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(GMT+08:00) 2005-04-01 14:23:49    
छिङ राजवंश में विदेशों के साथ चीन के संबंध

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मिङ राजवंश के अन्तिम और छिङ राजवंश के प्रारम्भिक काल में हालैण्ङ और स्पेन के उपनिवेशवादियों ने विभिन्न मौकों पर थाएवान पर हमले किए और उस के दक्षिणी व उत्तरी भाग पर कब्जा कर लिया। बाद में इन उपनिवेशवादियों ने स्पेनी उपनिवेशवादियों को द्वीप से बाहर खदेड़ दिया और वहां की जनता का बड़ी क्रूरता व निर्दयता से उत्पीड़न किया। चीनी जनता ने उनका जोरदार प्रतिरोध किया।

1661 में छिङ विरोधी जनरल चङ छङकुङ और उस के सैनिक श्यामन व चिनमन से थाएवान की ओर रवाना हुए। उन्होंने थाएवान की जनता के समर्थन से डच उपनिवेशवादियों को द्वीप से बाहर भगा दिया और थाएवान में अपनी हुकूमत कायम की।

यह हुकूमत 1683 तक कायम रही, जबकि छिङ सेना ने उस पर हमला करके थाएवान का मुख्यभूमि से पुनः एकीकरण कर दिया। छिङ सरकार ने इस द्वीप का प्रशासन चलाने के लिए थाएवान प्रिफेक्चर का दफ्तर कायम किया और प्रतिरक्षा के उद्देश्य से वहां अपनी सेना तैनात की। तब से मुख्यभूमि और थाएवान के बीच के आर्थिक व सांस्कृतिक संबंध और घनिष्ठ हो गए।

जारशाही रूस चीन से बहुत दूर स्थित एक योरपीय देश था। 16वीं और 17वीं शताब्दियों में उस ने पूर्व की ओर फैलकर साइबेरिया की विशाल भूमि पर कब्जा कर लिया। उस के फौरन बाद उस ने चीन को अपने आक्रमण का निशाना बनाया। 1643 से उस ने चीन की हेइलुङ नदीघाटी में हमलों, आगजनी और हत्याओं का सिलसिला शुरू कर दिया और क्रमशः याखसा और नीफछू जैसे शहरों पर कब्जा कर लिया। छिङ सम्राट खाङशी ने रूस की प्रसारवादी कुआकांक्षा पर काबू पाने के लिए उस पर जबरदस्त जवाबी हमला किया।

1689 में चीन और रूस के बीच समानता के सिद्धान्त के आधार पर नीफछू सन्धि पर हस्ताक्षर हुए। इस सन्धि के अनुसार दोनों देशों के बीच की पूर्वी सीमा कोरबिजा नदी, अरखुना नदी और बाह्य हिङकान पर्वतश्रंखला से होती हुङ पूर्व में समुद्रतट निर्धारित की गई, तथा बाह्य हिङकान पर्वतश्रंखला के दक्षिण और कोरबिजा व अरखुना नदियों के पूर्व के इलाकों को चीन की प्रादेशिक भूमि मान लिया गया। सन्धि में कानूनी और औपचारिक रूप से इस बात की पुष्टि कर दी गई कि हेइलुङ नदीघाटी और ऊसूली नदीघाटी का विशाल इलाका, जिसमें साखालिन द्वीप भी शामिल है, चीन का ही भूभाग है।

16वीं शताब्दी में कुछ योरपीय देश प्रारम्भिक पूंजीवादी संचय की मंजिल पर पहुंच गए थे और उपनिवेशवादियों ने समुद्रपार के देशों में लूटखसोट शुरू कर दी थी। पूर्वी देशों में सब से पहले कदम रखने वाले योरपीय आगन्तुक पुर्तगाली थे। 1511 में उन्होंने मलक्का को जीत कर चीन के क्वाङतुङ प्रान्त के तटवर्ती क्षेत्र पर छापे मारने शुरू किए। लेकिन मिङ राजवंश की सेना और जनता ने उनको मार भागया।

1553 में पुर्तगालियों ने स्थानीय चीनी अफसरों को घूस देकर पट्टे पर भूमि लेने के नाम पर आओमन के एक हिस्से पर कब्जा कर लिया। 1557 में उन्होंने आओमन में अपने अधिकृत क्षेत्र का गैर कानूनी रूप से विस्तार कर लिया और प्रशासनिक दफ्तर कायम करना तथा किलेबंदियां बनानी शुरू कर दी। वास्तव में वे आओमन को अपना एक उपनिवेश मानने लगे थे। इस प्रकार आओमन अब चीनी प्रदेश का पहला टुकड़ा बन गया, जिस पर एक पश्चिमी देश के उपनिवेशवादियों का गैरकानूनी कब्जा हो गया था। फिर भी चीन ने आओमन में अपना खुद का प्रशासन और प्रभुसत्ता कायम रखी।