आज के इस कार्यक्रम में हम चन्दौली, उत्तर प्रदेश के राहुल प्रजापत, आजमगढ़ उत्तर प्रदेश के शमसुद्दीन साकी अदीबी,मऊनाथ भंजन उत्तर प्रदेश के आफताब अहमद, राशीद इर्शाद अंसारी, तरन्नुम जहां, मुहम्मद जफर अंसारी, बस्ती, उत्तर प्रदेश के कृष्ण कुमार जायस्वाल, कोआथ, बिहार के सुनील कुमार केशरी, डी डी साहिबा, संजय केशरी, सीताराम केशरी, एस के जिंदादिल, सीताराम केशरी, सोनू केशरी, राज कुमार केशरी, प्रियांका केशरी, किशोर कुमार केशरी, शिव कुमार केशरी के सवाल का दूसरा भाग उत्तर देते हैं
वर्ष 1950 से चीन ने विदेशी छात्रों को अपनेउच्च शिक्षा संस्थाओं में भरती शुरू किया। पिछले 54 वर्षों में इस कार्य में बड़ा इजाफा हुआ। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2003 में ही 80 हजार विदेशी छात्र चीन के उच्च शिक्षा संस्थाओं में पढ़ते थे। वर्ष 1950 से 2003 के अंत तक 170 से अधिक देशों के 6 लाख 30 हजार छात्र चीन के उच्च शिक्षा संस्थाओं में पढ़ने गए। इन में से एक लाख से अधिक छात्रों को चीन सरकार से छात्रवृति पाई।
चीन की उच्च शिक्षा संस्थाओं में विदेशी छात्रों को तरह तरह की सुविधाएं मिली हैं, उन के लिए विशेष छात्रावास तैयार है और भोजनालय भी। यही नहीं चीन सरकार ने उन के लिए स्वास्थ्य बीमा की सुविधा भी पेश की।
पिछले कोई 50 सालों तक चीन की साक्षरता दर मात्र 20 प्रतिशत रही पर वर्ष 2002 में यह बढ़ कर 91.28 प्रतिशत हो गई।
आंकड़ों के अनुसार दुनिया भर में अनपढ़ों की संख्या कोई 86 करोड़ है, जो सारी दुनिया की जनसंख्या का 20 प्रतिशत हैं। ये मुख्य तौर पर भारत, चीन, इंडोनेशिया, ब्राजील, नाइजीरिया और मिस्र जैसे देशों में हैं। चीन में अनपढ़ों की संख्या भारत के बाद विश्व में दूसरे स्थान पर है।
चीन में निरक्षरों की कुल संख्या 8 करोड़ 50 लाख है। इन में 5 करोड़ 50 लाख महिलाएं हैं। चीन के अनपढ़ों का 90 प्रतिशत भाग ग्रामीण क्षेत्र में फैला है और इन का आधा पश्चिमी चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश, सिंच्यांग उइगुर स्वायत्त प्रदेश, निंगश्या ह्वेई स्वायत प्रदेश, भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश और छिंगहै, क्वेईचओ, कानसू, युन्नान व शेनशी जैसे प्रांतों में है।
कोआथ, बिहार के सुनिल कैशरी, डी डी साहिबा, संजय केशरी सीताराम केशरी ने अपने पत्र में यह भी पूछा है कि चीन के छिंगहै-तिब्बत रेलमार्ग के निर्माण में कुल कितने करोड़ युआन की लागत आई है।
मित्रो, छिंगहै—तिब्बत रेल मार्ग पश्चिमी चीन के छिंगहै प्रांत की राजधानी शीनिंग से तिब्बत की राजधानी ल्हासा को जोड़ता है। इस रेड़ मार्ग की कुल लम्बाई 1956 किलोमीटर है। शिनिंग से गेर्मू तक जाने वाली रेल लाइन का निर्माण वर्ष 1979 में ही हो चुका है और 1984 में इस लाइन पर रेल सेवा भी शुरू हो गई। इस की लम्बाई 814 किलोमीटर है। 29 जून 2001 को छिंगहै-तिब्बत रेल मार्ग परियोजना का निर्माण गेर्मू और ल्हासा में शुरू हुआ।
चीनी रेलमंत्री श्री फ़ी ची-ह्वान ने जानकारी दी कि चीन की केन्द्र सरकार ने इस रेल मार्ग की परियोजना में कुल 26 अरब 20 करोड़ य्वान की धनराशि लगाने की योजना बनाई है। इस परियोजना के निर्माण में 12000 व्यक्ति लगे हैं।
यह रेल मार्ग विश्व की छत पर स्थित है और वहां की भौगोलिक स्थिति बेहद जटिल है, क्योंकि रेल मार्ग समुद्र की सतह से 4000 मीटर ऊंचे पठार से गुजरेगी।इसका सब से ऊंचा भाग 5072 मीटर पर होगा। 550 किलोमीटर की लाइन हिमप्रदेश से भी गुजरेगी। विश्व में यह सब से ऊंचा रेल मार्ग माना जा रहा है।
तय योजना के अनुसार यह परियोजना वर्ष 2007 में पूरी होगी। गत 22 जून को, तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में पटरी बिछाने का काम शुरू हुआ। तब से इस रेल मार्ग की 645 किलोमीटर लंबी लाइन पर पटरी बिछाई जा चुकी है। पटरी बिछाने का काम 2005 के अंत से पहले पूरा हो जायेगा।
इस रेल मार्ग पर सेवा शुरू होने के बाद तिब्बती लोगों को बड़ा फायदा होगा। यह वर्ष में 21 लाख टन माल तिब्बत पहुंचायेगा, जबकि 8 लाख टन माल बाहर ले जाएगा। साथ ही रोज 5 यात्री रेल गाड़ियां भी इस पर आयेंगी-जाएंगी।
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के विकास एवं योजना आयोग का अनुमान है कि, 2010 तक, इस रेल मार्ग परियोजना में लगी पूंजी से 4 अरब य्वान का फायदा होगा। स्थानीय अर्थतंत्र और अनेक व्यवसायों को गति मिलेगी, निर्माण के दौरान एक लाख रोजगार के मौके पैदा होंगे। रेल मार्ग पर सेवा शुरू होने के बाद भी करीब 3 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।
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