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(GMT+08:00) 2005-02-28 11:53:28    
मशहूर अनुवादक गोंग च्ये शी

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41 वर्षीय गोंग च्ये शी चीन के बहुत मशहूर अनुवादक हैं। वे अनेक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं व राजनीतिक सवालों से संबंधित दस्तावेजों के अनुवाद कार्य में सीधे तौर पर शामिल रहे हैं। इन में चीन की मातृभूमि में हांग कांग व मकाओ की वापसी के दस्तावेज व पेइचिंग ओलिंपिक के आवेदनपत्र आदि उल्लेखनीय हैं। उन्होंने चीन सरकार के 17 श्वेत पत्रों के अनुवाद कार्य में भी भाग लिया।

गोंग च्ये शी का जन्म मध्य चीन के ह नान प्रांत के एक किसान परिवार में हुआ। वर्ष 1981 में वे पेइचिंग विश्वविद्यालय के पश्चिमी भाषा विभाग में दाखिल हुए। गोंग च्ये शी का कहना है कि उन जैसे ग्रामीण क्षेत्र के एक छात्र के लिए राजधानी के एक विश्वविद्यालय में दाखिला पाना बड़े गौरव की बात थी। बड़े शहर आकर उन्होंने अपने और शहरी छात्रों के बीच के भारी फ़र्क महसूस किया। उन्हें लगा कि शहरी छात्रों की तुलना में उनकी जानकारी कम है। श्री गोंग च्ये शी ने बताया

"हमारे ग्रामीण क्षेत्र के मिडिल स्कूलों की बुनियाद बहुत कमज़ोर है। जब मैं पेइचिंग विश्वविद्यालय में दाखिल हुआ और वहां शहरी छात्रों को बातचीत करते सुना तो पाया कि वे शास्त्रीय ग्रंथ "लाल भवन का सपना"और पूर्व नेता माओ त्से तोंग आदि पर विचारों का आदान-प्रदान कर रहे थे। उन की ऐसी बातचीत में भाग लेना मेरे लिए असंभव था। मुझे स्वयं पर अविश्वास था। इसलिए मैं धीरे-धीरे और ज्यादा पढ़ने लगा और मेरी शहरी छात्रों के से दूरी कम होने लगी।"

हालांकि यह अभाव अस्थाई था, फिर भी गोंग च्ये शी को वास्तव में लगा कि उनके लिए जानकारी प्राप्त करना और पारस्परिक आवाजाही बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने अपनी पूरी शक्ति पढ़ाई में लगा दी, ताकि वे अपनी क्षमता साबित कर सकें । वर्ष 1985 में गोंग च्ये शी पेइचिंग विश्वविद्यालय से स्नातक हुए और चीनी विदेशी भाषा प्रकाशन ब्यूरो में अनुवादक बने। इस के बाद वे फ़्रांस के Aix-Marseille विश्विद्यालय में उच्चतर अध्ययन के लिए गये और वहां एक साल की पढ़ाई कर एम.ए की डिग्री हासिल की।

पिछले बीस वर्षो में गोंग च्ये शी ने बड़ी संख्या में चीनी नेताओं के लेखों तथा सरकारी दस्तावेज़ों का अनुवाद किया। इस के अलावा उन्होंने फ़्रांसीसी भाषा सीखने वाले चीनी छात्रों के लिए पाठ्यपुस्तकें व कैसेट भी तैयार किये। अब तक गोंग च्ये शी कोई 30 से ज्यादा पुस्तकों का अनुवाद कर चुके हैं। इन में फ़्रांसीसी भाषा में अनुदित चीन के परम्परागत सांस्कृतिक ग्रंथों के अलावा, चीनी भाषा में अनुदित मशहूर फ़्रांसीसी वैज्ञानिक पुस्तक "काली गुफ़ा"तथा "तींग तीगं की नयी कहानी"आदि शामिल हैं। गोंग च्ये शी ने 8 वर्ष का समय लगा कर नया फ़्रांसीसी-चीनी और चीनी-फ़्रांसीसी शब्दकोश बी तैयार किया, जिस का फ़्रांसीसी भाषा क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है । ये सब उपलब्धियां हासिल करने वाले गोंग च्ये शी कहते हैं

"मुझे लगता है कि अनुवाद बहुत कठिन काम है। इसमें सब से पहले एक वाक्य का पूरा मतलब जानना होता है और फिर इस का विदेशी भाषा में अनुवाद करना होता है। अनुवाद एक-एक शब्द का अनुवाद नहीं होता। अगर ऐसा हो, तो विदेशी लोग आपके लेख नहीं समझ सकते। हम अनुवादकों का काम सांस्कृतिक मतभेद को दूर करना होता है। मिसाल के लिए यदि एक चीनी शब्द का अनुवाद करने पर फ़्रांसीसी लोग उसे समझ नहीं पाते हैं तो हमें उसकी जगह दूसरे शब्द का प्रयोग करना पड़ता है।"

श्री गोंग च्ये शी के अनुसार, अनुवाद हवा की तरह महत्वपूर्ण है। जब तक इस संसार में मानव जाति रहती है , तब तक अनुवाद कार्य भी जरूरी है। चीनी और विदेशी संस्कृतियों के बीच भारी फ़र्क है। इसलिए एक अच्छा अनुवादक बन कर विभिन्न संस्कृतियों के आदान-प्रदान और विभिन्न जातियों की पारस्परिक समझ व मैत्री बढ़ाना बहुत महत्वपूर्ण बात है। गोंग च्ये शी ने इसी को ध्यान में रख कर अंग्रेज़ी, लातिन व कोरियाई भाषाएं भी सीखीं।

आज गोंग च्ये शी चीनी विदेशी भाषा प्रकाशन ब्यूरो के फ़्रांसीसी विभाग के निदेशक हैं। उन्हें इस विभाग के मार्गदर्शन के अलावा अनेक पुस्तकों का अनुवाद व संपादन करना पड़ता है। गोंग च्ये शी चीनी अनुवादक संघ की विदेशी प्रचार समिति की चीनी-फ़्रांसीसी अनुवाद शाखा के महासचिव भी हैं। वर्ष 2004 में फ्रांस-चीन संस्कृति वर्ष रहा ।गोंग च्ये शी का इस बारे में कहना है

"हम ने चीन-फ़्रांस संस्कृति वर्ष के लिए कई पुस्तकें तैयार कीं। "पेरिस में भेंट" समेत जो आठ पुस्तकें इस दौरान जारी की गईं उनमें "चीनी रीति-रिवाज़" तथा "चीनी संस्कृति" आदि भी शामिल रहीं। इसके अलावा, हम ने चीन के मशहूर लेखक बा चिंग, वांग मेन और शन छ्वों वन आदि के लेख भी प्रकाशित किये। इस तरह कुल मिलाकर इनमें दसेक पुस्तकें शामिल रहीं।"

श्री गोंग च्ये शी ने माना कि चीन और फ़्रांस के सांस्कृतिक वर्ष का आयोजन दोनों देशों के लिए लाभदायक रहा। चीन और फ़्रांस की गहरी सांस्कृतिक परम्पराएं हैं, लेकिन दोनों की जनता के बीच पारस्परिक समझ का अभाव है। सांस्कृतिक वर्ष के दौरान आयोजित विभिन्न गतिविधियों से दोनों देशों के आदान-प्रदान व सहयोग को बढ़ावा मिला।