आज के इस कार्यक्रम में हम कोआथ, बिहार के सुनील केशरी, डी डी साहिबा, संजय केशरी, सीताराम केशरी, आजमगढ़ , उत्तर प्रदेश के काजी मनजिल हैदरावाद, बाबू रेडियो श्रोता संघ , आबगीला गया, बिहार के मोहम्मद जावेद खान, मोहम्मद जमील खान, जरीना खातून, शाहीना प्रवीन, कहकशां जबीं, बाबू लड्डू, हमीदा खातून, रूही ताज और एस पी तूफानी साहबक, बिलैसपुर. छत्तीसगढ़ के चुन्नीलाल मासूम तथा आज़मगढ़, उत्तर प्रदेश के अहमद ज़ेया अंसारी के प्रत्र शामिल कर रहे हैं।
अब बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के चुन्नीलाल मासूम का पत्र लें। उन्होंने अपने पत्र में चीन के वाइन और सिगरेट उद्योग के बारे में संक्षिप्त जानकारी चाही है।
आइए अब लें इस बारे में जानकारी। चीन में मद्य बनाने का इतिहास कोई 5 हजार साल पुराना है। प्राप्त ग्रंथों के अनुसार, 3700 वर्ष पहले शांग राजवंश काल के लोगों में मद्य का मजा लेने की आदत थी। उस वक्त मदिरा लसदार चावल से बनती थी और उस का रंग पीला होता था। हान और थांग राजवंश काल में पीले मद्य के अलावा चावल और ज्वार से बना श्वेत मद्य, जड़ी-बूटियों से बना मद्य और फलों से बना मद्य भी नजर आने लगा था।
आधुनिक काल में पश्चिमी देशों के प्रभाव से चीनी लोगों में अंगूर की मदिरा, बियर, ह्विस्की और ब्रांडी का मजा लेने की आदत पड़ी। वर्तमान चीन में अनाज से बना श्वेत मद्य, लसदार चावल से बना पीला मद्य, बियर, फलों से बना मद्य, जड़ी-बूटियों से बना मद्य और ब्रांडी, ह्वीस्की जैसे मद्यसार, सुगंधित, शक्कर और रंग से बने विदेशी मद्य प्रचलित हैं।
चीनी मद्य उद्योग निगम के अनुसार, इधर के वर्षों में चीन में मद्य का उत्पादन 3 करोड़ टन को पार कर गया। वर्ष 2001 में श्वेत मद्य का उत्पादन 51 लाख टन रहा, जो सकल उत्पादन का 17 प्रतिशत था। पीले मद्य का उत्पादन 14 लाख टन और सकल उत्पादन का 4.7 प्रतिशत हो गया। सब से ज्यादा बियर का उत्पादन रहा। इस वर्ष चीन में कुल 2 करोड़ टन बियर उत्पादित हुई, जो सकल उत्पादन का 73.3 प्रतिशत थी।
चीन में अंगूर की मदिरा की आवश्यकता में इधर बड़ा इजाफा हुआ। वर्ष 1980 में अंगुर की मदिरा का उत्पादन 78 हजार टन मात्र था। वर्ष 2003 में यह 3 लाख 43 हजार टन हो गया।
बियर के उपभोग में बड़ी वृद्धि हुई। वर्ष 2002 में चीन में बियर का उत्पादन 2 करोड़ 35 लाख 80 हजार टन पहुंच कर विश्व में पहले स्थान पर रहा। वर्ष 2003 में बियर का उत्पादन 2 करोड़ 51 लाख टन पहुंच कर फिर विश्व के पहले स्थान पर आया। इस वर्ष बियर का उत्पादन 2 करोड़ 70 हजार टन होने की संभावना है।
ज्यादातर चीनी विद्वानों का मानना है कि चीन में तंबाकू का प्रसार शायद 16 वीं शताब्दी के मध्य में फिलिपींस से हुआ। क्वांशी ज्वांग स्वायत्त प्रदेश के हफू जिले में एक खंडहर की खुदाई से चीनी मिट्टी से बने तीन पाइप बरामद हुए। पाइप पर छपी मुहर से पता चला कि वे 1549 में बनाए गए थे।
एक अन्य ग्रंथ के अनुसार, वर्ष 220 में ही चीन में तंबाकू का उपभोग किया जाने लगा था। उस वक्त लोग सूंघनी के रूप में तंबाकू का सेवन करते थे। साथ ही हुक़्क़ा व नाल के माध्यम से तंबाकू का उपभोग भी होता था।
वर्ष 1888 में, अमेरिकी व्यापारी मुस्टार्ड ने पूर्वी चीन के शंघाई में सिगरेट बेचनी शुरू की। चीन में यह सिगरेट के व्यापार का आरम्भ था।
आंकड़ों के अनुसार चीन में तंबाकू का सेवन करने वाले व्यक्तियों की संख्या 35 करोड़ है। हर वर्ष वे 17 खरब सिगरेटों का सेवन करते हैं। इस लिए चीन में तंबाकू का बाजार बहुत बड़ा है।
वर्ष 1982 में चीन सरकार ने तंबाकू व्यवसाय में एकाधिकार की व्यवस्था बनाई। इस व्यवसाय में कार्यरत कर्मचारियों की संख्या कोई 5 लाख है। तंबाकू उगाने वाले खेत का क्षेत्रफल करीब 1 करोड़ हैक्टर है और इस व्यवसाय से संबंधित किसानों की संख्या 2 करोड़।
वर्ष 1999 में चीन में सिगरेट का उत्पादन 16 खरब 42 अरब 50 करोड़ रहा। इस वर्ष, चीन ने 1 लाख 14 हजार टन तंबाकू और 7 अरब 6 करोड़ सिगरेटों का निर्यात किया।
सिगरेट के सेवन से स्वास्थ्य को पहुंचने वाली क्षति को रोकने के लिए सरकार ने फिल्टरयुक्त सिगरेट का प्रचार करने और सिगरेट में निकोटिन कम करने के आदेश दिये।
वर्ष 2000 में चीन में फिल्टर वाली सिगरेटों का उत्पादन 3 करोड़ 28 लाख 60 हजार डिब्बे हो गया था, जबकि 1981 में इस की संख्या 9 लाख 59 हजार डिब्बे थी। इस दौरान सिगरेट में निकोटिन 16 मिलीग्राम या एम जी हो गया, जबकि 20वीं शताब्दी के 70 वाले दशक में इस की मात्रा 30 एमजी थी। इस वर्ष 1 जुलाई को सरकार ने आदेश दिया कि जिस सिगरेट में निकोटिन 15 एमजी के पार है, उसे बाजार में बेचने की इजाजत नहीं दी जायेगी।
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