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(GMT+08:00) 2005-02-08 10:04:43    
ह्वी जाति के एक मशहूर इमाम छन क्वांगयुन

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आप को मालूम हुआ होगा कि चीन की ह्वी जाति इस्लाम धर्म में आस्था रखती है , ह्वी जाति के लोग इस्लामी रीति रिवाज के मुताबिक कुरान का पालन करते हैं और मस्जिद में नमाज अदा करने जाते हैं । मस्जिद में इमाम और अल्लाम काम करते हैं ।

पेइचिंग के रौनक सड़क –तुंगसी सड़क पर एक भव्य मस्जिद खड़ा हुआ है , यही पांच सौ साल पुराना मशहूर तुंगसी मस्जिद है । मस्जिद में अकसर सफेद इस्लामी टोपी पहने तेजस्वी बुजुर्ग आते जाते दिखते हैं । वे इस मस्जिद के इमाम छन क्वांगयुन है । जब मैं वहां पहुंची , तो मस्जिद का जीर्णोद्धार किया जा रहा था । मुझे बताया गया कि पेइचिंग सरकार ने श्री छन क्वांगयुन के सुझाव पर इस मस्जिद का जीर्णोद्धार करना शुरू किया ।

बुजुर्ग इमाम छन क्वांगयुन को इस मस्जिद में काम करते हुए 38 साल हो चुके हैं , वे अब देश विदेश में मशहूर इमाम बन गए हैं , साथ ही चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की राष्ट्रीय कमेटी की स्थाई समिति के सदस्य भी हैं । उन से मुलाकात से मुझे अनुभव हुआ कि वे एक बहुत सुशील और विनय व्यक्ति हैं ।

श्री छन क्वांगयुन का जन्म वर्ष 1932 में उत्तर चीन के हपै प्रांत के एक साधारण ह्वी जातीय परिवार में हुआ था । बालावस्था में उन का पिता इस दुनिया से चल बसे , घर का जीविका चलाने के लिए उन की माता जी दूसरे घरों में नौकरी के रूप में काम करती थी , इसी से वे और तीन बहन भाई पले बढ़े । घर का जीवन बहुत दूभर था , कभी कभी खाना भी नसीब नहीं होता था और स्कूल पढ़ने जाने का तो नाम भी लिया जा सकता था । लेकिन छन क्वांगयुन के दिल में ज्ञान पाने की जिज्ञासा जोर पकड़ रही थी , इस की याद करते हुए उन्हों ने बतायाः

जब कभी मैं ने देखा कि दूसरे परिवारों के बच्चे स्कूल जा रहे थे , तो मैं उन से बहुत ईर्षा करता था । काश , मैं भी उस की तरह स्कूल जा सकूं । किन्तु स्कूल भेजने के लिए मेरे घर के पास पैसा नहीं था , विवश हो कर मैं स्कूल जा सकने वाले छोटे साथियों से पूछता था और उन से किताबों का ज्ञान सीखता था , इस तरह मैं ने बहुत से ज्ञान भी हासिल किए थे । घर के कठिन जीवन के कारण उन की माता जी ने उन्हें एक मस्जिद में भेजा , उन की उम्मीद थी कि मस्जिद में छन क्वांगयुन कुछ तो सीख सकता था । छन क्वांगयुन ने अपनी माता जी की उम्मीद पर पानी फिरने नहीं दिया , मस्जिद में वह मेहनत से ज्ञान सीखता रहा । पुस्तक खरीदने का पैसा नहीं था , तो वे दूसरों से पुस्तक उधार कर नकल उतारता था । आज तक भी उन्हें मस्जिद में अपनी बालावस्था के कठिन पढ़ाई जीवन व मेहनत की याद रही है । श्री छन कवांगयुन ने चीनी भाषा के अलावा अरबी व फारसी भाषा और इस्लाम धर्म के बारे में भी ज्ञान सीखे । बालावस्था में उन्हों ने धार्मिक सूत्रों को नकल उतारा था , अब भी उन के अपने पास सुरक्षित रखे हुए हुए । उन का कड़ी मेहनत और प्रतीभा का बाद में रंग आया । नए चीन की स्थापना के बाद वर्ष 1952 में उन्हों ने पेइचिंग के ह्वी जातीय कालेज की अरबी भाषा कक्षा में दाखिला पाया । वर्ष 1955 में पढ़ाई में श्रेष्ठ उपलब्धियों के साथ वे चीन के इस्लामी धर्म के उच्चतम शिक्षालय यानी चीनी इस्लामी कालेज में दाखिला किया गया और वे इस कालेज के प्रथम खेप के छात्र बन गए । कालेज में पढ़ने के दौरान छन क्वांगयुन इस्लाम धर्म के गहन ज्ञान से बरबस आकर्षित हो गए और उन्हों ने इस्लाम धर्म का प्रचार प्रसार करने के लिए एक ज्ञानी अल्लाम बनने का संकल्प किया । इस की चर्चा करते हुए वे कहते हैः

