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(GMT+08:00) 2005-02-07 14:58:07    
पांचवें ग दा जीवित बुद्ध की कहानी

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चीन के सी छ्वेन प्रांत का गेन जी तिब्बती प्रिफेक्चर वह क्षेत्र है जहां से कभी स्वर्गीय चीनी नेता माओ ज तुंग के नेतृत्व वाली चीनी लाल सेना अपने प्रसिद्ध लंबे अभियान के दौरान गुजरी थी। इससे जुड़ी कई कहानियां वहां आज तक प्रचलित हैं। आज हम आप को सुना रहे हैं पांचवें ग दा जीवित बुद्ध और चीनी लाल सेना की मैत्री की कहानी।

पहले वह एक तिब्बती गुलाम का बेटा था। भाग्य से वह तिब्बती बौद्ध धर्म का जीवित बुद्ध चुना गया। चीन के तिब्बती बहुल क्षेत्र के उज्ज्वल भविष्य के लिए उसने अपनी विशेष हैसियत से अनेक अच्छे काम किये, लेकिन विजय की रोशनी आने के वक्त अपनी आंखें बंद कर लीं। वह है तिब्बत का बेटा पांचवां ग दा जीवित बुद्ध।

जीवित बुद्ध ग दा का जन्म वर्ष1903 में सी छ्वेन प्रांत के गेन जी प्रिफेक्चर के एक गुलाम परिवार में हुआ। सात वर्ष की उम्र में उन के जीवन में तब भारी परिवर्तन आया जब स्थानीय बेई ली मंदिर के एक जीवित बुद्ध का देहांत हुआ। तिब्बती बौद्ध धर्म की ग लु शाखा के नियमानुसार, उनके अवतार को खोजना जरूरी था। और इल गुलाम के बेटे को यह अवतार तय किया गया। इस तरह वह बौद्ध अनुयाइयों का नेता बन गया। 17 वर्ष की उम्र में वह तिब्बत के ल्हासा गया आठ वर्षों की पढ़ाई करने और वहां तिब्बती बौद्ध धर्म की सर्वोच्च उपाधि ग शी प्राप्त की।

पांचवें जीवित बुद्ध बहुत उदार व सरल व्यक्ति थे। उन्हें आम जनता की मदद करना पसंद था, इसलिए, उन्हें स्थानीय तिब्बती लोगों में बड़ा सम्मान प्राप्त था। उन के बेई ली मंदिर द्वारा की पूरी आमदनी, मंदिर के दैनिक खर्च के बाद आसपास के गरीबी लोगों की सहायता पर खर्च होती थी। पांचवें जीवित बुद्ध तिब्बती औषधियों से स्थानीय लोगों का इलाज करते थे। वे जीवित बुद्ध थे, तिब्बती डाक्टर थे, कवि थे और गायक भी । उन का दिल न्याय व सद्भावना से ओतप्रोत था। चीन की क्वो मींग दांग पार्टी द्वारा बेघऱ बनाए गये लोगों की उन के मंदिर ने रक्षा की थी।

वर्ष 1936 के वसंत में चीन की लाल सेना गेन जी प्रिफेक्चर पहुंची। लाल सेना की दूसरी और चौथी टुकड़ियों का गेन जी में क्रांतिकारी ऐतिहासिक मिलन हुआ। गेन जी पहुंचने के बाद, लाल सेना स्थानीय लोगों में पार्टी की जातीय व धार्मिक नीतियों का प्रचार करने लगी। शुरू में वहां की जनता को पता नहीं चला कि लाल सेना क्या है। कुछ स्थानीय अमीर लोग दूसरे प्रांतों को भाग गये। कुछ लोगों ने खुद को छुपाये रखा। लाल सेना ने अपनी गतिविधियों से जनता का दिल जीत लिया। स्थानीय तिब्बती जनता ने अपने घर से सामान, घी और चाय ला कर लाल सेना का हार्दिक स्वागत किया। पांचवें ग दा जीवित बुद्ध ने अपनी आंखों से लाल सेना का कड़ा अनुशासन देखा। उन्हें लगा कि लाल सैनिक उनके दोस्त हैं। उन्होंने लाल सेना के कमांडर जू देई के साथ नौ बार वातचीत की और पार्टी की नीति का अच्छी तरह अध्ययन किया। उन की श्री जू देई के साथ घनिष्ठ मैत्री स्थापित हुई। जनरल जू दे, ल्यू बो छन और ह लुंग आदि नेताओं के साथ बातचीत करने के बाद उन्होंने जनता से कहा कि क्वो मींग दांग पार्टी ने आप से अनेक कर वसूले हैं, जबकि लाल सेना ही गरीबों को मुक्ति देने वाली बुद्ध सेना है। पार्टी की नीति के तिब्बती बहुल क्षेत्र में प्रसार में उन्होंने सक्रिय भूमिका अदा की। तिब्बती बहुल क्षेत्र में जनता जीवित बुद्ध का सम्मान करती थी इसलिए पांचवें ग दा जीवित बुद्ध ने अपनी प्रतिष्ठा और क्षमता से जनता का लाल सेना के लिए अनुवाद करने और उसके हताहतों का इलाज करने के लिए आह्वान किया।

वर्ष 1936 के मई माह में, प्रथम तिब्बती क्रांतिकारी सत्ता चीन लोक सोवियत बोपा स्वशासी सरकार की सी छ्वेन के गेन जी प्रिफेक्चर की गेन जी कांउंटी में स्थापना हुई। 33 वर्षीय पांचवें ग दा जीवित बुद्ध स्वशासी सरकार के उपाध्यक्ष चुने गये। लाल सेना के गेन जी प्रिफेक्चर से जाने के बाद पो बा सरकार ने भी अनेक काम किये और लाल सेना द्वारा पीछे छोड़े गये हताहतों की देखभाल की । लाल सेना के जाने के वक्त अनेक तिब्बती युवक भी लाल सेना में दाखिल हुए।