आज के इस कार्यक्रम में हम सासाराम, बिहार की सुश्री सदफ़ आरजू, जहानाबाद,बिहार के शदफ रेडियो लिसनर्स क्लब के मोहम्मद अशिफ ख़ान, फ़ैज़ाबाद, उत्तरप्रदेश के राजकुमार रावत, सीतादेवी रावत, अमित कुमार रावत, दीपक रावत, ललित रावत, मनीष कुमार रावत, प्रिंस, प्रियांशू, रविकुमार गौड़, कोआथ, बिहार के सुनील केशरी, विजयवाड़ा, आंध्रप्रदेश की सुश्री रहमतुननिसा, मऊनाथ भंजन, उत्तरप्रदेश के इर्शाद अहमद अंसारी, श्रीमती राशेदा कातून, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के चुनिलाल मासूम और धनबाद झारखंड के अखलाक के पत्र शामिल कर रहे हैं।
अब बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के चुनिलाल मासूम का पत्र देखें। उन्होंने विश्व की प्राकृतिक धरोहरों की सूची में शामिल चीन के उत्तर-पश्चिमी हूनान प्रांत के जांगजीयाज्ये राष्ट्रीय उद्यान के बारे में विस्तार से जानकारी चाही है।
चांगचाच्ये शहर चीन के हूनान प्रांत के उत्तर-पश्चिमी पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है। लीश्वेई नदी का उद्गम स्थल इस के पास स्थित है। इस का क्षेत्रफल 9563 वर्गकिलोमीटर है और जनसंख्या 15 लाख। यह चीनी सेना के संस्थापकों में से एक दिवंगत मार्शल ह लूंग का जन्मस्थल रहा।
चांगचाच्ये हूनान प्रांत की राजधानी छांगशा के पश्चिम में कोई 400 किलोमीटर दूर है। यहां पहुंचने के लिए रेल, विमान और मोटर किसी भी यातायात साधन का प्रयोग किया जा सकता है।
यह अल्पसंख्यक जाति बहुल क्षेत्र है जहां थुचा, पै, म्याओ, मान, तुंग, और याओ जैसी जातियों के लोग रहते हैं।
यहां का मौसम बड़ा सुहावना है। कृषि के लिए पर्याप्त वर्षा उपलब्ध है और भूमि उपजाऊ है। प्राकृतिक संसाधन भी बहुत हैं।इस क्षेत्र का संगमरमर का उत्पादन काफी ज्यादा है और पनबिजली की उत्पादन क्षमता भी बड़ी है।
यह पर्यटन के लिए काफी मशहूर है। यहां कई ऊंची पहाड़ी चोटियां हैं, जल काफी स्वच्छ है और घाटियां व वन हरियाली से भरे हैं। पर्यटन के लिए मशहूर यहां के तीन प्रकृति संरक्षण क्षेत्र हैं राजकीय प्राकृतिक वन उद्यान, सोशी घाटी और थ्येनजी पहाड़ और यांगचाचाई। इन का क्षेत्रफल 390 वर्गकिलोमीटर है। यहां दर्शनीय जगहों की संख्या 560 से अधिक है। दिसंबर 1992 में यूनेस्को ने चांगचात्ये को विश्व की प्राकृतिक धरोहरों की सूची में शामिल किया।
यहां के आदिम वन में आखेट का अपना ही मजा है। गुफाओं में प्रकृति का रहस्य खोजा जा सकता है, नदी पर नौका विहार का आनंद लिया जा सकता है और अल्पसंख्यक जातियों के रीति-रिवाज की जानकारी पाई जा सकती है।
चांगचाच्ये राजकीय प्राकृतिक वन उद्यान का क्षेत्रफल 130 वर्गकिलोमीटर है। यह चीन का प्रथम प्राकृतिक वन उद्यान है। इसका 97 प्रतिशत क्षेत्र हरित है। आदिम वन में, गिंको के अलावा यू जैसे दुर्लभ वृक्षों का पता लगाया जा चुका है। घाटी में गंधबिलाव, महा सैलामैन्डर, जैसे दुर्लभ जंगली जानवर पाये जाते हैं।
सोशी घाटी में क्वार्ट्जाइट पत्थरों की बहुतायत है। यहां पहाड़ी चोटियों के बीच झीलें हैं। यहां रमणीक पर्यटन स्थलों की संख्या 200 से अधिक है।
चांगचाच्ये का मौसम बहुत सुहावना है। यहां साल भर तापमान 12 से 15 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच रहता है और पर्याप्त वर्षा होती है। यह साल में किसी भी समय पर्यटन के लिए अच्छी जगह है।
अन्त में धनबाद, झारखंड के अखलाक का पत्र लें। उन्होंने पूछा कि क्या चीन में भी पान या सुपारी की खेती होती है और क्या चीनी लोग भी पान खाते हैं।
जी हां चीन में सुपारी की खेती होती है और चीनी लोग पान भी खाते हैं।
दक्षिण-एशिया व दक्षिण-पूर्वी एशिया में सुपारी तो पायी ही जाती है। इसके साथ ही यह चीन के हैनान द्वीप, थाइवान द्वीप, युन्नान और हूनान प्रांतो में भी पायी जाती है। ग्रंथों के अनुसार हैनान का सुपारी उगाने का इतिहास कोई डेढ़ हजार साल पुराना है। सुन राजवंश से हैनान की स्थानीय सरकार हर वर्ष बढ़िया सुपारी सम्राट को उपहार स्वरूप भेंट करती रही थी।
सुपारी का प्रयोग रोगों के उपचार में किया जाता है। इसलिए इन प्रांतों के लोगों को पान खाना बहुत पसुंद है। युन्नान प्रांत की ताई जाति के लोग और हैनान द्वीप के ली व म्याओ लोग कच्ची सुपारी खाते हैं और सुपारी पर बुझे चूने का लेप भी लगाते हैं। इसके साथ ही यहां पान खाना भी प्रचलित है। हूनान के श्यांगथान में सुपारी का मजा लेना काफी प्रचलन में है। वहां सुपारी का मेवा बनाया जाता है और इस मेवे पर बुझे चूने व शक्कर का लेप लगा होता है।
चीन के हैनान द्वीप व थाइवान द्वीप में बहुत ज्यादा सुपारी उगाई जाती है।
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