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(GMT+08:00) 2005-01-26 18:56:25    
तिब्बती जीवित बुद्ध लेनपो की कहानी

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मित्रो,हाल में हम ने आप की मुलाकात तिब्बती जीवित बुद्ध लेनपो से करवाई। जीवित बुद्ध लेनपो ने आप को तब चीन की राजधानी पेइचिग स्थित तिब्बती बौद्ध विद्यालय और इस विद्यालय के स्थल शीहानष मठ की कहानी सुनायी थी।अब आप शायद यह जानना चाहें कि जीवित बुद्ध लेनपो किस मठ के हैं और उन्होंने कैसे व कब पेइचिंग के तिब्बती बौद्ध विद्यालय में काम करना शुरू किया। ऐसे सवालों का जवाब पाने के लिए आज हम आप को जीवित बुद्ध लेनपो से एक बार फिर मिलवा रहे हैं। वे खुद आप को अपनी कहानी सुनायेंगे ।तो आइये एक साथ मिल कर सुनें जीवित बुद्ध लेनपो की कहानी,उनकी जबानी। जीवित बुद्ध लेनपो के अनुसार वे वर्ष 1987 में पेइचिंग के तिब्बती बौद्ध विद्यालय की स्थापना से वहां काम कर रहे हैं।इससे पहले वे चीन के कमो मठ की उसके जीवित बुद्ध की हैसियत से देखभाल करते थे । मित्रो कमो मठ एक सुन्दर मठ है और उस का इतिहास 2 सौ वर्ष पुराना है। दक्षिण-पश्चिमी चीन के सिछों प्रांत में स्थित कमो मठ हवीयो मठ भी कहलाता है। जीवित बुद्ध लेनपो के अनुसार उन का जन्म वर्ष 1948 में चीम के छिनहाई प्रांत की चौची कांऊटी में हुआ। तब उन का नाम हार्वा .चामूयांलोचोरनपूचे रखा गया । जब वे 3 साल के थे तो उन्हें जीवित बुद्ध लेनपो के रूप में मान्यता प्राप्त हुई ।वर्ष 1951 में उन्होंने औपचारिक रूप से कमो मठ की देखभाल का काम संभाला।जीवित बुद्ध लेनपो की बौद्ध सूत्रों के अध्ययन में बड़ी रुचि है। सुना जाता है कि बहुत छोटी उम्र में ही उन्हों ने बहुत से बौद्ध सूत्रों पर महारत हासिल कर ली थी । जीवित बुद्ध लेनपो की देखरेख में कमो मठ को नयी जीवनी शक्ति मिली। जीवित बुद्ध लेनपो अकसर लोगों को मदद देते हैं। इससे उन्हों ने आम लोगों का प्यार व सम्मान भी जीता। वर्ष 1983 में जीवित बुद्ध लेनपो चीनी बौद्ध संघ की परिषद के सदस्य बने। वे अब तक इस पद पर कार्यरत हैं। जीवित बुद्ध लेनपो अपनी बढ़िया सेवा के लिए चीनी बौद्ध जगत में बहुत मशहूर हैं। दसवें पंचन लामा ने भी उन की प्रशंसा की ।वर्ष 1987 में दसवें पंचन लामा के आदेश पर पेइचिग में तिब्बती बौद्ध विद्यालय की स्थापना की गयी। इस विद्यालय की स्थापना की तैयारी में जीवित बुद्ध लेनपो ने भी भाग लिया। वर्ष 1987 से अब तक जीवित बुद्ध लेनपो इस विद्यालय में पूरी लगन से काम करते आये हैं। वर्ष 1988 में जीवित बुद्ध लेनपो को इस विद्यालय के अनुसंधान विभाग का प्रधान नियुक्त किया गया ।उन का काम बहुत प्रशंसनीय रहा है । इधर जीवित बुद्ध लेनपो ने अमरीका समेत बहुत से देशों की यात्रा की। वे जहां भी गये वहां उन का हार्दिक स्वागत किया गया। इन यात्राओं के दौरान जीवित बुद्ध लेनपो ने बौद्ध धर्म का प्रचार करने की कोशिश की।

मित्रो, इन दिनों जीवित बुद्ध लेनपो बहुत व्यस्त हैं।वे अपने विद्यालय के विकास के लिए भरपूर प्रयास कर रहे हैं। यहां बता दें कि वर्ष 1999 में जीवित बुद्ध लेनपो की कोशिशों से ही कमो मठ में एक सुन्दर पगोडे की स्थापना की गयी।हर रोज यह सुन्दर पगोडा दूर-दूर से आये भिक्षु को अपनी कहानी सुनाता है। इस सुन्दर पगोडे को देख कर हमें बौद्ध धर्म के प्रचार में लगे जीवित बुद्ध लेनपो की याद आती है। हाल ही में हमारे संवाददाता के साथ बातचीत में जीवित बुद्ध लेनपो ने विश्व शांति के लिए प्रार्थना की। हमें विश्वास है कि जीवित बुद्ध लेनपो की प्रार्थना अवश्य पूरी होगी ।