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(GMT+08:00) 2005-02-21 14:38:10    
मशहूर तिब्बती थू सी महल

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दक्षिण-पश्चिमी चीन के सी छ्वेन प्रांत के पठार पर बहने वाली सुन्दर स्वो मो नदी के किनारे एक जातीय वास्तु खड़ा है। प्रसिद्ध अमरीकी समाचारपत्र न्यूयार्क टाइम्स के संपादक श्री सोल्जबली ने इसे पूर्व की वास्तुकला का मोती कहा है। यह है ज्वोखजी थू सी महल।

तिब्बती भाषा के शब्द ज्वोखजी का अर्थ है मेज। नये चीन की मुक्ति से पहले यह वास्सो नामक थू सी के परिवार का नाम था। ज्वोखजी थू सी महल 2680 मीटर ऊंचे पठार पर स्थित है और सर्दियों में गर्म व गर्मियों में सर्द रहता है।

इस महल की स्थापना वर्ष 1918 में हुई। चीन के छींग राजवंश के अंत में इस का पुनर्निर्माण किया गया। खेद की बात है कि वर्ष 1936 में यह एक अग्निकांड में पूरी तरह से बर्बाद हो गया। वर्ष 1937 और वर्ष 1939 के बीच, स्थानीय सरकार ने ज्वोखजी थू सी महल का पुनर्निर्माण कराया।

ज्वोखजी थू सी का पहले तीन ग्रामीण क्षेत्रों और एक चरवाहा क्षेत्र पर शासन चलता था, जहां कोई 47 छोटे-बड़े गांव थे। नये चीन की स्थापना के प्रारंभिक काल में उसके प्रशासन क्षेत्र में 2800 से ज्यादा परिवार थे, जिन में तिब्बती ,हान और ह्वेई जातियों के लोग थे। ज्वोखजी थू सी परिवार का प्रमुख महल ज्वोखजी की शई स्वो गांव में स्थित है और माल्खांग, गेनमूदी आदि जगहों में भी उस के कई छोटे महल हैं।

चीन के सी छ्वेन प्रांत के आबा प्रिफेक्चर की राजधानी माल्खांग काउंटी के प्रचार विभाग के कर्मचारी श्री सेन लांग ने बताया, उस वक्त माल्खांग क्षेत्र में चार थू सी थे -ज्वोखजी, सुंगज्येई, देनबा और ज्वोबूजी। इसलिए, माल्खांग चार थू सियों की भूमि कहलाती थी। तब थू सी स्थानीय राजा की ही तरह होते थे। वे प्रति वर्ष चीन की केंद्रीय सरकार को कर व सामग्री प्रदान करते थे।

श्री सेन लांग के अनुसार, उस वक्त हालांकि एक थू सी की स्थानीय लोगों के बीच बहुत ऊंची प्रतिष्ठा थी, पर उस पर केंद्रीय सरकार का नियंत्रण रहता था। ज्वोखजी थू सी महल आधुनिक चीन में बरकरार अंतिम थू सी महल है।

जब मैं इस महल में पहुंची, तो स्थानीय विभाग इस महल को सजाने का काम कर रहा था। इस दशा में भी मुझे बहुत रहस्यमय व सुन्दर दिखा।

ज्वोखजी थू सी महल का आकार बहुत खूबसूरत और विशेष शैली वाला है। इस महल में तिब्बती व हान दोनों जातियों की जातीय वास्तुकलाओं की विशेषताओं का मेल है। महल की कुल ऊंचाई 21 मीटर है और कुल क्षेत्रफल है 1200 वर्गमीटर। महल उत्तरी ओर स्थित है, जब कि उस का द्वार दक्षिण में है। महल में 100 से ज्यादा भवन हैं।

आबा प्रिफेक्चर की राजधानी माल्खांग काउंटी के प्रचार विभाग के कर्मचारी श्री गन श्याओ चांग ने बताया, ज्वोखजी थू सी महल की सब से बड़ी विशेषता हान जाति की वास्तु कला की विशेषताओं को तिब्बती जाति की वास्तुकला की विशेषताओं से जोड़ना रही।

ज्वोखजी थू सी महल पहाड़ों के पास स्थित है। इस की छत पर हरे रंग की टाइलें लगी हैं। दीवार प्राकृतिक पत्थरों ,मिट्टी और लसदार चावल के लेप से बनायी गई है और एक मीटर मोटी है। महल के केंद्र में एक बड़ा आंगन है। दीवारों को छोड़कर पूरा महल लकड़ी से बना है और महल में एक भी कील इस्तेमाल नहीं की गई है।

ज्वोखजी थू सी महल पांच मंजिला है। इसकी प्रथम मंजिल में रसोई घर , तहखाना और पशुशाला है। दूसरी मंजिल में मेहमानों के शयनकक्ष और चीजें रखने की जगह है। तीसरी मंजिल में थू सी और उनके परिजनों के शयनकक्ष हैं। यहां उनका अध्ययन कक्ष भी है और फर्नीचर मूल्यवान मोतियों या रत्नों से सजा है। चौथी मंजिल में पूजास्थल है, जहां रंग-बिरंगे थांगखा चित्र, बुद्ध की सोने की मूर्ति और सुन्दर भित्तिचित्र हैं। पांचवी मंजिल में गोलाबारी के लिए दीवार पर छिद्र हैं। तीसरी मंजिल पास के एक बहुत ऊंचे किले से जुड़ी है। लड़ाई के वक्त महल में रहने वाले आसानी से इस किले में छिप सकते थे। यदि लोग महल के अंदर से बाहर की ओर देखें, तो खिड़कियों में हान जाति की विशेष वास्तु शैली दिखती है, और यदि बाहर से भीतर की ओर देखें तो इन्हीं खिड़कियों में तिब्बती जाति की विशेषता नजर आती है। महल के सामने आम किसानों के सौ मकान खड़े हैं।