वर्ष दो हजार तीन के सितंबर माह में, थाईवान जलडमरुमध्य के दोनों तटों के संवाददाताओं का एक संयुक्त दल चीन के तिब्बत स्वायत प्रदेश की राजधानी ल्हासा आया। जहां उस ने स्वायत प्रदेश के नेताओं और मठों के भिक्षु-भिक्षुनियों के साथ बातचीत की और कारखानों, काउंटियों तथा मठों में जाकर एक अविस्मरणीय हफ्ता गुजारा।
उन्नीस थाईवानी संवाददाताओं समेत थाईवानजलडमरुमध्य के दोनों तटों के कुल इकतीस पत्रकार तिब्बत की इस यात्रा कार्यक्रम में शामिल रहे।
इस दौरान, तिब्बत ने इन पत्रकारों के समक्ष अनेक रत्न ऐतिहासिक व सांस्कृतिक अवशेष तथा अन्य सामग्री प्रदर्शित की और उन्हें उन की तस्वीरें खिंचने की विशेष अनुमति भी प्रदान की।जुगलांखान मठ के लामा निमा ने तिब्बत जाति के इतिहास, तिब्ब्ती बौद्ध सुत्रों ,शाखाओं ,तिब्बती राजा सोन जोन गेन बू तथा उन की हान पत्नी रानी वन छंग तथा रानी वन छंग द्वारा तिब्बत में लगाई हुई शाक्यामुनि की मूर्ति की जानकारी दी और उन्हों एक पवित्र एतिहासिक व धार्मिक दुनिया से अवगत कराया। विश्वविख्यात पोताला मठ के कार्यकर्ताओं ने इन पत्रकारों को वहां चीन के सुंग राजवंश से अब तक सुरक्षित कई हजार बौद्ध मूर्तियों और अनगिनत बौद्ध सूत्रों के दर्शन कराया । काशलुंबू मठ में इन पत्रकारों ने पहली बार भिक्षुओं की प्रार्थना को सुनी और दसवें पंचम लामा की समाधि और मठ में स्थित विश्व की सब से बड़ी "भविष्य" बौद्ध की मूर्ति का भी अवलोकन किया। इस से उन्हें तिब्बती भिक्षुओं के आधुनिक जीवन का अनुभव हुआ।
थाईवान की चीनी टी वी कंपनी की पत्रकार सुश्री जांग श्यो मेन इस अवसर पर अत्यंत खुश थीं। उन्होंने कहा ,तिब्बत की यात्रा मेरे लिए एक विशेष अनुभव है। मुझे पक्का विश्वास है कि मैं अब थाईवानी जनता को तिब्बत और यहां की जनता के बारे में अधिक से अधिक जानकारी दे सकूंगी ।मेरा विचार है कि थाईवान जल डमरुमध्य के दोनों तट आपसी समझ के अभाव के कारण ही गलत फहमी के शिकार रहे हैं। मुझे बड़ी खुशी है कि इस यात्रा से मुझे तिब्बत की संस्कृति, धर्म और विचार को अच्छी तरह जानने का मौका मिला। वापसी पर मैं अवश्य ही थाईवानी लोगों को तिब्बत की वस्तुनिष्ठ स्थिति की जानकारी दे पाऊंगी।
अनेक लोगों के लिए, तिब्बत एक रहस्यमय स्थान है। अधिकतर थाईवानी पत्रकारों ने विदेशी माध्यमों के जरिए ही तिब्बत के बारे में जानकारी हासिल की थी। उन की नजर में तिब्बत एक ऐसा पिछड़ा स्थान था, जहां धार्मिक विश्वास सीमित है और संस्कृति नष्ट हो चुकी है।
थाईवानी उद्दोग व वाणिज्य टाईम्स के संवाददाता श्री ली दौ छन ने कहा कि वर्तमान यात्रा से तिब्बत के प्रति उन का ज्ञान बढा है। उन्होंने कहा, हमें तिब्बत के आधारभूत संस्थापनों को देख कर आश्यर्य ही हुआ । वहां के आम लोगों का जीवन बहुत अच्छा है। हम कुछ किसानों व चरवाहों के घर भी गए और जहां भी पहुंचे, वहां देखा कि वे आधुनिक जावन बिता रहे हैं। उन का जीवन-स्तर चीन के अनेक भीतरी शहरों के लोगों के जीवन से बेहतर है।
इस पत्रकार प्रतिनिधि मंडल में शामिल कुछ थाईवानी पत्रकार भारत स्थित दलाई लामा के निवास स्थान पर जा चुके थे।उन्होंने बताया कि वहां उन्हें कोई उत्तेजना महसूस नहीं हुई,लेकिन तिब्बत की एक यात्रा से ही तिब्बती जाति की धार्मिक भावना और सांस्कृतिक परम्परा से वे गहरे रुप से प्रभावित हो उठे हैं। उन्होंने कहा तिब्बती धर्म की भावना तथा संस्कृति की नींव चीन के तिब्बत में ही है।
थाईवानी केंद्रीय समाचार एजेंसी के संवाददाता श्री ल्यू जन छिंग ने कहा कि उन की उस यात्रा की सब से बड़ी उपलब्धि यही है कि वे इस दौरान पूरी कि निष्पक्षता से तिब्बत को देख पाए।
श्री ल्यू ने कहा कि तिब्बत के बारे में पहले, हमें जो खबरें मिलती थी, वे सब यूरोप ,अमरीका तथा दलाई लामा से आती थीं। पर इस बार मैंने अपनी आंखों से तिब्बत को देखा और तिब्बत की मुक्ति से पहले व बाद के लोगों के जीवन की तुलना की। इस से मेरा यही विचार है कि हम अच्छी तरह तिब्बत को सिर्फ इसी तरह जान सकते हैं और ऐसे ही सर्वोतोमुखी व व्यवहारिक रुप से तिब्बत को देख सकते हैं। उन्होंने कहा कि एक हफते की यह यात्रा बहुत छोटी थी। इसलिए वे फिर एक बार तिब्बत की यात्रा करने की इच्छा रखते हैं।
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