यह चाइना रेडियो इंटरनैशनल है। सवाल-जवाब कार्यक्रम सुनने वाले श्रोताओं को श्याओलीन का नमस्कार।
आज के इस कार्यक्रम में हम कोआथ, बिहार के सुनील केशरी, डी डी साहिबा, संजय केशरी, सीताराम केशरी, किशोर कुमार केशरी, सोनू कुमार केशरी, राज कुमार केशरी, भागलपुर, बिहार की नाजनी हसन, तमन्ना हसन,कलेर, बिहार के मो आसिफ खान, आजमगढ़, उत्तरप्रदेश के मोहम्मद शाहिद आजमी, मोहम्मद नौशाबा परवीन आजमी और मऊ, उत्तरप्रदेश राजेन्द्र यादव भारती, उषा देवी भारती व जीपाजंली के पत्र शामिल कर रहे हैं।
आइए, अब आजमगढ़, उत्तरप्रदेश के मोहम्मद शाहिद आजमी मोहम्मद नौशाबा परवीन आजमी और मऊ,उत्तरप्रदेश के राजेन्द्र यादव भारती, उषा देवी भारती व जीपाजंली का पत्र देखें। उन्होंने अपने पत्रों में चीन की प्रशासनिक व्यवस्था के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी है।
दोस्तो, चीन का पूरा नाम चीन लोक गणराज्य है। इस की स्थापना 1 अक्टूबर,1949 को हुई। चीन का कुल क्षेत्रफल 96 लाख वर्गकिलोमीटर से भी अधिक है। इस दृष्टि से यह विश्व में रूस और कनाडा के बाद तीसरे स्थान पर आता है। चीन के प्रशासनिक क्षेत्र चार श्रेणियों में बंटे हैं। पहली श्रेणी में प्रांत, स्वायत्त प्रदेश और केन्द्रशासित शहर शामिल हैं, दूसरी में प्रिफेक्चर, मगं, स्वायत्त प्रिफेक्चर और शहर शामिल हैं, तीसरी श्रेणी में जिले, स्वायत्त जिले, छी, स्वायत्त छी, और जिला स्तरीय शहर आते हैं तो चौथी श्रेणी में टाउनशिप, अल्पसंख्यक जातीय स्वायत्त टाउन और कस्बे।
दू सरी श्रेणी के प्रशासनिक क्षेत्रों के मंग भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश में ही हैं, जो प्रिफेक्चर के बराबर हैं और तीसरी श्रेणी के प्रशासनिक क्षेत्रों के छी भी भीतरी मंगोलिया स्वायत प्रदेश में ही हैं, और जिले के बराबर माने जाते हैं।
चीन में पहली श्रेणी के कुल 34 प्रशासनिक क्षेत्र हैं, जिन में 23 प्रांत, 5 स्वायत्त प्रदेश, चार केन्द्रशासित शहर और दो विशेष प्रशासनिक क्षेत्र शामिल हैं। शहरों, स्वायत्त प्रिफेक्चरों, और मंग की कुल संख्या 670 है। जिला स्तर के प्रशासनिक क्षेत्र 2868 हैं, जिन में तीन द्वीपसमूह भी शामिल हैं।
और अंत में कोआथ, बिहार के विश्व रेडियो श्रोता संघ के सुनील केशरी और डी डी साहिबा के पत्र पर एक नजर डालें। इस बार उन्होंने पूछा है, वर्ष 2004 की 22 अगस्त को चीन ने किस महान नेता की 100 वीं जयंती मनाई।
दोस्तो, 22 अगस्त, 2004 को चीन ने दिवंगत तंग श्याओ-फिंग की सौवीं ज्यंती मनाई। श्री तंग चीन के महान नेता, राजनीतिज्ञ, युद्धकला विशारद और कूटनीतिक थे। उन्होंने चीन के सुधार व खुलेपन की नीति तैयार की। उन्हें चीन में सुधार, खुलेपन व आधुनिकीकरण का प्रवर्तक माना जाता है।
श्री तंग श्याओ-फिंग का जन्म 22 अगस्त, 1904 को दक्षिण-पश्चिमी चीन के सछ्वान प्रांत के क्वांगआन जिले में हुआ। वर्ष 1920 में वे पढ़ने फ्रांस गए। 1922 में उन्होंने चीनी समाजवादी युवा लीग की सदस्यता पाई और दो साल बाद चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बने।
1927 में वे स्वदेश लौटे और जल्द ही पार्टी के कार्य में सक्रिय हो गये। उन्हें पार्टी का महासचिव नियुक्त किया गया। वे श्री माओ त्से-तुंग के पक्षधर थे। चीनी लाल सेना के लम्बे अभियान में भी उन्होंने भाग लिया।
जापानी आक्रमणविरोधी युद्धकाल में वे अग्रिम मोर्चे में सक्रिय रहे। चीन के मुक्ति युद्ध काल में उन्होंने चीन के मशहूर युद्धकला विशारद श्री ल्यू पो-छंग के साथ मिल कर कोमिंतांग प्रतिक्रियावादी सरकार की सेना के खिलाफ अनेक युद्धों का संचालन किया और जन मुक्ति युद्ध में बड़ा योगदान किया।
नए चीन की स्थापना के पूर्व उन्हें नवगठित सरकार का मंत्री नियुक्त किया गया और फिर पार्टी की केन्द्रीय कमेटी का महासचिव बनाया गया।
श्री तंग ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 11 वीं केन्द्रीय कमेटी के तीसरे पूर्णाधिवेशन की अध्यक्षता की, पार्टी का ऐतिहासिक परिवर्तन किया, और समाजवादी आधुनिकीकरण के निर्माण को पार्टी व राज्य का मूल कार्य बनाया।
श्री तंग के तत्वावधान में नए चीन की स्थापना के बाद चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने अनेक ऐतिहासिक समस्याओं पर प्रस्ताव पारित किये। इन प्रस्तावों में नए चीन की स्थापना के बाद के 32 सालों में सांस्कृतिक क्रांति समेत अनेक अहम ऐतिहासिक घटनाओं का मुल्यांकन किया गया, माओ त्से-तुंग के ऐतिहासिक स्थान का मूल्यांकन हुआ और पार्टी की निर्देशक विचारधारा के रूप में माओ त्से-तुंग विचारधारा के अहम महत्व पर प्रकाश डाला गया।
श्री तंग ने एक देश, दो व्यवस्थाओं का सिद्धांत प्रस्तुत कर हांगकांग व मकाओ सवालों का सफल निपटारा किया। उन्होंने चीनी जनता के लिए चीनी विशेषताओं वाले समाजवाद के निर्माण का रास्ता तैयार किया।
19 फरवरी,1997 को, उन का पेइचिंग में निधन हुआ।
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