एक रिपोर्ट के अनुसार अब तक अधिकतर तिब्बती बंधु दक्षिणी तिब्बत की जांग मू चौकी से स्वदेश वापस लौटे हैं, जो नेपाल से जुड़ी है। यहां स्वदेश लौटने वाले तिब्बतियों की सत्कार कमेटी का कार्यालय तुरंत उन की नजर में आ सकता है।सत्कार कमेटी के प्रधान श्री जी देन रो बू ने बताया कि 1979 में सत्कार कमेटी की स्थापना के बाद से हर साल 6 या 7 सौ तिब्बती वापस आ रहे हैं, और 20 से ज्यादा देशों के तिब्बती बंधु ने इस मार्ग से चीन वापस लौटे हैं। इन लोगों में कई उच्च स्तरीय देशभक्त जीवित बौद्ध , विद्दार्थी औ गरीबी लोग सभी शामिल हैं। इन लोगों के पास पैसे न होने पर सत्कार कमेटी उन के मुफ्त खाने पीने व रहने की व्यवस्था करती है। श्री जी देन रो बू ने कहा कि इन तिब्बती लोगों को इस से यहां घर का एहसास होता है।
तिब्बत स्वायत प्रदेश की विभिन्न स्तरों की सरकारों का स्वदेश लौटे तिब्बतियों के राजनीतिक जीवन पर भी बड़ा ध्यान है और वे उन्हें स्वायत प्रदेश की राजनीति में भूमिका अदा करने की भी प्रेरणा देती हैं।तिब्बत स्वायत प्रदेश के एक पदाधिकारी ने जानकारी दी,
अब तक कुल मिल कर स्वदेश लौटे 100 से ज्यादा तिब्बतियों ने अपने अपने प्रिफेक्टरों, शहरों व जिलों की जन प्रतिनिधि सभा या जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की विभिन्न स्तरीय कमेटियों में अपने लिए स्थान बना लिया है।
चीनी जन प्रतिनिधि सभा देश की सर्वोच्च सत्ताधारी संस्था है, जबकि अन्य सत्ताधारी संस्थाओं को जन प्रतिनिधि सभा के लिए जिम्मेदारी उठानी होती है। उदाहरण के लिए, जिले में, जिला सरकार तथा अदालत जिले की जन प्रतिनिधि सभा के लिए जिम्मेदारी उठाती है और जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन विभिन्न दलों तथा जगतों के गण मान्य लोगों को एकत्र करना है। इसलिए, विभिन्न स्तरों के जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलनों को विभिन्न सत्ताधारी संस्थाओं का परामर्श-दल माना जा सकता है, यों वे विभिन्न स्तरों वाली सत्ताधारी संस्थाओं का निरीक्षण भी करते हैं। इसलिए, चीन में जन प्रतिनिधि सभा या जन राजनीतिक सलाहकार
सम्मेलन का सदस्य बनना अत्यंत आदर की बात है।
1979 में भारत से चीन वापस लौटे श्री जी देन रो बू अब शाननेन प्रिफेक्चर के जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन के स्थाई सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि इन के स्वदेश लौटने के बाद पिछले कोई 20 वर्षों में, तिब्बत में और बडा परिवर्तन आया है ।
उन्होंने कहा, पिछले 20 वर्षों में, शाननेन प्रिफेक्टर में ही कई बड़े परिवर्तन हुए हैं। अब, चाहे शहर हो या काऊंटी , लोग हर जगह खाने पहनने की सभी चीजें पा सकते हैं । श्री जीदेनरोबू ने बताया कि वे अक्सर भारत में रहने वाले अपने रिश्तेदारों को पत्र लिखकर उन्हें अपनी जन्मभूमि के परिवर्तनों की सूचना भी देते रहते हैं।उन्होंने कहा कि वे अपने वर्तमान जीवन से बेहद संतुष्ट हैं।
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