सिन्चांग का दौरा विशेष कार्यक्रम में आज सिन्चांग के विदेश व्यापार के मशहूर उद्यमी श्री छन चीफङ के बारे में एक आलेख प्रस्तुत है । वर्ष 2004 में सिन्चांग की वैदेशिक आयात निर्यात रकम पांच अरब 60 करोड़ अमरीकी डालर दर्ज हुई , जो पश्चिमी चीन के 12 प्रांतों व स्वायत्त प्रदेशों में प्रथम स्थान पर थी । उस साल सिन्चांग की येमा व्यापार कंपनी ने करीब 70 करोड़ अमरीकी डालर का व्यापार किया , जो सिन्चांग में प्रथम नम्बर का था । येमा व्यापार कंपनी के संस्थापक श्री छन चीफङ प्रदेश में अत्यन्त प्रसिद्ध है , जिन्हें लोगों में सिन्चांग के वैदेशिक व्यापार का बादशाह कहलाते हैं ।
सिन्चांग की येमा व्यापार कंपनी की स्थापना वर्ष 1994 में हुई थी , प्रारंभिक काल में कंपनी से मालों की आयात निर्यात मात्रा सिर्फ सौ टन थी , उस समय वह सिन्चांग के उत्तरी भाग में स्थित एक बहुत छोटी कंपनी थी । लेकिन पिछले दस सालों के अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप इस कंपनी का व्यवसाय विस्तृत हो कर वैदेशिक आयात निर्यात , कृषि उपजों की खरीद फरोख्त व प्रोसेसिंग , परियोजनाओं के निर्माण ठेकों तथा दूसरों के मालों के प्रोसेसिंग जैसे अनेक क्षेत्रों में प्रवेश कर गया और कंपनी ने 20 से अधिक देशों के साथ व्यापारिक संपर्क कायम किया । तो आप पूछेंगे कि दस सालों के अंतराल में एक छोटी कंपनी किस तरह सिन्चांग की मशहूर बड़ी कंपनी बन गई ।
हाल ही में मैं ने सिन्चांग के विदेश व्यापार के बादशाह श्री छन चीफङ से मुलाकात की । सिन्चांग येमा व्यापार कंपनी के बोर्ड अध्यक्ष श्री छन चीफङ देखने में बड़ा तेजस्वी और प्रबल दिखते हैं । कंपनी के विकास के बारे में उन्हों ने मुझे बतायाः
मैं ज्वंगर बेसिन के आल्थाई क्षेत्र में पला बढ़ा हूं । बालावस्था में मैं कजाख जाति के लोगों में रहता था। मैं ने इस आशा से अपनी कंपनी का नाम येमा इसलिए रखा है कि कंपनी जंगली घोड़े की भांति व्यापार क्षेत्र में खुले और वेग गति से दौड़े । येमा का अर्थ है जंगली घोड़ा।
श्री छन चीफङ ने कहा कि कंपनी के विकास के लिए मुझे बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था । कंपनी की स्थापना के प्रारंभिक काल में हम चीन के शुगर और प्रट्रोल के बदले में कजाखस्तान से बकरी के ऊन और चमड़े खरीदते थे । अपने अपरिचित विदेशियों के साथ व्यापार करने तथा सिन्चांग के लम्बे सीमांत क्षेत्र में आने जाने में अनेक मुसिबतें और कठिनाइयां झलीं थी । वे कहते हैः
विशाल सिन्चांग में यातायात व परिवहन का रास्ता बहुत लम्बा है , हमारी कंपनी व्यापार के साझेदार कजाखस्तान के विभिन्न प्रांतों से कम से कम पांच छै सौ किलोमीटर है और दूर तो कई हजार किलोमीटर । हम विदेश की भाषा नहीं जानते थे , दुभाषिया पर निर्भर रहना पड़ा । हम सड़क परिवहन से मालों की ढुलाई करते थे , एक बार तीन चालीस ट्रक साथ साथ चले जाते थे , हजार किलोमीटर का रास्ता तय करने में पांच छै दिन लगते थे , यदि रास्ते में कहीं गाड़ी खराब हुई , तो तोबा तोबा कहना पड़ा ।
लेकिन सब से कठिन काम तो अन्तरराष्ट्रीय व्यापार और विदेशी बाजार से अज्ञात होना था । रूबल का अवमूल्यन हुआ , मालों को अकारण जब्त तथा व्यापार में ईमानदारी का अभाव सब कुछ हो सकता था , जिस से छन की कंपनी कभी दिवाला होने वाला भी रहा था ।
लेकिन किसी भी कठिनाई से श्री छन चीफङ का सिर नहीं झुका । युवावस्था में वह सेना का जीवन बिता चुका था , जिस से उस का मनोबल काफी दृढ़ तैयार हो गया । उस ने अपने कर्मचारियों के साथ लाख मुसिबतों को दूर कर कंपनी का निरंतर विकास किया । उस के शब्दों में कंपनी का विकास कंपनी के कर्मचारियों की कड़ी मेहनत तथा सहनशीलता और जोखिमों के मुकाबले की हिम्मत पर निर्भर है ।
