आज के इस कार्यक्रम में हम बालाघाट, मध्य प्रदेश के डा. प्रदीप मिश्रा, कोआथ, बिहार के विश्व रेडियो श्रोता संघ के अध्यक्ष सुनील केशरी, कोआथ के ही प्रमोद कुमार केशरी, सनोज कुमार केशरी और भगलपुर, बिहार की नाजनी हसन, तामन्ना हसन, हमीदा हसन, शबीना हसन, सुलताना खातून तथा नाजमा खानम के पत्र शामिल कर रहे हैं।
पहले बालाघाट, मध्य प्रदेश के डा. प्रदीप मिश्रा का पत्र देखें। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है
मैं सी आर आई द्वारा प्रसारित हिंदी कार्यक्रमों का सक्रिय श्रोता यानी प्रतिदिन इन कार्यक्रमों को सुनने वाला श्रोता बनता जा रहा हूं। इस का श्रेय सी आर आई द्वारा प्रसारित अच्छे, मनमोहक ज्ञानदायक कार्यक्रमों और इन कार्यक्रमों को मधुर स्वरों में प्रसारित करने वाले उसके सभी उद्घोषक भाई-बहनों को जाता है।
सी आर आई द्वारा प्रसारित हिंदी कार्यक्रमों में मुझे सब से ज्यादा अच्छे आज का तिब्बत, चीन का संक्षिप्त इतिहास तथा विज्ञान, शिक्षा और स्वास्थ्य कार्यक्रम लगते हैं तथा सब से ज्यादा लम्बा समय खींचने वाला सवाल-जवाब कार्यक्रम लगता है। सवाल-जवाब कार्यक्रम में आप एक संक्षिप्त प्रश्न का जवाब विस्तृत रूप में देते हैं, जिससे सवाल-जवाब कार्यक्रम का पूरा समय एक प्रश्न के उत्तर में ही बीत जाता है। इस कारण अन्य श्रोताओं को अपने प्रश्नों के उत्तर के लिए अगले सवाल-जवाब कार्यक्रम की कई दिनों तक राह देखनी पड़ती है। उदाहरण के लिए यदि किसी श्रोता का प्रश्न है चीन में कितने राज्य हैं, विवरण दें तो जवाब में उद्घोषकगण चीन के सभी राज्यों के नामों के साथ उसकी स्थिति, जनसंख्या, क्षेत्रफल, आदि बताना शुरू कर देते हैं, जबकि आप को केवल उनकी कुल संख्या एवं उनके नाम बताना ही काफी होता।
इसी प्रकार आप सवाल-जवाब कार्यक्रम में प्रश्नकर्ताओं के नामों में किसी एक श्रोतासंघ के सभी सदस्यों का नाम लेना शुरू कर देते हैं, जिस में भी काफी समय जाता है, जबकि किसी श्रोतासंघ के प्रश्नकर्ता होने पर मात्र उस श्रोतासंघ व उसके अध्यक्ष, व वह जहां से आया है, का नाम लेना ही काफी है। आशा है कि मेरे इन सुझावों पर ध्यान देते हुए आप मुझ से नाराज न होते हुए क्षमा करेंगे।
पत्र में आगे उन्होंने पूछा है कि चीन में राष्ट्राध्यक्ष का कार्यकाल कितने वर्षों का होता है व उन का चयन किस प्रकार किया जाता है।
दीप मिश्रा भाई, आप के पत्र के लिए शुक्रिया। आप ने अपने पत्र में सी आर आई के हिंदी कार्यक्रम के लिए अच्छा सुझाव पेश किया है।
अब हम आप के प्रश्न का उत्तर दे रहे हैं। चीन में राष्ट्राध्यक्ष का कार्यकाल 5 साल का होता है। उन का चुनाव राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा करती है। जिस आदमी को निर्वाचन का अधिकार हो और जिसकी उम्र 45 साल हो , वह राष्ट्रपति चुना जा सकता है। राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा की तरह राष्ट्राध्यक्ष का कार्यकाल पांच साल का होता है और वे सब से ज्यादा दो बार राष्ट्रपति पद संभाल सकते हैं।
