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आज के इस कार्यक्रम में हम भागलपुर, बिहार की नाजनी हसन तमन्ना हसन, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के चुनिलाल मासूम मिदनापुर, पश्चिम बंगाल के डा. एस एस भट्टाचार्य कोआथ, बिहार के एम एच निर्दोष और कोआथ रोहतास बिहार के सुनिल केशरी, सीताराम केशरी, डी डी साहिबा, प्रियांका केशरी और विजयवाड़ा आंध्रप्रदेश की सुश्री रहमतुन्निसा के पत्र शामिल कर रहे हैं।
आइए सबसे पहले भागलपुर, बिहार की नाजनी हसन और तमन्ना हसन का पत्र लें। उन्होंने पूछा है कि चीन का शाही महल कहां है और वह कब बना।
दोस्तो, वर्तमान में चीन में दो शाही महल सुरक्षित हैं।ये दोनों अलग- अलग तौर पर राजधानी पेइचिंग और उत्तर-पूर्वी चीन के शनयांग शहर में स्थित हैं।
राजधानी पेइचिंग का शाही महल शहर के केन्द्र में स्थित है। यह चीन के दो राजवंशों मिंग और छिंग के कुल 24 राजाओं का निवास स्थान रहा।
मिंग राजवंश की पहली राजधानी पूर्वी चीन का नानचिंग शहर थी। पर बाद में मिंग राजवंश के तीसरे राजा चू ती राजधानी को स्थानांतरित कर पेइचिंग ले आये। पेइचिंग में शाही महल का निर्माण नानचिंग के शाही महल के डिजाइन पर किया गया। इस में कोई दस लाख व्यक्ति लगे और इसका निर्माण 14 साल चला।
इस शाही महल का कुल क्षेत्रफल 7 लाख 20 हजार वर्गमीटर है। महल की दक्षिण से उत्तर तक लम्बाई 961 मीटर है जबकि पूर्व से पश्चिम तक चौड़ाई 753 मीटर। महल को चारों ओर से घेरने वाली दीवार की लम्बाई 3428 मीटर और ऊंचाई 8 मीटर है। इस राजमहल की रक्षा के लिए इस दीवार के चारों कोनों पर बुर्ज बनाये गए और दीवार के बाहर एक नहर भी खोदी गयी।
यह चीन का ही नहीं विश्व का अब तक सुरक्षित सब से बड़ा प्राचीन व आलीशान महल है।
वर्ष 1911 में चीन में हुई क्रांति में छिंग राजवंश का पतन हो गया। इसके साथ ही चीन में 2000 साल पुराना सामंती राज भी खत्म हुआ। इस के बाद राज परिवार का महल से बहिष्कार कर दिया गया और महल को पुरातत्व संग्रहालय का दर्जा दिया गया।
वर्ष 1961 में चीनी राज्य परिषद ने इस प्राचीन महल को चीन के संरक्षित सांस्कृतिक अवशेषों की सूची में रखा। वर्ष 1987 में संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को ने इस महल को विश्व की सांस्कृतिक धरोहरों में शामिल किया।
उत्तर-पूर्वी चीन के शनयांग शहर में भी एक शाही महल है। यह चिंग राजवंश का पुराना महल है। इस का निर्माण वर्ष 1625 में शुरू हुआ और 11 साल में पूरा हुआ। इस महल का क्षेत्रफल कोई 60 हजार वर्गमीटर है।
अब लेते हैं बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के चुनिलाल मासूम का पत्र। उन्होंने पूछा है कि क्या भारत से ल्हासा रेल या बस द्वारा पहुंचा जा सकता है।
भाई मासूम जी, यदि आप भारत से ल्हासा की यात्रा करना चाहते हैं, तो यातायात के अनेक माध्यम चुन सकते हैं। एक रास्ता तो यह है कि पहले आप रेल से नेपाल के निकट जायें और फिर बस से काठमांडू पहुंचे और फिर बस से ही ल्हासा आएं।
आप यात्री विमान से भी काठमांडू जा सकते हैं और फिर बस से ल्हासा आ सकते हैं।
अब चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में राजमार्ग का खासा बड़ा जाल है और वहां बिछाई जा रही रेललाइन का उपयोग शायद 2005 के अंत में शुरू हो जायेगा।
चुन्नीलाल मासूम ने पेइचिंग के क्षेत्रफल के बारे में भी जानकारी मांगी है। अब हम उनकी यह जिज्ञासा भी शांत करने की कोशिश कर रहे हैं।
वर्ष 1989 में पेइचिंग म्युनिसिपल योजना विभाग ने दूर संवेदी तकनीक पर आधारित जो सूचना दी उसके अनुसार पेइचिंग का कुल क्षेत्रफल 16807 वर्गकिलोमीटर था। इस में मैदानी क्षेत्र का क्षेत्रफल 6390.3 वर्गकिलोमीटर और कुल क्षेत्रफल का 38 प्रतिशत बताया गया और पहाड़ी इलाके का क्षेत्रफल 10417.5 वर्गकिलोमीटर जो पेइचिंग के कुल क्षेत्रफल का 62 प्रतिशत बना।
पेइचिंग के अंतर्गत 4 शहरी इलाके, चार निकटस्थ उपगरीय क्षेत्र, 5 दूरस्थ उपनगरीय इलाके और 5 जिले आते हैं।
शहरी इलाके का क्षेत्रफल 87.1 वर्गकिलोमीटर है, नजदीकी उपनगरों का क्षेत्रफल 1282.8 वर्गकिलोमीटर है और दूरस्थ उपनगरों का क्षेत्रफल 6473.8 वर्गकिलोमीटर। पेइचिंग के अधीनस्थ जिलों का क्षेत्रफल 8964.1 वर्गकिलोमीटर है।
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