कंपनी के लिए ईमानदारी , साख और विश्वास बहुत महत्वपूर्ण है । वर्ष 1998 में येमा कंपनी ने एक मध्य एशियाई देश के व्यापारी के साथ 60 टन जंग रहित इस्पात के आयात पर अनुबंध किया , हर टन का दाम 3700 अमरीकी डालर था । माल का जायज करने के बाद सोदा पक्का कर दिया गया , लेकिन उसे देश में लाने के बाद पता चला कि वह धोखे में आया , तकनीक के ज्ञान की कमी के कारण उसने क्रोमे मॉलिब्डेनम स्टील को जंग रहित इस्पात समझा , जबकि उस का दाम सिर्फ 370 अमरीकी डालर था । इस गलती से छन को एक लाख से अधिक अमरीकी डालर की हानि हुई थी , फिर भी उस ने अनुबंध के अनुसार उस व्यापारी को पूरा पैसा दिया । छन की निस्वार्थ भावना से वह व्यापारी अत्यन्त प्रभावित हुआ और दोनों में दोस्ती कायम हुई और व्यापार के अच्छे रिश्ता भी हो गए । श्री छन कहते हैः
मेरे विचार में कंपनी का विकास स्वयं कंपनी की गुणवत्ता पर निर्भर है , मैं दूसरी कंपनियों के साथ ईमानदारी का बर्ताव करता हूं, चाहे वह चीनी कंपनी हो अथवा विदेशी कंपनी । जब कंपनी की साख कायम हो गई , तो वे हमारी कंपनी के साथ व्यापार करने के इच्छुक हो जाते हैं । वे हमारी कंपनी की साख दूसरी कंपनियों को भी बताना चाहते हैं ।
आरंभिक काल की कठिनाइयों को दूर कर येमा व्यापार कंपनी ने व्यापार क्षेत्र में अपना स्थान बनाया और कंपनी ने व्यापार संचालन के लिए नियमावली भी बनायी है। कंपनी ने कजाखस्तान में एक चीनी तिजारती माल थोक व्यापार केन्द्र खोला , जिस से चीनी माल मध्य कजाखस्तान के बाजारों में प्रवेश हो गए । कंपनी ने कजाखस्तान में स्थानीय विशेष किस्म का दाल खरीद कर जापान , तुर्की और इटाली को निर्यातित करने का काम भी हाथ में ले लिया। वर्ष 2003 में येमा व्यापार कंपनी ने चीन के हांगचाओ शहर की एक कंपनी के साथ सहयोग कर विदेशों को दो लाख काला सफेद रंग वाला टेलीविजन सेटों की असेंबली का सौदा ले लिया , मध्य एशिया में जो पांच लाख काला सफेद रंग वाला टीवी सेट बिकती हैं , वह सब येमा कंपना के माध्यम में वहां पहुंचती है ।
श्री छनचीफङ छोटी मोटी वस्तुओं का व्यापार करने के अलावा बड़े सौदा वाले उत्पादों का भी आयात निर्यात करते हैं । वर्ष 2003 में येमा व्यापार कंपनी ने दो करोड़ पच्चास लाख अन्दर पहनने वाले पातलू का निर्यात किया , जो समान किस्म के उत्पाद पर देश के चौथे स्थान पर आया था । हर पातलू का दाम ऊंचा नहीं है , पर सौदा बड़ा है , इसलिए कंपनी का लाभांश भी उल्लेखनीय है । यह श्री छन चीफङ की स्टीक व्यापार नीति का सुफल है । वे कहते हैः
हमारी कंपनी मध्य एशियाई देशों के साथ व्यापार करती है , इसलिए हमें वहां के जन जीवन , रीतिरिवाज और स्थानीय स्थिति की अच्छी जानकारी रखना चाहिए और इन देशों से गहरा प्यार की भावना रखना चाहिए और उन के ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए वहां का बारीकी से व्यापारिक सर्वेक्षण करना चाहिए । हमारी कंपनी ने कजाखस्तान की नीतियों व व्यापार नियमावलियों तथा मध्य एशिया के कानून कायदों तथा चीन की विदेश व्यापार नीतियों का गहन अध्ययन किया है और उन से लाभ उठाकर व्यापार के मौकों की तलाश करने की कोशिश की है और बड़ी सफलता भी पायी है ।
इधर के सालों में श्री छन चीफङ ने येमा व्यापार कंपनी का व्यवसाय उच्च तकनीकों वाले उत्पादों के व्यापार में भी डाला । कंपनी का पैमाना लगातार विस्तृत हो गया और वह देश विदेश के अहम मुद्दों, शहरी निर्माण , खनन् दोहन और ऊर्जा निर्माण क्षेत्रों में प्रवेश कर गये। कंपनी का व्यापार मध्य एशिया से निकल कर विश्व के दूसरे क्षेत्रों में भी विस्तृत हो गया है ।वे कहते हैः
हमें पक्का विश्वास है कि हमारी कंपनी में पश्चिमी एशिया के बाजारों में प्रवेश करने की भारी निहित शक्ति है । हम पहले की ही तरह साबित कदमों के साथ आगे बढ़ते हुए विश्व बाजार की आवश्यकता के मुताबित अपने व्यापार का विकास करेंगे और ज्यादा से ज्यादा उपलब्धियां प्राप्त करने की कोशिश करेंगे ।
इस आलेख के लिए प्रश्न हैः सिन्चांग का वैदेशिक व्यापार बादशाह कौन है ।
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