वर्ष 1949 में नए चीन की स्थापना हुई। तब राष्ट्राध्यक्ष का पद अलग नहीं था, केन्द्र सरकार की परिषद के अध्यक्ष ही राष्ट्राध्यक्ष का कार्यभार संभालते थे।
वर्ष 1954 में चीन की प्रथम राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के प्रथम अधिवेशन में संविधान बनाया गया। संविधान में राष्ट्राध्यक्ष के पद का निर्धारण किया गया। संविधान ने राष्ट्राध्यक्ष का चुनाव, कार्यकाल, और कार्यभार भी निर्धारित किया।
वर्ष 1975 की चौथी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के प्रथम अधिवेशन में संविधान संशोधित किया गया। संशोधित संविधान में राष्ट्राध्यक्ष का पद रद्द कर दिया गया।
वर्ष 1982 में पांचवीं चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के पांचवें अधिवेशन में चीन का चौथा संविधान पारित हुआ। इस संविधान के तहत राष्ट्राध्यक्ष का पद बहाल कर दिया गया।
अब देखें कोआथ, बिहार के विश्व रेडियो श्रोता संघ के अध्यक्ष सुनील केशरी का पत्र। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है
आपके द्वारा प्रस्तुत सवाल-जवाब और चीनी बोलना सीखें कार्यक्रम से हमें चीन के बारे में ढेर सारी जानकारी मिलती है। 1 सितंबर को मैं सवाल-जवाब कार्यक्रम में अपने सवाल का उत्तर पा कर काफी खुश हुआ क्योंकि आपने सवाल-जवाब में चीन की सभी गुफ़ाओं के बारे में जानकारी दे कर हमारी जिज्ञासा शांत की। इस के लिए हार्दिक बधाई।
उन्होंने पूछा है चीन में एशिया मंच का गठन कब किया गया और इस के स्थाई सदस्यों में कौन-कौन से देश शामिल हैं।
वर्ष 1998 में फिलिपींस के पूर्व राष्ट्रपति श्री फिडेल रामोस, आस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री श्री होक और जापान के पूर्व प्रधानमंत्री श्री तोमीची मुरायामा ने एशिया मंच की स्थापना का प्रस्ताव रखा। संस्थापकों ने मंच का मुख्यालय दक्षिणी चीन के हैनान प्रांत के पोआउ में रखने का सुझाव भी दिया। अनेक एशियाई देशों ने सक्रियता के साथ इस सुझाव को समर्थन दिया। 8 अक्तूबर, 1999 को, चीनी उपराष्ट्राध्यक्ष श्री हू चिन-थाउ ने भी पेइचिंग में श्री रामोस और श्री होक से भेंट के दौरान उन्हें इसके लिए समर्थन दिया। इस के बाद और 25 एशियाई देशों का भी इसे समर्थन मिला।
26 और 27 फरवरी, 2001 को, पोआउ एशिया मंच की स्थापना का समारोह दक्षिणी चीन के हैनान प्रांत के पोआउ में हुआ। 26 देशों के पूर्व राज्याध्यक्ष या सरकारी प्रधानमंत्री और चीनी राष्ट्राध्यक्ष श्री चांग जे-मिन, मलेशिया के प्रधानमंत्री श्री महाधिर और नेपाली नरेश बिरेन्द्र इस समारोह में उपस्थित थे।
मंच के संस्थापक देशों की संख्या 26 है।ये हैं आस्ट्रेलिया, बंगलादेश, ब्रुनेई, कंबोडिया, चीन, भारत, इंडोनेशिया, ईरान, जापान, कजाखस्तान, किर्गिजस्तान, लाओस, मलेशिया, मंगोलिया, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान,फिलीपींस, कोरिया गणराज्य, सिंगापुर, श्रीलंका, ताजिकिस्तान, थाईलैंड, तुर्कमेनिस्तान, उजबेकिस्तान और वियतनाम।
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