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(GMT+08:00) 2005-01-26 12:17:45    
ह्वी जाति का लोक गीत ह्वार

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आप को मालूम हुआ होगा कि चीन की ह्वी जाति में ह्वार शैली के लोक गीत बहुत लोकप्रिय है , और उसे गाने वाले पेशेगत और शौकिया कलाकारों की संख्या भी बहुत अधिक है । ह्वार की अनेक शैलियां प्रचलित हैं , बुजुर्ग ह्वी जातीय गायक श्री हान शङ युन ने अपने लम्बे गायन जीवन में अपनी विशेष शैली के ह्वार गीतों का सृजन किया , उन की गायन शैली में चीन के शिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश की वेवूर जाति , कजाख जाति तथा तातार जाति की गायन शैलियों का मिश्रण होता है । श्री हान शङयुन के ह्वार गायन में तेज गति , ताल और प्रबल लय सुनने को मिलता है । श्री हान की आवाज में तुम बुरका हटाओ नाम के ह्वार लोक गीत बहुत लोकप्रिय है ।

तुम बुरका हटाओ नाम के ह्वार लोक गीत में प्रेम में डूबे वेवूर जातीय युवक का एक तीव्र मनसूबा व्यक्त हुआ है , यानी वह अपनी प्रेमिका से इतना प्यार करता है कि वह प्रेमिका की आंखों को देखने के लिए बेहद आतुर है , गीत में वह गाता है कि तुम बुरका हटाओ , मुझे तुम्हारी आंखें गौर से देखने दो । गीत में प्रेमिका पूछती है कि तुम मेरी आंखें क्यों देखना चाहता है , क्या तुम ने काला पानी वाला चश्मा नहीं देखा है , मेरी आंखें उस के पानी की तरह काला हैं । तुम बुरका हटाओ , मैं तुम्हारे काले बाल देखना चाहता हूं , मेरे बाल क्यों देखें , वे नर घोड़े के गर्दन पर के बालों से भी काले हैं ।

हान शङयुन की आवाज में ह्वार गीत बड़ा सुरीली , लहरदार , रूचिकर और उत्साहजनक लगता है , जो स्थानीय लोगों में बहुत पसंद आता है । उन का नाम उन के गाने की भांति लोगों में लोकप्रिय है और बड़ी संख्या में लोग ह्वार सीखने उन के पास आते हैं , वे भी उन्हें सीखाने के इच्छुक हैं , वे अपने गायन ज्ञान को पूरी तरह लोगों को सीखाने को तैयार हैं । उन के शिष्यों में किसान भी है , बुद्धिजीवी भी है और सरकारी कर्मचारी भी । वहां एक सांस्कृतिक भवन में काम करने वाला श्री ली याक्वो उन के शिष्यों में से एक है । अपने गुरू की चर्चा करते हुए उस ने कहाः

मैं गुरू हान का दीवाना हूं , मुझे विशेष कर उन का ह्वार गीत -- बहन, तुम फुल हो , पसंद आता है । क्योंकि बहन , तुम फुल हो शिन्चांग की ह्वार गायन शैली का प्रतिनिधित्व करता है । इस गीत में वेवूर जाति के गीतों का लय शामिल है और बोल में भी स्थानीय विशेषता का मिश्रण है । इस के अलावा उन का गीत शारिहुंबा भी बहुत अच्छा है , इस गीत में वेवूर , कजाख और ह्वी जातियों की विशेषता सम्मिलित है ।

हान शङयुन के शिष्य श्री ली याक्वो और सु शानलिन की आवाज में गाये शालिहुंबा बहुत प्रभावकारी है । गीत के बोल इस प्रकार है , कहां से आया ऊंटा का दल , एहोया , देश की विभिन्न जगहों से घूम कर लौटा भाई , शालिहुंबा । ऊंटों के पीठ पर लदे थैलों में क्या क्या भरे है , एहोया , वह काली मिर्च , लाल मिर्च और हलदी हैं , शालिहुंबा ----।

श्री हान शङयुन को ह्वार शैली के जातीय गीत गाते हुए अब 70 से अधिक साल हो चुके हैं , उन के पांच सौ से ज्यादा गीतों का संकलन और संपादन तथा रिकार्डिंग किया गया है । उन के ह्वार गीत शिन्चांग में ही नहीं , जापानी भाषा में अनुवादित हो कर जापान में भी प्रसारित हो गए हैं । वर्तमान में ह्वी जाति के यह मशहूर लोक कलाकार हान शङयुन शिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश के छांगची ह्वी जातीय स्वशासन प्रिफेक्चर के माछांगहु नाम के एक गांव में रहते हैं और ह्लार शैली में गीतों का सृजन करते हैं और युवा लोगों को सीखाते हैं ।

बुजुर्ग कलाकार हान शङयुन द्वारा हाल ही में बनाया गया एक गीत में जन्म भूमि की मुक्त कंठ से तारीफ की जाती है , इस ह्नार गीत को प्रस्तुत किया है हान की शिष्य वांग श्युफान ने । गीत के बोल इस प्रकार हैः मिछ्यो जो छांगची ह्वी जातीय स्वायत्त प्रिफेक्चर की राजधानी का नाम है , मिछ्यो छांगची का कौन सा स्थान , वह मोती की भांति शानदार और चमकदार है , मिछ्यो में छांगशानची नाम का कस्बा है , वहां ह्वी जाति की युवती सुमन जैसी रूप लावणय है और वहां के युवा खुले दिल के उदार बहादुर हैं ।