यह मेरे जीवन की एक कुंजीभूत घड़ी थी , पहले मैं मस्जिद का एक चेला था , बाद में इस्लामी कालेज का छात्र बन गया और वहां से नियमित और औपचारिक शिक्षा प्राप्त की , वहां वर्षों से मेरा सपना साकार हो गया और इस ने एक ज्ञानी अल्लामा बनने के लिए पुख्ता आधार भी डाला ।

पचास वाले दशक के अंत में श्री छन ख्वांगयुन इस्लामी धर्म कालेज से स्नातक हुए और क्रमशः दो मस्जिदों में इमाम का पद संभालते रहे । वर्ष 1966 में वे पेइचिंग के तुंगसी मस्जिद में इमाम के रूप में नियुक्त हुए . तब से अब तक तीस से अधिक साल गुजरे थे , इस के दौरान उन्हों ने मिश्र , इराक और इरान समेत अनेकों अरब देशों की यात्रा की और इन मुस्लिम देशों के साथ सांस्कृतिक आदान प्रदान बढ़ाया , उन्हों ने मक्का की तीर्थ यात्रा भी की और काजी का उपाधि मिली । श्री छन क्वांगयुन इस्लामी धर्म के एक मशहूर विद्वान बने , वे चीनी इस्लाम धर्म संघ के अध्यक्ष और चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की राष्ट्रीय कमेटी की स्थाई समिति के सदस्य चुने गए । वे चीन के धार्मिक स्थलों के जीर्णोद्धार और इस्लामी धर्म के उत्तराधिकारियों के प्रशिक्षण पर खासा ध्यान देते हैं । वे कहते हैः

मैं ने अनेक बार सुझाव पेश किए कि धार्मिक स्थलों के विकास तथा नई पीढी के इस्लामी विद्वानों के प्रशिक्षण पर बल दिया जाए , जिन पर सरकार ने बड़ा महत्व दिया । सरकार ने करोड़ों य्वान की राशि निकाल कर तुंगसी मस्जिद का जीर्णोद्धार करवाया और पेइचिंग के प्राचीन मस्जिद मुस्लिम सड़क के मस्जिद का विस्तार किया , नई पीढी के इस्लामी विद्वानों के प्रशिक्षण पर भी ध्यान दिया गया , अब हर साल कोई हजार छात्र देश के कई इस्लामी धर्म कालेजों से स्नातक होते हैं । सूत्रों के अनुसार चीन में दो करोड़ मुसलमान रहते हैं और वे मुख्यतः उत्तर पश्चिमी चीन में रहते हैं । इस क्षेत्र के गरीब इलाकों की समस्याओं को दूर करने के लिए श्री छन क्वांगयुन ने राजनीतिक सलाहतार सम्मेलन में अनेक बार प्रस्ताव पेश किए थे । वे कहते हैः

चीन सरकार ने पश्चिमी चीन के जोरदार विकास की रणनीति लागू की है , जिस से वहां रहने वाले एक करोड़ पचास लाख से अधिक मुसलमानों को गरीबी से छुटकारा पाने तथा समृद्धि प्राप्त होने का अच्छा मौका मिला है । मुस्लिम युवा पीढ़ी धार्मिक ज्ञान के अलावा आधुनिक विज्ञान तकनीकों और नए व्यवसायों पर भी माहारत हासिल करने को कोशिश करते हैं , इस से मुसलमानों को जल्दी ही खुशहाली मिल सकेगी ।

इमाम छन क्वागंयुन व्यस्त धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों के अतिरिक्त इस्लाम धर्म के बारे में पुस्तकें भी संपादित व प्रकाशित करते हैं । फिलहाल उन का एक भारी लेखन काम चल रहा है यानी चीनी परम्परागत ब्रुश वाले कलम से कुरान का नक्काली कर रहे हैं । यह एक भारी मेहनत भी है और कलात्मक काम भी ।