
जा रोंग का क्वो च्वांग बड़े क्वो च्वांग और छोटे क्वो च्वांग में विभाजित किया जा सकता है। बड़ा क्वो च्वांग गंभीर होता है और इसमें नर्तक धीरे-धीरे नाचते हैं। छोटे क्वो च्वांग में लचीलापन नजर आता है और नर्तक मनमानी से नाचते-गाते हैं। तिब्बती लोग बड़ा क्वो च्वांग मुख्यतः सरकारी अधिकारियों और जीवित बुद्ध जैसे तिब्बत के प्र मुख व्यक्तियों के स्वागत व बिदा की रस्मों या महत्वपूर्ण समारोहों व उत्सवों में नाचते हैं। बड़ा क्वो च्वांग बहुत शानदार होता है।इस में अनेक नर्तक नाचते हैं। देन बा काउंटी के पर्यटन ब्यूरो के श्री थांग श्याओ पींग ने कहा,
क्वो च्वांग में पुरुष व महिला एक साथ नाचते हैं। इसे अधिक से अधिक नर्तक नाचते हैं, तो यह अधिक से अधिक सुन्दर नजर आता है। एक बड़े क्वो च्वांग में आम तौर पर 100 से 200 तक नर्तक होते हैं, जिससे वह बहुत शानदार दिखता है।
श्री थांग श्याओ पींग ने बताया कि पहले बड़े क्वो च्वांग से पहले, भिक्षुओं के लिए पूजा करना या गांवों में आदरणीय बूढ़ों के लिए भाषण देना जरूरी होता था। इस के बाद पुरुष व महिला नर्तक पंक्ति में खड़े होकर प्रमुख नर्तकों के नेतृत्व में गाते हुए नाचते थे। श्री थांग श्याओ पींग के अनुसार, "पहले क्वो च्वांग का संगीत आधुनिक नहीं था। तब नर्तक घंटियों की धुन पर नाचते-गाते थे। शुरू में लोग खुशी मनाने के लिए नाचते और इस के बाद अधिकारियों की प्रशंसा करते और अंत में मठों या मकानों के निर्माण पूरा होने की बधाई देने के लिए नाचते। इस तरह क्वो च्वांग शुभकामना प्रकट करने वाले नृत्य में समाप्त होता।
सामंती समाज में, सरकारी अधिकारियों व जनता के बीच बड़ी खाई थी। आम लोगों को अधिकारियों को देखकर उन्हें सिर झुकाना पड़ता था। वे अधिकारियों की आंखें नहीं देख सकते थे। धीरे-धीरे इस तरह की शारीरिक मुद्राओं को भी क्वो च्वांग नृत्य में शामिल कर लिया गया। बड़े समारोहों में अधिकारियों की भागीदारी जरूरी होती है, इसीलिए, जा रोंग के क्वो च्वांग में नर्तक नाचते समय अपने शरीर को आगे झुकाते हैं और दोनों पांवों को मोड़े रखते हैं। इस तरह वे सम्मान व धर्मपरायणता की भावना प्रकट करते हैं। देन बा काउंटी के पर्यटन ब्यूरो के श्री थांग श्याओ पींग ने कहा, जा रोंग के क्वो च्वांग की प्रमुख विशेषता है हाथों व पैरों के बीच अच्छा मेल होना। अधिकांश समय नर्तक दायें हाथ, दायें पैर और बायें हाथ और बायें पैर को साथ-साथ ऊपर-नीचे करते नाचते हैं। नाचते समय वे गाते भी हैं और संगीत की धुन पर उनके शरीर की मुद्राएं बदलती हैं।
बड़े क्वो च्वांग की तुलना में छोटा क्वो च्वांग आम जन जीवन से अधिक मेल खाता है। छोटा क्वो च्वांग श्रमिकों द्वारा रचे गये लोकगीतों पर चलता है और अकसर पुरुषों व महिलाओं के प्रेम को प्रकट करता है। इसलिए, छोटे क्वो च्वांग की धुनें बहुत आरामदेह हैं, या फिर तेज। छोटे क्वो च्वांग को व्यापक जनता पसंद करती है।
लोग क्वो च्वांग नृत्य किसी समय या स्थल में नाच सकते हैं। यह सचमुच एक लोकनृत्य है, इसलिए, तिब्बती जनता की सच्ची भावना को अच्छी तरह प्रतिबिंबित करता है। क्वो च्वांग के गीतों में अधिकतर श्रम, जीवन, प्रेम और सुन्दर दृश्यों, फूलों व पक्षियों से भरी सुहानी प्रकृति का गुणगान किया जाता है। क्वो च्वांग में जा रोंग तिब्बतियों के ऐतिहासिक युद्धों, धार्मिक पूजा और सूर्य, चांद व तारों के गुणगान जैसे विषय भी शामिल रहते हैं।
चीन के बिभिन्न तिब्बती बहुल क्षेत्रों में क्वो च्वांग का अपना अलग-अलग तरीका है। जा रोंग, खांग दींग, आबा और तिब्बत का क्वो च्वांग भिन्न होता है। देन बा काउंटी के पर्यटन ब्यूरो के श्री थांग श्याओ पींग ने कहा, "विभिन्न क्षेत्रों के क्वो च्वांग की विशेषताएं भी भिन्न होती हैं। धुन भिन्न होती हैं और लोग इस भिन्न तरीकों से नाचते हैं। क्वो च्वांग नृत्य तिब्बती जाति के साहस और अदम्यता को विशेष तौर पर प्रतिबिंबित करता है।

वर्ष 1949में नये चीन की स्थापना से पहले, तिब्बती जाति क्वो च्वांग नृत्य से अपनी हार्दिक भावना प्रकट करती थी और इस के जरिए श्रम या मानसिक दबाव को दूर करती थी। नये चीन की स्थापना के बाद तिब्बती जनता सच्चे माइने में अपने देश की मालिक बनी।इसके बाद क्वो च्वांग नृत्य को व्यापक तिब्बती जनता ने पसंद किया। कहा जा सकता है कि जहां तिब्बती लोग होंगे वहां क्वो च्वांग भी अवश्य होगा।
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