वृद्धों का सम्मान करना और उन की देख-भाल करना चीनियों की परम्परागत नैतिकता है।चीनी वृद्ध अपनी वृद्धावस्था अकसर अपने बच्चों के साथ बिताते हैं।सामाजिक विकास और परिवर्तन के साथ साथ चीन में वृद्धों की देख-भाल के ढंगों में भी बदलाव आया है और अनेक वृद्ध अपने लिए विशेष रुप से खोले गए वृद्धाश्रमों में वृद्धावस्था बिता रहे हैं।
ताल्येन शहर की आबादी उनसठ लाख से ज्यादा हैं, जिस का बारह प्रतिशत वृद्ध हैं। वृद्धों की देख भाल के लिए ता ल्येन शहर में इधर के वर्षों में लगभग एक सौ पच्चास से ज्यादा वृद्धाश्रम खुले हैं और ता ल्येन का श्रमिक वृद्धाश्रम वृद्धों का घर माना जाता है।
इस वृद्धाश्रम का पचास वर्षों का इतिहास है। इस का क्षेत्रफल 20 हजार वर्गमीटर से अधिक है, जिस में तीन सौ से ज्यादा मजदूर रहते हैं।बाहर से देखने पर इस की इमारत दूसरी इमारतों से कई फर्क नहीं लगती ,पर इस में प्रवेश करने पर आप पाते हैं कि वह दूसरी इमारतों से बिलकुल भिन्न है, क्योंकि इस में गलिपरि के दोनों किनारें जंगले हैं, जो विशेष कर उन वृद्धों के लिए है, जो अपने आप चलने में असमर्थ हैं।
वृद्धाश्रम की मुख्य सचालिका चांग जिन पो नामक एक अधेड़ महिला हैं। उन्होंने हमें बताया यह वृद्धाश्रम बूढ़ों के लिए अत्यन्त लाभदायक है। उन्होंने कहा, वृद्धाश्रम आने के बाद, वे खुद अलगाव महसूस नहीं करते। जबकि उन के अपने घरों में रहते हुए अलगाव की समस्या का हल नहीं किया जा सकता, इस का कारण यह है कि उन के बच्चों के लिए हर दिन उन के साथ गपशप करना नामुमकिन है। कुछ युवा वृद्धों के साथ आदान-प्रदान तक नहीं करना चाहते ।इस लिए वे यहां अपने मित्र खोज सकते हैं।यों कुछ ने यहां अपने जीवन साथी तक खोज डाले है।
छिहत्तर वर्षीय सुन शी ख्वे की कोई संतान नहीं है। उन्होंने बताया कि वे वृद्धाश्रम में अच्छी तरह खा पी सकते हैं और अच्छी तरह अपना मनोरंटन भी करते हैं।उन्होंने कहा,यहां हम तरह तरह के खाने खा सकते हैं। हर मंजिल पर खेल कमरा भी है, जिस में ताश या शतरंज खेलने जा सकते हैं।यहां अकसर विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन भी होता है। और सुबह हम नाचते भी हैं।
यहां रंग बिरंगा सांस्कृतिक जीवन इन वृद्धों के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है ही, और उन्होंने वृद्धाश्रम में अपनी अपनी रुचि से कुछ सांस्कृतिक संगठनों का आयोजन भी किया है।
वृद्धाश्रम ने उन की रुचि के मद्देनजर लिपी कला दल, आपेरा दल एवं गायन दल भी गठित किये हैं। यही नहीं, वृद्धाश्रम बाहर के वृद्ध सांस्कृतिक संगठनों को कार्यक्रम प्रस्तुति के लिए भी आमंत्रित करता है।
श्रमिक वृद्धाश्रम में सड़सठ वर्ष से एक सौ पांच वर्ष तक के वृद्ध रहते हैं एक सौ पांच वर्षीय चांग श्वन बेटी बेटे के बाप हैं, उन के बच्चे उन के साथ अच्छा बर्ताव करते हैं।पर वे खुद अपने बच्चों को कठिनाई में न डालने की सोचकर वृद्धाश्रम आये। उन्होंने कहा , वृद्धाश्रम आते मुझे दो साल हो गये हैं। हालांकि मेरी पास एक बेटी एक बेटा भी है, उन्हें सब काम करने होते हैं, और मेरा स्वास्थ्य अच्छा नहीं है। इसलिए यहां आने के बाद मुझे बड़ी खुशी हुई है। रहने के लिए यहां साफ सुथरा मकान है, कपड़े धोने के लिए यहां विशेष कर्मचारी निर्धारित किये गये हैं। स्नान करते समय भी एक कर्मचारी मेरे पास रहकर मेरी देख-भाल करता है।
सड़सठ वर्षीय ल्यू लिन ख्वन ने हमें यह कहानी सुनायी। मैंने अपने बच्चों को एकत्र कर एक छोटी पारिवारिक बैठक बुलाई। और कहा कल सुबह नौ बजे मैं वृद्धाश्रम जा रहा है।बच्चों ने मेरा निर्णय अस्वीकार कर दिया औऱ रोने लगे। मैंने कहा कि रोने की जरुरत नहीं है। मैं खुशहाल जिंदगी के लिए वृद्ध सदन जाना चाहता हूं। वहां मेरी देख भाल के लिए विशेष कर्मचारी मौजूद हैं। यह कितनी अच्छी बात है। यदि तुम लोगों के पास समय हुआ, तो वृद्धाश्रम मुझे देख सकते हो। यदि समय नहीं भी रहा है, तो आने की जरुरत नहीं । मैं वहां ठीक-ठाक रहूंगा।
श्री ल्यु लिन ख्वन के बहुत समझाने बुझाने पर, बच्चों ने मान लिया कि उन के पिता को भी अपना जीवन चाहिए। उन्हें रोज काम करना होता हैं, और वे बहुत व्यस्त रहते हैं ।इसलिए उन के पास उन्हीं देख भाल करने का समय नहीं मिलता । तो आखिर श्री ल्यु ने अपने इरादे के मुताबिक श्रमिक वृद्धाश्रम में प्रवेश किया।
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