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(GMT+08:00) 2005-03-28 15:12:20    
चीनी परम्परागत ऑपेरा---खुनछु ओपेरा

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सन् 2001 के संयुक्त राष्ट्र के मानवता के मौखिक और अछूत धरोहर नामक एक याचिका के सर्वप्रथम स्थान में खुन्छु ओपेरा का जिक्र किया गया है। इसी के अंतर्गत "दी पेलेस अफ़ ईटर्नोल युथ"को सबसे अच्छा और सर्वोच्च प्रदर्शन वाली खुन्छु का खिताब दिया गया । सत्रह और अठारह शताब्दीयों को खुन्छु ओपेरा का स्वर्णिम समय बताया गया है।चीनी थीएटर के इतिहास में इस दौरान इसकी शैली की तुलना किसी और कला से नहीं की जा सकती। थाईवान के एक मशहूर लेखक के अनुसार खुन्छु ओपेरा में चीनी संगीत,नृत्य,साहित्य और लोगों के जोश का सार है।खुन्छु ओपेरा को शुरू से ही समाज के ऊँचे दर्जे के लोगों का प्रोत्साहन और आम जनता का समर्थन मिला है। लेकिन इसकी विशेष बात यह है कि दूसरे चीनी ओपेराओं के मुकाबले इस पर अभिजात वर्ग के संस्कृति का सर्वाधिक असर पड़ा है।इसी वजह से इसे पारम्परिक चीनी ओपेरा का आदर्श माना जाता है।

होंग शङ जिन्हें, चीन के मशहूर नाट्यलेखकों में से एक माना जाता है, और जिन का जन्म सन्1645 में,  दक्षिणि चीन के हांग चो शहर में हुआ, के "दी पेलेस अफ़ ईटर्नोल युथ", मिंग राजवंश के मशहूर नाट्यलेखक थांग श्येन जू के " पिओनी पाविलियन ", दोनों को खुन्छु के सर्वश्रेष्ठ रचना माना जाता है। सन् 2004 में थाईवान के पुन्जीकर्ता यह दोनों ओपेराओं को चीन में फीर से वापस ले आए ताकि वर्तमान में भी इन दोनों महानरचनाओं का आनन्द लिया जा सकें जो साथ ही साथ चीन के प्राचीन सभ्यता और थीएटर के प्रतीक हैं।

फरवरी, 2004 में "दी पेलेस अफ़ ईटर्नोल युथ" को थाईवान के राजधानी थाइपेइ में दिखाया गया.इसे पांच बार दिखाया गया और इस दौरान थीएटर दर्शकों से भरा हुआ था । होंग शङ के 300वीं वर्षगांठ के अवसर पर थाईवान के इस नाटख कम्पनी ने बेईजिंग में पिछले साल,दिसम्बर में इस ओपेरा का मंचन किया।इस वर्ष भी यह ओपेरा चीन के भिविन्नसांस्कृतिक और ऐतिहासिक शहरों में,हांगकांग और फिर युरोप में इसका मंचन किया जायेगा।खुन्छु के पुनर्जीवन से चीन के लोगों को उनके संस्कृति का एक बहुमूल्य हिस्सा वापिस मिला है।

ऊची श्रेणी की कला तब तक जीवित रहती है जब तक उसे सराहने के लिए लोग मौजूद हो।1980 की दशक से 1990 की दशक के शुरुआत तक दर्शको के मुकाबले कलाकारों की तादाद ज्यादा थी.थीएटर जाने वाले जिन लोगों को खुन्छु की खास जानकारी नहीं है,समझते थे कि यह एक धीमे शेली,अत्यन्त औपचारिक, और सुरूचिपूर्ण नाट्यसंगीत है औऱ इसी वजह से लोग इससे दूर भागते थे।

सत्रहवी और अठारहवी शताब्दीयों में,खुन्छु उतना ही लोकप्रिय था जितने की आज के पाप संगीत।

खुन्छु का जन्म यांगत्स नदी के नीचले क्षेत्रों के दक्षिणी भाग में हुआ। विख्यात ऐतिहासिक औऱ सांस्कृतिक शहर सुचोउ, मिंग राजवंश (1368-1644) औऱ छिंग राजवंश (1644-1911)के दौरान, इसका केन्द्र था।सुचोउ की क्षेत्रिय बोली वु में इसका संगीत रचा जाता है जिस वजह से इस में एक खास मधुरता है और यही इसकी खासियत भी है । आम तौर पर खुन्छु ओपेरा प्रेम कहानियों पर आधारित होती है।कुछ विशेयज्ञों के अनुसार यह महज एक मनोरंजन का माध्यम ही नहीं बल्कि एक ऐसी कला है जो हम में सौंदर्यपरक शक्ति को बढ़ाता है।

खुन्छु-पुराना या नया

थाइवान विश्वविद्यालय के जङ योंग यी के अनुसार,पिछले 450 वर्षों में अनेक प्रकार के खुन्छु के रचनाएँ पायी गयी हैं, पर "दी पेलेस अफ़ ईटर्नोल युथ" एक ऐसी रचना है जो इसके साहित्यिक और कलात्मक श्रेष्ठता को दर्शाता है ।उनके अनुसार थांग राजा श्वान जोंग और उन प्रेमिका यांग यू ह्वान , इस ओपेरा में चीनी प्रेम के आदर्श को बेहतरीन तरीके से दर्शाता है । पारम्परिक खुन्छु काफी लम्बे होते थे और एक बार आरम्भ किया गया तो समाप्त करने के लिए कभीकभी 50 दिन लग जाते थे ।"दी पेलेस अफ़ ईटर्नोल युथ" जैसे रचना के ही 50 भाग है लेकिन मशहूर थीएटर निर्देशक गू डू ह्वान ने 28 भागों को चुनकर 3 रातों में प्रदर्शित किया । श्री गू डू ह्वान का मानना है कि'पारम्परिक,पारम्परिक और ज्यादा पारम्परिक'इस आधार पर वे खुन्छु पर काम करते हैं । श्री गू डू ह्वान के अनुसार इस लोककला को दूसरे लोककलाओं से उतना खतरा नहीं है जितना की इसे खुन्छु से संबंधित उन लोगों से है जो इसे आधुनिक और पाशचात्य बनाने की कोशिश कर रहे हैं। श्री गू डू ह्वान के अनुसार मूल रूप से 500 प्रकार के खुन्छु थे पर अभी सिर्फ 200 ही रह गये है।

"दी पेलेस अफ़ ईटर्नोल युथ",खुन्छु ओपेरा ही नहीं बल्कि अपनेआप में एक महान कला है।यह एक सुन्दर सपना भी है,एक ऐसा सपना जो एक नये सुबह का आगमन कर रहा है जिस में चीन के लोग फिर से अपने संस्कृति के एक अभिन्न अंग को दोबारा प्राप्त करेंगे।