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ज्वोखजी थू सी महल का आकार बहुत खूबसूरत और विशेष शैली वाला है। इस महल में तिब्बती व हान दोनों जातियों की जातीय वास्तुकलाओं की विशेषताओं का मेल है। महल की कुल ऊंचाई 21 मीटर है और कुल क्षेत्रफल है 1200 वर्गमीटर। महल उत्तरी ओर स्थित है, जब कि उस का द्वार दक्षिण में है। महल में 100 से ज्यादा भवन हैं।
आबा प्रिफेक्चर की राजधानी माल्खांग काउंटी के प्रचार विभाग के कर्मचारी श्री गन श्याओ चांग ने बताया, ज्वोखजी थू सी महल की सब से बड़ी विशेषता हान जाति की वास्तु कला की विशेषताओं को तिब्बती जाति की वास्तुकला की विशेषताओं से जोड़ना रही।
ज्वोखजी थू सी महल पहाड़ों के पास स्थित है। इस की छत पर हरे रंग की टाइलें लगी हैं। दीवार प्राकृतिक पत्थरों ,मिट्टी और लसदार चावल के लेप से बनायी गई है और एक मीटर मोटी है। महल के केंद्र में एक बड़ा आंगन है। दीवारों को छोड़कर पूरा महल लकड़ी से बना है और महल में एक भी कील इस्तेमाल नहीं की गई है।
ज्वोखजी थू सी महल पांच मंजिला है। इसकी प्रथम मंजिल में रसोई घर , तहखाना और पशुशाला है। दूसरी मंजिल में मेहमानों के शयनकक्ष और चीजें रखने की जगह है। तीसरी मंजिल में थू सी और उनके परिजनों के शयनकक्ष हैं। यहां उनका अध्ययन कक्ष भी है और फर्नीचर मूल्यवान मोतियों या रत्नों से सजा है। चौथी मंजिल में पूजास्थल है, जहां रंग-बिरंगे थांगखा चित्र, बुद्ध की सोने की मूर्ति और सुन्दर भित्तिचित्र हैं। पांचवी मंजिल में गोलाबारी के लिए दीवार पर छिद्र हैं। तीसरी मंजिल पास के एक बहुत ऊंचे किले से जुड़ी है। लड़ाई के वक्त महल में रहने वाले आसानी से इस किले में छिप सकते थे। यदि लोग महल के अंदर से बाहर की ओर देखें, तो खिड़कियों में हान जाति की विशेष वास्तु शैली दिखती है, और यदि बाहर से भीतर की ओर देखें तो इन्हीं खिड़कियों में तिब्बती जाति की विशेषता नजर आती है। महल के सामने आम किसानों के सौ मकान खड़े हैं।
स्थानीय लोग बड़े गौरव के साथ बताते हैं कि वर्ष 1935 में, स्वर्गीय चीनी नेता माओ ज तुंग ने जब देश में मशहूर लंबा अभियान चलाया। तब चीनी लाल सेना ज्वोखजी थू सी महल से भी गुजरी और यहां दस दिन ठहरी। माओ ज तुंग आदि चीनी लाल सेना के नेता इस महल में रहे। चीन के सी छ्वेन प्रांत के आबा प्रिफेक्चर की राजधानी माल्खांग काउंटी के प्रचार विभाग के कर्मचारी श्री गन श्याओ चांग ने बताया,
वर्ष 1935 में जब चीनी लाल सेना यहां पहुंची, तो तत्कालीन नेता माओ ज तुंग और लाल सेना की केंद्रीय संस्था के लोग इस महल में लगभग दस दिन ठहरे। कहते हैं कि ज्वोखजी थू सी को पुस्तकें पढ़ना बहुंत पसंद था। वे हान जाति की संस्कृति का अनुसंधान भी करते रहे थे। चीनी नेता माओ ज तुंग जब महल में पहुंचे तो उन्होंने यहां चीन की हान जाति की एक पुरानी मशहूर पुस्तक तीन देशों की कहानी पाई। श्री माओ ज तुंग ने इसके लिए थू सी की भारी प्रशंसा की और बाद में अपनी कविताओं में इस का विवरण भी दिया।
स्वर्गीय चीनी नेता माओ ज तुंग, जू देई और च्यो अन लेई आदि नेताओं द्वारा महल में उगाये गये कई पेड़ अब बहुत ऊंचे हो गये हैं और उस के केंद्रीय आंगन में खड़े हैं। पिछले लगभग 60 वर्षों में ज्वोखजी थू सी महल ने भी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में आये परिवर्तन को देखा।
वर्ष 1958 में ज्वोखजी थू सी महल को देश की दूसरे स्तर की राष्ट्रीय संरक्षित इकाई घोषित किया गया। वर्ष 1988 के जनवरी माह में ज्वोखजी थू सी महल को चीनी राज्य परिषद ने प्रमुख राष्ट्रीय संरक्षित इकाई का दर्जा दिया। यह मशहूर चीनी फिल्म लंबा अभियान का शूटिंग स्थल भी रहा।
ज्वोखजी थू सी महल की पूरी बहाली के लिए वर्ष 2003 के अप्रैल माह में चीन के सी छ्वेन प्रांत के आबा प्रिफेक्चर की सरकार ने 37 लाख 70 हजार य्वान लगाये।
आबा प्रिफेक्चर की राजधानी माल्खांग काउंटी के प्रचार विभाग के कर्मचारी श्री सेन लांग ने बताया,महल की बहाली का काम अब भी चल रहा है। महल को सजाने का काम भी सुभीते से जारी है। लगभग एक वर्ष बाद यह पूरा हो जाएगा। महल की बहाली के बाद माल्गेन काउंटी यहां जा रोंग तिब्बती संस्कृति का एक संग्रहालय स्थापित करना चाहती है । इसके साथ ही यहां चीन की लाल सेना के संग्रहालय की स्थापना भी की जाएगी। ज्वोखजी थू सी महल की पांचवीं मंजिल पर खड़े होकर चारों ओर देखने पर लाल छतें और हरे पेड़ नजर आते हैं। इन पेड़ों के बीच की पगडंडियों पर घोड़ों की घंटियों की आवाज़ गूंजती है। यह सब हमें बीते समय में वापस ले जाता है।
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