प्रिय श्रोताओ , पिछले हफ्ते हम चीन का भ्रमण कार्यक्रम में हम आप के साथ दक्षिण मध्य चीन के हूनान प्रांत के शहर ल्यू यांग के दौरे पर दुलर्भ गुलदाउदी पत्थरों को उन के आकार-प्रकार के हिसाब से फूलों, पक्षियों और मानव की आकृतियों के रूप में तराश कर बहुत सुंदर कलाकृतियों का लुत्फ ले चुके हैं , तो फिर आप मेरे साथ आज के चीन का भ्रमण कार्यक्रम में इसी शहर में तैयार प्रसिद्ध आतिशबाजी व पटाखों और आतिशबाजी म्युजियम के दौरे पर चलें ।
बीसेक किलोमीटर का रास्ता तय करने के बाद हम इस नदी के उद्गम स्थल ता वेइ शान पर्वत पहुंचे। ता वेइ शान को राष्ट्रीय स्तर के वन उद्यान का दर्जा प्राप्त है। इस हरे-भरे वन उद्यान में दो हजार से अधिक किस्मों के पेड़ और 50 से ज्यादा किस्मों के जानवर हैं । यहां का तापमान साल भर 12 डिग्री सेल्सियस के नीचे रहता है।ऐसा अर्ध उष्ण कटिबंध पर स्थित हूनान प्रांत में बहुत कम देखने को मिलता है। ता वेइ शान वन उद्यान में पेड़ों व जानवरों की किस्में ही विविध नहीं हैं, पहाड़ी झीलों, चश्मों और जल प्रपातों की भी भरमार है। वंसत में समूचे पहाड़ी इलाके में रंग-बिरंगे जंगली फूल खिल उठते हैं और उनकी हल्की-हल्की महक चारों तरफ फैली रहती है। इस समय वह लोगों को अपनी ओर विशेष रूप से खींचता है। इस पर्वत पर उगे एक विशेष प्रकार के पेड़ भी बहुत चर्चित हैं। आप के हाथ के इस पेड़ को छूते ही आप के पूरे शरीर में खुजली हो उठती है और वह कांपने लगता है। इसलिए इस पेड़ को खुजली वाला पेड़ भी कहते हैं।
हम ल्यू यांग शहर की चर्चा में पहले ही कह चुके हैं कि यह आतिशबाजी व पटाखों के प्रमुख उत्पादक केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है। यहां की रंग-बिरंगी आतिशबाजी व पटाखे देश-विदेश में विख्यात हैं। शहर में स्थापित आतिशबाजी संग्रहालय भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। ल्यू यांग आने वाले अधिकतर पर्यटक इस संग्रहालय को देखे बिना नहीं रहते । यहां लोगों को ल्यू यांग की आतिशबाजी व पटाखा व्यवसाय के उदय व विकास की जानकारी मिलती है। इस संग्रहालय की गाइड सुश्री य्वान इस व्यवसाय के बारे में कहती हैं ( आवाज 3------)
ल्यू यांग का आतिशबाजी व पटाखों का इतिहास कोई एक हजार चार सौ वर्ष पुराना है। इस संग्रहालय में इस व्यवसाय की शुरुआत से अब तक की आतिशबाजी व पटाखे बनाने की सभी मुख्य क्रियाएं व उनमें परिर्वतन प्रदर्शित हैं। एकदम शुरूआत में हाथ से पटाखे बनाने की जो मूल सरल क्रियाएं यहां प्रदर्शित हैं,वे किसी दूसरी जगह देखने को नहीं मिलतीं, क्योंकि आज आतिशबाजी व पटाखों के कारखानों में मशीनों का प्रयोग किया जाता है और पुरानी क्रियाएं व कलाएं लुप्त हो गयी हैं।
