पाई लांग काऊंटी तिब्बत के शिकाजे प्रिफेक्चर के दक्षिण भाग में स्थित है , तिब्बत की सब से बड़ी नदी यालुच्यांगपू नदी की मुख्य शाखा नदी ल्यानछु उस में से बहती हुई गुजरती है । यह काऊंटी तिब्बत का अनाज और खाद्यतेल उत्पादन केन्द्र है और कृषि विकास की आदर्श मिसाली काऊंटी है ।
वर्ष 1990 में पाईलांग काऊंटी में कम पैदावार वाले खेतों को सुधारने , घास मैदानों का निर्माण करने तथा बढ़िया बीज वाली फसलों की बुवाई बढ़ाने का कृषि विकास अभियान चलाया जाने लगा । काऊंटी में वैज्ञानिक तकनीक रूप से खेतीबाड़ी पर जोर लगाया गया , जल संसाधनों , खेतों , जंगलों और सड़कों का साथ साथ विकास किया जाने लगा । काऊंटी में कृषि उत्पादन के जोरदार विकास के साथ साथ औद्योगिक उद्योगो और सेवा उद्योग का भी विकास किया जाने में तेजी लाई गई , इस बहुमुखी विकास के फलस्वरूप यहां कृषि उत्पान को बढ़ावा मिला , ग्रामीण अर्थव्यवस्ता में भारी सुधार आया , किसानों के समृद्ध होने के बाद सभी गांवों और पूरे जिले को समृद्धि की दिशा में लाने की भरपूर कोशिश की जाने लगी ।
कृषि के बहुमुखी विकास के परिणामस्वरूप पाईलांग काऊंटी का आर्थिक स्थान स्वायत्त प्रदेश में खासा उन्नत हो गया है, इस के साथ स्थानीय किसानों का जीवन भी उल्लेखनीय रूप से सुधर गया ।
41 वर्षीय वांचन एक आम तिब्बती महिला है, उन के परिवार के पांच सदस्य है, जो कातुंग में रहते हैं । वह और उस का पति गैहूं और जौ की खेती के अलावा घर पर एक छोटी सी फुटकर चीजें बिकने वाली दुकान चलाते है, इस के अवाला आटा और खाद्यतेल मील भी खोला है । जब हम उन के घर में प्रवेश कर गए, तो उन की एक बेटी नल पानी से कपड़ा धो रही थी, हमारे आकस्मिक आगमन से घर की मालिकन वांचन भी कुछ कुछ लज्जाने लगी, हम से आने का उद्देश्य सुनने के बाद उन्हों ने बड़े उत्साह के साथ हमारा स्वागत किया और हमें उन के दो मंजिला मकान के बैठक हाल में ले गई।
यह ठेठ तिब्बती शैली का बैठक हाल है , कमरे में घी का हल्का हल्का महक फैल रहा है , दूसरे कमरों से रह रह कर जौ के मदिरा का सुगंध भी सुंघा जा सकता है । तिब्बतिय़ों का पलंग आम तौर पर दो प्रकार के काम में आता है , दिन में तिब्बती शैली के कालीन बिछा कर सोफा का काम आता है और रात में सोने के पलंग का काम बनता है । अनेक रंगों के बिस्तर सुव्यवस्थित रूप से तह कर रखे गए । मुझे यह देख कर बड़ा आश्चर्य हुआ है कि वांचन के बैठक हाल की दीवार पर मशहूर भारतीय फिल्म अभिनेत्री माधुरी दक्षित और अभिनेता शाऱू खान की तस्वीरें टंकी हुई है । आज के जीवन पर वांचन बहुत संतुष्ट है। उन्हों ने कृषि के बहुमुखी विकास के काम की भी भूरि भूरि प्रशंसा की । उन का कहना हैः
"कृषि का बहुमुखी विकास बहुत अच्छा है , इस से हमारा जीवन काफी सुधर हुआ और आमदनी भी बहुत ज्यादा बढ़ी , हम गृह भूमि का निर्माण करते हैं और आय भी ज्यादा कमाते हैं , हम सभी जन साधारण बड़े उत्साह के साथ उस में हाथ बटाते हैं । जब कोई परियोजना का निर्माण पूरा हुआ , तो वेतन भी समय पर घर पर पहुंचाया जाता है , इस की पक्की गारंटी होती है । हम इस पर बहुत संतुष्ट हैं ।"
वांचन ने हमें बताया कि उन के परिवार के पांच लोग है, दंपति के साथ तीन संतान हैं, बड़ी बेटी अब 19 साल की हुई है, जो पाईलांग काऊंटी में एक छोटी दुकान देखती है, बड़ा बेटा हाईस्कूल का छात्र है और दूसरा बेटा घर में है। कृषि के बहुमुखी विकास से उन्हें खासा लाभ मिलता है ।
घर की आय के बारे में वांचन ने हमें बताया कि घर के अनाज प्रोसेसिंग मील से हर साल दस हजार य्वान से अधिक आय आती है, छोटी दुकान से भी तीन हजार य्वान मिलती है । उन का घर यहां माध्यमिक स्तर का है । अब घर में टीवी सेट, तेलीफोन, विडियो प्लेयर, हैंडट्रेक्टर और कटाई मशीन आदि आधुनिक चीजें हैं, बच्चे वि सी डी देखना पसंद करते हैं, पति पत्नी को टीवी पसंद है, जीवन बड़ा सुखद और आरामदेह है ।
वांचन के दो मंजिला मकान के बालकनी पर फुल पौधे खुब सुन्दर से खिले हुए और सौर ऊर्जा वाले चूल्हे पर पानी गर्म किया जा रहा है । तिब्बती घरों में सदियों से आग जलाने में प्रयुक्त गोबर छत पर सुखाने छोड़ा गया ।
बिदाई के समय श्रीमती वांचन ने एक तिब्बती गीत गाया ।
----गीत---
गीत के बोल इस प्रकार हैः हमारे गांव में चार खंभों वाला मकान बना है , कम्युनिस्ट पार्टी हमारे लिए मकान को मजबूत करती है , जो कभी भी ढह नहीं हो सकता , पार्टी ने खुशहाल जीवन लाया है , जो सदासदैव जारी रहेगा ।
वांचन के घर से बिदा होने के बाद भी उन का गाया गीत मेरे कानों में गूंज रहा , उन का सुखमय चेहरा आंखों के सामने घूम रहा ।
----धुन---
खेतों के बीच किसान फलस काटने में व्यस्त है, बीच बीच में उन के गीतों की आवाज सुनाई दे रही है, पाईलांग काऊंटी के किसान अपने खुशहाल जीवन से प्रसन्न हैं । मेरे मन ही मन यह कामना की गई कि उन का भावी जीवन और बेहतर होगा, पाई लांग में जनता, गांव और जिला के साथ साथ समृद्ध होने का रास्ता उतरोत्तर प्रशस्त होता जाएगा ।
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