चीन के सी छ्वान प्रांत के गेनजी तिब्बती प्रिफेक्चर में देनबा नामक एक अनोखा स्थल है।देनबा दक्षिण-पश्चिमी चीन के सी छ्वान प्रांत की राजधानी छडं तु से लगभग तीन सौ अड़सठ किलोमीटर दूर स्थित है और जा रो तिब्बती जाति का सांस्कृतिक केंद्र माना जाता है। लोग देनबा को हंग द्वेन पहाड़ के बीच बसा मनुष्यों का स्वर्ग कहते हैं। देनबा की सुन्दर भूमि पर ऊंचे बर्फीले पहाड़, तेज बहती नदियां, घने जंगल और चौड़े घास मैदान हैं। देनबा पांच नदियों का संगम स्थल है और पांच पहाड़ों से घिरा है। इतना ही नहीं , देनबा की पचास हजार की आबादी पांच बोलियां बोलती है।इस का क्षेत्रफल पांच हजार वर्गकिलोमीटर से अधिक है। तो आज आप लोग मेरे साथ क्यों न देनबा की यात्रा करें।
देनबा के दृश्य बड़े सुहावने हैं। यहां दा दू नदी की गहरी घाटी है, खतरनाक दा चिन छ्वान नदी बहती है और दु गू का अनूठा पहाड़ी दृश्य है और है जा रो तिब्बती क्षेत्र का सब से मशहूर पवित्र मोर्दो पहाड़ भी। पर्यटक यहां स्वयं को एक परी दुनिया में प्रवेश करते महसूस करते हैं। देनबा ऐसी जगह है, जहां आकर आप वापस नहीं जाना चाहेंगे।
देनबा में कई रमणीक प्राकृतिक दृश्यों के अलावा, पुरानी तिब्बती शैली के अनेक मकान भी हैं। हजारों वर्षों से वे अपनी परम्परागत वास्तुशैली और गहरी जातीय विशेषता बरकरार रखे हुए हैं। देनबा में जा च्वू, बू ख, दा सांग, दा च्येई, श्याओ बा वांग, गुंग शेन, स्वो फो, फू च्याओ दींग और चुंग लू आदि जगहों के तिब्बती मकान विशेष रूप से मशहूर हैं।
देनबा काउंटी में रहने वाले तिब्बती जाति के लोग अपने गांव को च्येई ज कहते हैं। ये च्येई ज आम तौर पर पहाड़ों के बीच पाई जाने वाली समतल भूमि पर निर्मित हैं। एक च्येई ज में बीसियों और कभी-कभी सौ परिवार तक रहते हैं। पहाड़ों के पास खड़े उनके कुछ मकान ऊंचे होते हैं, तो कुछ नीचे। आसपास के जंगल और हरी नदी और सफेद बर्फीली चोटियों से गांव का अत्यंत सुन्दर चित्र बनता है।
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की जा च्वू गांव की न्ये गा काउंटी की कमेटी के सचिव श्री जाबा कहते हैं, जा च्वू के मकान आम तौर पर चार मंजिला होते हैं। निचली मंजिल पशुओं के लिए होती है। पशुओं और लोगों के लिए द्वार अलग-अलग होते हैं। दूसरी मंजिल क्वो च्वांग, या खाना पकाने का स्थल कहलाती है। इसकी चारों दीवारों पर रंगीन तिब्बती चित्र और जी श्यांग चित्र अंकित होते हैं। तिब्बती लोग आम तौर पर समारोहों में क्वो च्वांग नामक नृत्य करते हैं। इसमें कई लोग शामिल होते हैं और कभी-कभी इनकी संख्या सौ से भी ज्यादा होती है। वास्तव में क्वो च्वांग स्थल तीन पत्थरों से बनाया जाता है। इसीलिए यह कहावत भी प्रचलित है कि तीन पत्थरों से एक बर्तन बनता है। तीसरी मंजिल लोगों के रहने और खाद्य पदार्थ व अन्य माल रखने की जगह होती है। चौथी मंजिल पर पूजन कक्ष होता है जहां लोग रोज पूजा करते हैं। इमारत के चारों ओर छोटे-छोटे स्तंभ होते हैं, जिन पर झंडे फहरते रहते हैं। झंडे के ऊपर प्रार्थना के साथ गाय व घोड़े के चित्र होते हैं।
देनबा अपनी पत्थर की मीनारों के लिए भी मशहूर है। देनबा में चीन की सबसे ज्यादा पत्थर की पुरानी मीनारें हैं। ये मीनारें जा रो तिब्बती जाति के इतिहास को प्रतिबिंबित करती हैं। इसलिए, देनबा को हजार मीनारों वाला स्थल भी कहा जाता है। हजारों वर्षों से, ये पुरानी मीनारें चुपचाप दक्षिण-पश्चिमी चीन के पहाड़ों में खड़ी हैं।
हालांकि पहाड़ों, घास मैदानों और खेतों में खड़ी इन मीनारों ने अब अपनी पुरानी चमक खो दी है, फिर भी वे देनबा को रहस्यमय बनाये रखे हुए हैं, मानो पुरानी लड़ाइयों की कहानी सुना रही हों। पत्थर की ये मीनारें प्राचीन चीन की बहुत मूल्यवान वास्तुकला का नमूना हैं। पश्चिमी देशों की पुरानी वास्तुकला की तुलना में चीन की पुरानी वास्तुकला लकड़ी पर आधारित थी। दो हजार वर्ष पहले, हंग द्वेन पहाड़ के बीच पत्थरों की मीनारों का निर्माण करना बहुत बड़ी बात थी। ये मीनारें चीन ही नहीं दुनिया की अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर हैं।
देनबा में अब भी मौजूद पत्थर की मीनारों में सब से पुरानी मीनार हान राजवंश में निर्मित की गई थी और सब से नयी मीनार चीन के छिंग राजवंश के छ्येन लुंगकाल में। देनबा में स्वो फो, चुंग लू और फू च्याओ दींग क्षेत्रों की ऐसी मीनारें सब से मशहूर हैं। देन बा पर्यटन ब्यूरो के कर्मचारी थांग श्याओ पींग ने बताया, प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार, देनबा में पत्थर की मीनारें मुख्यतः स्वो फो और चुंग लू क्षेत्रों में फैली हैं। इन मीनारों की चोटियों पर चार, पांच, आठ या तेरह छोटे कोण बने हैं। इन मीनारों की अलग- अलग विशेषताएं थीं। कुछ मीनारें गांवों के बीच सीमारेखा का काम करती थीं, कुछ तिब्बती जाति के मकानों की तरह इस्तेमाल की जाती थीं तो कुछ लड़ाई में शत्रु को रोकने की भूमिका अदा करती थीं।
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