इस संग्रहालय में पिछले सात सौ सालों में स्थानीय लोगों द्वारा प्रयोग में लाये गये विभिन्न प्रकार के औजार भी सुरक्षित हैं। इसके साथ ही इसके कई बुजुर्ग मजदूर पर्यटकों को हाथ से आतिशबाजी बनाने की पूरी क्रिया भी दिखाते हैं। वे उन्हें साधारण छोटे पटाखे बनाने के लिए कागज काटने, उसका गोला बनाने, उस पर सामग्री लपेटने और चिपकाने आदि की अनेक क्रियाएं दर्शाते हैं। इस पूरी जटिल प्रकिया देखने के बाद ही मालूम पड़ा कि पुराने जमाने में पटाखे कैसे बनाये जाते थे। मैं ने मन ही मन सोचा कि लोग पटाखे व रंग-बिरंगी आतिशबाजी छोड़ने में तो बड़ा मजा लेते हैं, पर क्या जानते हैं कि एक मामूली पटाखा तैयार करने में कितना परिश्रम करना पड़ता है। मेरे बगल में खड़ी सुश्री य्वान ह्वी च्वान ने शायद मेरी यह चिंता समझ ली और तुरंत कहा कि आज कारखानों में आतिशबाजी बनाने के लिए डिजीटल तकनीक का प्रयोग किया जाने लगा है और इन्हें तैयार करने की प्रक्रिया पहले से अधिक आसान हो गयी है। आज ल्यू यांग में तीन हजार से अधिक किस्मों की बढ़िया आतिशबाजी व पटाखे तैयार किये जाते हैं और ये उत्पाद सौ से ज्यादा देशों व क्षेत्रों में बिकते हैं। यहीं नहीं, समूचे चीन में तकरीबन हर परम्परागत त्यौहार पर जो आतिशबाजी होती है उनकी सामग्री भी इसी शहर में तैयार होती है।
सुरक्षा के मद्देनजर पर्यटक अपनी पसंद की आतिशबाजी या पटाखे तो नहीं खरीद सकते, पर यह कोई अफसोस की बात नहीं। वे शहर की रौनकभरी सड़क पर घूम सकते हैं और वहां की दुकानों से गुलदाउदी पत्थर और स्थानीय स्वादिष्ट पकवान खरीद ही सकते हैं। हमारे साथ चल रही सुश्री तुंग छ्वी अह ने इस सड़क की ओर इशारा करते हुए कहा यह हमारे ल्यू यांग शहर की चहलपहल भरी सड़क है। इस नवनिर्मित सड़क की वास्तुशैली स्थानीय संस्कृति पर आधारित है। खासकर यहां चीन के 12 पंचांग वर्षों के प्रतीक विशेष जानवरों के वक्ष वाले पत्थर के मंडप अपने ही ढंग के हैं। उनकी बात सुनते हुए हम इस रौनकदार सड़क पर आ पहुंचे और गौर से देखा कि सड़क के दोनों किनारों पर बहुत सी छोटी-बड़ी दुकानें हैं। दुकानों में छोटे-बड़े पटाखे, विभिन्न तरह की आतिशबाजी, गुलदाउदी पत्थर और विशिष्ट स्थानीय पकवान बिक रहे थे। दुकानदार बड़े उत्साह के साथ यात्रियों का ध्यान आकृष्ट करने की कोशिश करते दिखाई दिये।
हम ने ल्यू यांग शहर में एक अविस्मरणीय रात बितायी । उस रात शहर में एक भव्य आतिशबाजी आयोजित थी। मैं ने अपनी जिंदगी में पहली बार आकाश में इतनी रंगारंग खूबसूरत आतिशबाजी देखी। विभिन्न रूपों वाली आतिशबाजी छूटने से धुंधला आकाश एकदम रंगीन समुद्र में परिणत हो गया था। सर्दियों के आकाश पर रंग-बिरंगी आतिशबाजी से चमकदार सितारे, चंचल जल प्रपात और खिले हुए फूल और बहुत से अजीबोगरीब नजारे बन रहे थे। कल्पना साकार होती दिख रही थी।यह ऐसा अनुभव था जिसे मैं कभी नहीं भुला सकती।
|