आज के इस कार्यक्रम में चन्दौली, उत्तर प्रदेश के राहुल प्रजापत, आजमगढ़ उत्तर प्रदेश के शमसुद्दीन साकी अदीबी,मऊनाथ भंजन उत्तर प्रदेश के आफताब अहमद, राशीद इर्शाद अंसारी, तरन्नुम जहां, मुहम्मद जफर अंसारी, बस्ती, उत्तर प्रदेश के कृष्ण कुमार जायस्वाल, कोआथ, बिहार के सुनील कुमार केशरी, डी डी साहिबा, संजय केशरी, सीताराम केशरी, एस के जिंदादिल, सीताराम केशरी, सोनू केशरी, राज कुमार केशरी, प्रियांका केशरी, किशोर कुमार केशरी, शिव कुमार केशरी का पत्र देखें।
उन्होंने पूछा है कि चीन की साक्षरता का प्रतिशत क्या है। चीन में कुल कितने विश्वविद्यालय हैं। उन की स्थापना कब-कब और किन प्रांतों में हुई। उनमें कितनी भाषाएं पढ़ाई जाती हैं तथा कितने देशों के छात्र पढ़ते हैं और चीन सरकार उन्हें क्या सहायता प्रदान करती है। सब से बड़ा विश्वविद्यालय कौन सा है। सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय कौन सा है और उस में कितने छात्र पढ़ते हैं।
दोस्तो, इधर के वर्षों में चीन में छात्रों के सरकारी उच्च शिक्षा संस्थाओं में भरती के कार्य में तेजी आई है। इस समय चीन की उच्च शिक्षा संस्थाओं में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या वर्ष 1998 से कई गुना बढ़ कर 2 करोड़ हो गई है। उच्च शिक्षा संस्थाओं में भरती होने की दर 10 प्रतिशत से बढ़ कर 17 प्रतिशत जा पहुंची है।
आइए हम आप लोगों की जिज्ञासा शांत करने की कोशिश करते हैं। इस समय चीन में हांगकांग, मकाओ और थाइवान को छोड़ कर उच्च शिक्षा संस्थाओं की कुल संख्या कोई 3 हजार है, जिन में से 1683 सरकारी और 1200 निजी हैं और शेष प्रौढ़ शिक्षा संस्थाएं हैं। चीन की उच्च शिक्षा संस्थाओं में अकादमिक व स्नातक पाढ्यक्रमों के अलावा मास्टर व डाक्टर की डिग्री के लिए पढ़ाई होती है। अकादमिक पाढ्यक्रमों को पूरा करने में तीन साल लगते हैं, जबकि स्नातक कोर्स के लिए चार साल आवश्यक होते हैं। मास्टर व डाक्टर के कोर्स के लिए अलग-अलग तौर पर दो व तीन सालों का समय लगता है।
पूर्वी चीन के च्यांगसू प्रांत में उच्च शिक्षा संस्थाओं की संख्या 103 है। चीन में यह प्रांत पहले स्थान पर है। इस के बाद दक्षिणी चीन के क्वांगतुंग प्रांत में उच्च शिक्षा संस्थाओं की संख्या 93 है और वह दूसरे स्थान पर है। राजधानी पेइचिंग में उच्च शिक्षा संस्थाओं की संख्या 76 है। चीन में यह सातवें स्थान पर है।
चीन की राजधानी पेइचिंग के लामा मठ यूंगहोकुंग के पास क्वोचीचान है। यह, प्राचीन काल में चीन का सरकारी उच्च शिक्षालय था। इस की स्थापना 13 वीं सदी के य्वान राजवंश में हुई थी।
क्वोचीचान व्यवस्था का इतिहास लगभग 3000 वर्ष पुराना है। चीन के चओ राजवंश काल में राजकुमारों व आभिजात्य परिवारों के बेटे प्रशिक्षण के लिए वहां भेजे जाते थे।
आज पिएचिंग में क्वोचीचान राजधानी पुस्तकालय व ऐतिहासिक संग्रहालय बन चुका है।
आधुनिक चीन का प्रथम विश्वविद्यालय शंघाई सान जोनस विश्वविद्यालय माना जाता है। इस की स्थापना 19 वीं सदी के 60 वाले दशक में विदेशी चर्च ने की।
इस के बाद, चीन सरकार ने 1895 में पेइयांग विश्वविद्यालय की स्थापना की। 1896 में नानयांग विश्वविद्यालय की स्थापना हुई और 1898 में राजधानी विश्वविद्यालय की। बाद में राजधानी विश्वविद्यालय को पेइचिंग विश्वविद्यालय नाम दिया गया।
इस समय, चेचांग विश्वविद्यालय चीन का सब से बड़ा विश्वविद्यालय माना जाता है।
चचांग विश्वविद्यालय चीनी परम्परागत महाविद्यालय के आधार पर स्थापित किया गया। इस की स्थापना 1897 में की गई। 20 वीं सदी के 50 वाले दशक में इसे चचांग विश्वविद्यालय, हांगचओ विश्वविद्यालय, चचांग कृषि विश्वविद्यालय और चचांग मेडिकल विश्वविद्यालय जैसे अनेक भागों में विभाजित किया गया। सितंबर 1998 में इन चारों विश्वविद्यालयों को मिला कर इसे 浙江 विश्वविद्यालय नाम दिया गया। इस के कुलपति चीनी इंजीनियरिंग अकदमी के अकदमीशियन प्रोफ़ेसर फान य्वीन-हो हैं।
इस विश्वविद्यालय के परिसर का क्षेत्रफल 17 लाख 20 हजार वर्गमीटर है। इसमें 40000 से अधिक छात्र पढ़ते हैं, जिन में 1000 विदेशी छात्र भी शामिल हैं। प्राध्यापकों की संख्या 8700 है, जिन में चीनी विज्ञान अकादमी के 10 अकादमीशियन, चीनी इंजीनियरिंग अकदमी के 7 अकादमीशियन, और 1000 प्रोफ़ेसर हैं।
चीन के सभी उच्च शिक्षालयों में चीनी भाषा यानी मैन्डरिन का प्रयोग किया जाता है। आम तौर पर केवल कुछ कोर्सों की पढ़ाई ही अंग्रेजी भाषा में होती है।
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