यहां की तीस से अधिक सूक्ष्म कसादाकारी कलाएं देखकर मुझे बड़ा आश्चर्य भी हुआ । इस उद्यान के कर्मचारी ब्येन चुन ने कहा कि ब्येन ल्यांग की कसादाकारी कला चीन की चार प्रसिद्ध कसीदारियों से पहले ही उत्पन्न हुई , क्योंकि यह कला उत्तर सुंग राजवंश से शुरू हुई है । उस समय उत्तर सुंग राजवंश का अंतिम राजा लिपि और चित्र कलाओं का शौकिन था , इसलिये राजमहल में तीन सौ महिला कसादाकारी करती थीं । उत्तर सुंग राजवंश का पतन होने के बाद ये महिलाओं ने दक्षिण चीन जाकर इन कलाओं का प्रचार प्रसार किया । फिर इस के दो सौ साल बाद यानी मिंग राजवंश की शुरूआत में सूचाओ की कसादा कला पैदा हुई , धीरे धीरे हूनान प्रांत की श्यांग कसीदा व क्वांगतुंग प्रांत की य्वे कसीदा कलाओं का जन्म हुआ ।

क्योंकि आज से कोई 900 साल से पहले चित्रकार चांग च त्वान ने खाई फूंग का मनोहर दृश्य अपने छिंग मिंग शांग ह नामक चित्र में चित्रित किया , इसीलिये आज इसी चित्र के आधार पर तैयार उद्यान ने उस जमाने का अद्भुत दृश्य लोगों के सामने ला खड़ा कर दिया है ।

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