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(GMT+08:00) 2005-03-11 13:52:36    
रेडियो तरंग की मदद से जुदे परिवार सदस्यों का पुनः मिलन

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पिछले साल के अंत में चीन और गिर्गिजस्तान के रेडियो टेलीवीजन विभागों के उभय प्रयासों के परिणामस्वरूप करीब आधी शताब्दी तक एक दूसरे से जुदे गरगजी बंधु चीन के सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश में पुनः मिल गए । इन गरगजी रिश्तेदारों के पुनःमिलन की एक दिलकश कहानी है , जो आज आप के सामने है ।

वर्ष 2004 के अंत के एक दिन चीन के सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश के प्रसारण ,टीवी और फिल्म ब्यूरो के भवन में दो अलग देश में वर्षों से जुदे गरगजी जाति के कुछ रिश्तेदारों का जो पुनः मिलन हुआ था , उस समय का दृश्य अत्यन्त हृदयद्रावक और भावोद्वेलित था । वहां गिर्गिजस्तान से आए मुहासी पुबि दंपति की चीन में रह रहे अपने बड़े भाई , भाभी तथा भतीजों से मुलाकात हुई , वे एक दूसरे से गले मिलाते हुए सिसिकियां कर रहे थे और भाई , भाभी , भतीजा तथा भतीजी के भावपूर्ण संबोधन , देर के आलिंगन और बहती हुई आंसू ने 46 सालों से एक दूसरे से जुदा जाने की असह्य याद और दुख पूरी तरह व्यक्त की थी ।

करीब आधी सदी से जुदा रहने के बाद पुनः मिलने पर इन परिवारजनों की दुख खुशी मिश्रित भावना से प्रभावित हो कर वहां इक्टठे लोगों की आंखें भी तर गई । चीन में रिश्तेदारों से मिलने आए गिर्गिजस्तान के इस दंपति के साथ आए गिर्गिजस्तानी राष्ट्रीय प्रसारण व टेलीविजन कापरेशन के उप मेनेजर जनरल श्री मिलजाकुली ने अपनी आंखों में अपार खुशी से भर आई आंसू को पोंछते हुए कहा कि आधी सदी गुजरने के बाद दूसरे देश में रिश्तेदारों से मिलने का सपना आखिरकार साकार हो गया , मैं भी उन पर अत्यन्त प्रसन्न हूं , इस के मिलन के लिए मैं चीनी प्रसारण टेलीविजन संस्था का बहुत बहुत आभारी हूं ।

चीन के सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश के प्रसारण टेलीविजन ब्यूरो के प्रभारी श्री शोकाईती ईमिन ने इस खुशगवार वरदात की चर्चा में कहा कि गरगजी जाति के इस परिवार के पुनःमिलन के सपना को साकार करने का श्रेय एक विशेष रेडियो प्रसारण सेवा को जाता है ।

बात असली यह है कि पिछले साल के जून माह में चीनी राष्ट्रीय प्रसारण , टेलीविजन व फिल्म ब्यूरो तथा गिर्गिजस्तानी राष्ट्रीय प्रसारण टेलीविजन कंपनी समूह के बीच संपन्न समझौते के अनुसार चीन के सिन्चांग जन प्रसारण स्टेशन ने हर रोज गिरगिजस्तान को दो घंटों का गरगजी भाषी कार्यक्रम प्रदान करना शुरू किया , जिस के रंगबिरंगे कार्यक्रमों ने गिर्गिजस्तीनी श्रोताओं का दिल जीता है ।

पिछले साल के अक्तूबर माह में गिर्गिजस्तान से एक श्रोता का पत्र सिन्चांग प्रसारण टेलीविजन ब्यूरो के पते पर आया , अनाल्खान नाम की एक गरगजी जातीय महिला ने अपने इस पत्र में कहा कि उस के परिवार के सभी सदस्य गिरगिजस्तान को प्रसारित सिन्चांग के गरगजी भाषा के रेडियो कार्यक्रम को बहुत पसंद करते हैं , इन कार्यक्रमों से उन्हें चीन की गरगजी जाति की संस्कृति व रीति रिवाज के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है। अपने पत्र में सुश्री अनाल्खान ने अपना एक मनसूबा भी व्यक्त किया है ।

मेरा परिवार आप्रवासी चीनी है , वर्ष 1958 में मेरा परिवार गिर्गिजस्तान में स्थानांतरित हो कर आ बसा , इस के बाद चीन में रहने वाले रिश्तेदारों के साथ हमारा संपर्क टूट पड़ा । मेरा वृद्ध पिता माता जन्म भूमि में रह रहे रिश्तेदारों की बहुत याद करते हैं और अपने जीवन काल में उन से मिल सकने की आशा बांधते हैं । मेरे पिता मुहासी की एक छोटी बहन है , जिस का नाम अथछे .सेलांपायवा है और माता पुबि परिवार के रिश्तेदारों का भी कोई अता पता नहीं रहा है । हमारी उम्मीद है कि आप के रेडियो प्रसारण की मदद से हम रिश्तेदार आपस से मिल जाएंगे ।

अनाल्खान मुहासी और पुबि की बेटी है । उस का पत्र पा कर चिन्चांग जन प्रसारण स्टेशन ने उस की मदद करने के लिए तुरंत उस के रिश्तेदारों की तलाश करने की कोशिश शुरू की और इस काम के लिए अपने अनेक पत्रकार चारों ओर भेजे ।

46 साल पहले जुदा हुए रिश्तेदारों की खबर खोजने का काम बड़ा कठिन साबित हुआ । लेकिन सिन्चांग जन प्रसारण स्टेशन का अथक प्रयत्न जारी रहा । अनेक कठिनाइयों को दूर कर एक महीने के बाद उन्हें सिन्चांग की एक काऊंटी में मुहासी और पुबि के कुछ रिश्तेदारों का पता चला , जिन में मुहासी के भतीजा ,भतीजी और पुबि का बड़ा भाई शामिल है । (क्रमशः)