प्रिय मित्रो ,जैसा कि आप जानते हैं कि चीन का भ्रमण कार्यक्रम में हम आपको खाई फूंग राजभवन और उस की विशेष वास्तुशैली और चीन के इतिहास और अनेक प्रसिद्ध हस्तियों की जानकारी भी दे चुके हैं। ऐसे सुप्रसिद्ध कर्तव्यपरायण व स्वच्छ शासकों व ऐतिहासित हस्तियों में से पाऔ कुंग भी जाना जाते हैं।
कोई हजार वर्ष पहले सुंग राजवंश के एक अधिकारी की हैसियत से पाऔ कुंग ने कानूनों के कड़े पालन के कारण चीनी भूपतियों के बीच बड़ा सम्मान प्राप्त किया। चीनी लोग उन्हें आज भी प्यार से पाऔ कुंग कह कर पुकारते हैं। पाऔ कुंग इंसाफ के लिए राजा के दामाद और अपने भतीजे को मृत्युदंड देने में भी नहीं हिचके। इसलिये आज तक भी एक बहुचर्चित औपेरा अत्यंत लोकप्रिय रहा है , जिस में पाऔकुंग की निस्वार्थ भावना, वीरता , स्वच्छ शासन और असाधारण कारनामे का गुणगान करता है। आप को याद भी होगा कि यह मर्मस्पर्शी कहानी पहले हम ने इस कार्यक्रम में सुना दी है । जी हां , पहले हम आप को खाई फूंग राजभवन , जहां पाओकुंग राजकीय मामलों का निपटारा करते थे , देखने पर ले गये थे । इसलिये उस राजभवन के आंगन में खड़े शिलालेख के बारे में दिलचस्प जानकारी आप को भी प्राप्त हुई ।
अच्छा मित्रो , शिलालेख देखने के बाद आज हम खाई फूंग राजभवन के सब से भव्य प्रमुख कक्ष देखने जा रहे हैं ।
अतीत में खाई फूंग के शासक इसी प्रमुख कक्ष से राजनीतिक आदेश जारी करते थे। वे यहां राष्ट्रीय मामले निपटाते थे और महत्वपूर्ण मुकदमों की सुनवाई करते थे। कक्ष के केंद्र में एक सुंदर श्यामपट्ट लटका हुआ है। उस पर सुनहरे रंग में दो शब्द न्याय व निष्पक्षता अंकित हैं। यह लोगों को गम्भीरता का आभास कराता है।
प्रमुख कक्ष के बीचोंबीच खड़े एक लम्बे मेज पर बांस के लाल व काले पट्टे रखे हैं। लाल पट्टों का प्रयोग इस राजभवन में शासक अपराधियों को सजा देने में करते थे, जबकि काले अपराधियों को पकड़ने के वारंट की तरह काम में आते थे।
इस प्रमुख कक्ष में लम्बे मेज के सामने एक मीटर से भी लंबी तीन कांस्य तलवारे रखी हैं। इन तीन तलवारों पर अलग-अलग तौर पर ड्रैगन, बाघ और कुत्ते के सिर चित्रित हैं। सुना जाता है कि इन तीनों तलवारों का प्रयोग अलग-अलग वर्ग के अपराधियों को मुत्युदंड देने में किया जाता था। तब चाहे राजा हो या आम प्रजा भारी अपराध करने वाले को इन तलवारों से सजा दी जाती थी। पेइचिंग से आयी पर्यटक सुश्री चांग श्यू फू ने अपने बेटे को इन तलवारों के बारे में बता रही हैं कि यदि राजपरिवार का व्यक्ति भारी अपराध करता, तो उसे मुत्यु की सजा देने के लिए ड्रैगन के सिर वाली तलवार का प्रयोग किया जाता था। यदि राजकीय अधिकारी ऐसा अपराध करता, तो बाघ के सिर वाली तलवार से उस का सिर काटा जाता और यदि आम जन कोई बड़ा अपराध करता, तो उस का सिर काटने के लिए कुत्ते के सिर वाली तलवार का प्रयोग किया जाता।
मित्रो , पाऔ कुंग की न्यायप्रियता और उन के प्रति आम चीनियों के आदर भाव को जानने के बाद शायद आपकी भी पाऔकुंग में रुचि बढ़ गई होगी। खाई फूंग के राज भवन के शुद्ध हृदय नामक भवन में पाऔ कुंग से संबंधित बहुत सी सामग्री आज भी सुरक्षित है ।
आम लोगों का विचार है कि पाऔकुंग बहुत हृष्ट-पुष्ट थे और उन के चेहरे का रंग बहुत गहरा था। पर शुद्ध हृदय भवन में खड़ी 3.8 मीटर ऊंची व 5.6 टन भार वाली पाऔ कुंग की कांस्य मूर्ति के सामने खड़े गाइड श्री चाओ ने कहा कि दरअसल पाऔकुंग बहुत गोरे, शिक्षित और सज्जन थे। पुराने समय में सांस्कृतिक प्रचार-प्रसार का माध्यम औपेरा ही था। और औपेरा की परम्परा में गोरा चेहरा भ्रष्टाचारी का प्रतीक माना जाता है, जबकि काला चेहरा शिष्ट व निस्वार्थ अधिकारी का। इसलिये पाऔकुंग के चेहरे को औपेरा में काला दिखाया गया। हां पाऔकुंग बड़े कद के नहीं थे।
खाई फूंग के राजभवन में स्थानीय लोगों ने पाऔ कुंग की याद में एक मोमबत्ती मूर्ति संग्रहालय भी स्थापित किया है। इस में रखी मूर्तियों में पाऔकुंग के जीवन और अमर कारनामों का जीता-जागता चित्रण किया गया है।
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