दो फरवरी नौवां विश्व दलदल दिवस है । इस उपलक्ष्य में पेइचिंग में आयोजित एक समारोह में चीनी राजकीय वन ब्यूरो के प्रधान चाओ शंग श्येन ने घोषणा की कि चीन ने आगामी पांच सालों में छिंग हाई-तिब्बत पठार पर दलदल के संरक्षण के लिए सात अरब पचास करोड़ य्वान का अनुदान करने का निर्णय लिया है। छिंग हाई-तिब्बत पठार चीन व दक्षिण- पूर्वी एशिया की प्रमुख नदियों का उद्गम स्थल है, इसलिये इस दलदल संरक्षण क्षेत्र की स्थापना का चीन और दक्षिण-पूर्वी एशिया के कई देशों की पारिस्थितिकी की सुरक्षा के लिए भारी महत्व है।
दलदल भूमि थलीय व जलीय विशेषता वाली पारिस्थितिकी व्यवस्था है। आम तौर पर इसे दलदलों, झीलों व नदियों के रूप में देखा जाता है। पानी और जैव विविधता को बनाये रखने में इस की अपरिवर्तनीय भूमिका है। दलदल, वन और समुद्र पृथ्वी की तीन पारिस्थितिकी व्यवस्थाएं हैं।इन्हें पृथ्वी का गुर्दा भी कहा जाता है । वर्ष उन्नीस सौ उन्नासी से प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय दलदल संरक्षण संगठन – दलदल अंतर्राष्ट्र ने हर वर्ष की दो फरवरी को विश्व दलदल दिवस के रूप में मनाना शुरू किया। इसके पीछे उस का लक्ष्य समूची मानव जाति का इस विशेष पारिस्थितिक व्यवस्था की ओर ध्यान दिलाना रहा।
चीनी राजकीय वन ब्यूरो के प्रधान श्री चाओ शंग श्येन ने दो तारीख को पेइचिंग में विश्व दलदल दिवस पर आयोजित गतिविधि में कहा कि तिब्बत-छिंगहाई पठार चीन की यांगत्सी , पीली और लैनछांग नदियों का स्रोत है। इन में लैनछांग नदी लाओस , बर्मा , वियतनाम और कंबोडिया आदि दक्षिण- पूर्वी एशियाई देशों से गुजरती है। इसलिए तिब्बत-छिंगहाई पठार पर दलदल संरक्षण क्षेत्र की स्थापना न केवल चीन के लिए , बल्कि दक्षिण-पूर्वी एशिया के देशों की पारिस्थितिकी की सुरक्षा में भी अर्थ रखती है । श्री चाओ ने कहा , कुछ समय पूर्व चीनी राज्य परिषद ने यांगत्सी , पीली और लैनछांग नदियों के स्रोत को संरक्षण क्षेत्र का रूप देने की रूपरेखा की पुष्टि की , जिसमें विशेष तौर पर दलदल के संरक्षण पर जोर है । चीन सरकार ने इन तीन नदियों के स्रोत संरक्षण क्षेत्र के निर्माण के लिए सात अरब पचास करोड़ य्वान की पूंजी लगाने का निर्णय किया है , जो चीन के इतिहास में अभूतपूर्व है।
पता चला है कि इन तीन नदियों का स्रोत संरक्षण क्षेत्र चीन के छिंगहाई प्रांत में होगा , जिस का क्षेत्रफल एक लाख पचास हजार वर्गकिलोमीटर है। इस विशाल क्षेत्र में कुल दो लाख बीस हजार लोग रहते हैं । तीनों नदियों के स्रोत संरक्षण क्षेत्र के निर्माण के तहत किसानों व पशुपालकों का स्थानांतरण करने , उन का दूसरे कारोबारों में प्रबंधन करने तथा दलदल के विकास को खत्म करने के जरिये इस क्षेत्र की पारिस्थितिकी में पूर्ण सुधार लाया जाएगा।
चीन विश्व के उन देशों में से है जहां सब से समृद्ध दलदल हैं। अब तक चीन में चालीस प्रतिशत दलदल भूमि का कारगर संरक्षण किया जा चुका है। लेकिन देश का जंगलों व जंगली पशुओं के संरक्षण की तुलना में दलदल के संरक्षण का कार्य पिछड़ा रहा है। इस बारे में लोगों का विचार भी बहुत उन्नत नहीं है। दलदल के संरक्षण को पर्याप्त समर्थन नहीं मिल पाया है।
चीनी राजकीय वन ब्यूरो के प्रधान श्री चाओ शन-श्येन ने कहा कि इस बार चीन सरकार ने छिंगहाई-तिब्बत पठार की दलदल भूमि की रक्षा के लिए भारी पूंजी लगाने का निर्णय लिया है । यह इस बात का द्योतक है कि दलदल भूमि के संरक्षण का कार्य सरकार की मुख्य कार्यसूची में शामिल किया जा चुका है । इस से दलदल भूमि के संरक्षण की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट करने में मदद भी मिलेगी। उन्होंने कहा सरकार के विचार में चीन के दलदल भूमि संरक्षण कार्य के पास विकास के बेहतर अवसर हैं ।चीन ने आने वाले एक अरसे में दलदल भूमि के संरक्षण के कार्य का चौतरफ़ा अनुसंधान व विन्यास की योजना तय की है। लक्ष्य यह है कि आगामी वर्ष दो हजार बीस तक चीन की साठ प्रतिशत दलदल भूमि को प्रकृति संरक्षण क्षेत्रों में शामिल कर दिया जाए और वर्ष दो हजार बीस तक सत्तर प्रतिशत दलदल भूमि को। इस तरह दलदल भूमि की रक्षा का एक जाल सा बिछ जाएगा।
खबर है कि चीन ने गत वर्ष उन्नीस सौ बानवे में दलदल भूमि संधि में शामिल होने के बाद दलदल भूमि के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग में सक्रिय रूप से भाग लिया और अपनी दलदल भूमि को मुख्य अंतरराष्ट्रीय दलदल भूमि दर्ज करने का निवेदन किया। बुधवार की कार्यवाही में चीन के और नौ दलदल भूमि क्षेत्रों को विश्व के मुख्य दलदल क्षेत्रों की सूची में शामिल किया गया। अब तक विश्व के प्रसिद्ध दलदलों की सूची में शामिल चीन के दलदलों की संख्या तीस तक पहुंच चुकी है जिन का क्षेत्रफल चीन की कुल दलदल भूमि का दस प्रतिशत है।
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