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(GMT+08:00) 2005-01-24 14:40:35    
    सी .आर .आई पर श्रोताओं की प्रतिक्रिया

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आजमगढ़ उत्तर प्रदेश के शलेंद्र कुमार का पत्र । उन्हों ने हमें लिखे पत्र में कहा कि मैं आप का नया श्रोता हूं और आप सी .आर .आई के हिन्दी कार्यक्रमों को बहुत बहुत पसंद करता हूं । आप यह सोच रहे होंगे कि मैं अभी नया श्रोता हूं , तो सी .आर .आई का लिफाफा कहां से मिल गया । दरअसल मेरा यह लिफाफा शाहिद आजमी से मिला है , जो हम एक ही स्कूल में पढ़ते हैं । हम सी .आर .आई के हिन्दी विभाग के प्रोग्रामों की बड़ी ही तारीफ करते हैं और हम ने समझा कि अभी एक श्रोता क्लब खोलो और अपने क्लब के सदस्यों की संख्या बढ़ाओ । सो मैं ने एक क्लब खोल दिया और हमारे क्लब में अभी दो सदस्य हैं , मैं सदस्यों की तादाद बढ़ाता रहूंगा । मुझे यह भी बताया था कि तुम्हारा क्लब एक साल या दो साय तक ही शामिल करेंगे । मैं ने पूछा कि क्यों इतना समय में क्लब को शामिल करते हैं और वह इस का जवाब नहीं दिया । तब मैं अप्रसन्न हो गया और मुझ से कहा कि आप के क्लब को निश्चय ही शामिल करेंगे । कृपया हमारे क्लब को शामिल कर लें , सी .आर .आई के हिन्दी विभाग के सवाल जवाब हमें बहुत अच्छे लगते हैं ।

शलेंद्र कुमार भाई, हम आप का एक नए श्रोता के रूप में हार्दिक स्वागत करते हैं और आप के क्लब को भी सी .आर .आई के हिन्दी विभाग के प्रोग्राम सुनने वाला क्लब स्वीकार कर लेते हैं । इस से पहले हम ने आप को कुछ सामग्री भेजी थी , शायद आप को मिल गयी होगी । यहां हम शाहिद आजमी को भी धन्यावाद देते हैं कि उस ने आप को सी .आर .आई के हिन्दी प्रसारण से अवगत कराया है । वास्तव में जो श्रोता और जो श्रोता संघ जब हमारा कार्यक्रम सुनने के बाद हमें पत्र लिखता है , उस का हम हमेशा उत्साह के साथ स्वागत करते हैं और उसे अपना श्रोता मानते हैं । इस के लिए खास समय की पाबंदी नहीं है , न ही इस के लिए कोई खास औपचारिकता की जरूरत है । आप सी .आर .आई कार्यक्रम सुनते हैं , उसे पसंद करते हैं और हमें पत्र लिख कर बताते हैं , तो हम आप को जरूर स्वीकार कर लेते हैं और आप के पत्र का जवाब देने की कोशिश भी करते हैं । यही हमारा बहुत ही सरल नियम है । हमारा श्रोता बनना चाहने वाले किसी को किसी भी प्रकार की संकोच की जरूरत भी नहीं चाहिए । हम आप और आप के क्लब के सदस्यों के पत्रों का हमेशा स्वागत करने को तैयार हैं ।

गोण्डा उत्तर प्रदेश के राम आशीष गोस्वामी ने हमें लिख कर कहा कि सर्वप्रथम हम श्रोता वाटिका जून 2004 के अंक के प्रभारी संपादक चंद्रिमा और श्योथांग जी को हार्दिक बधाई तथा शुभकामनाएं दूंगा ,जो उन्हों ने इतना सुन्दर अच्छा श्रोता वाटिका का प्रकाशन किया । यह वाटिका मुझे अपने एक मित्र के पास पढ़ने को मिला , जिसे पढ़ कर और उस में छपे हिन्दी विभाग के सभी लोगों के सुन्दर फोटोग्राफस देख कर मैं तुरंत पत्र लिखने को विवश हो गया । वैसे मैं सी .आर .आई का पुराना श्रोता हूं और मुख्य रूप से दूसरा और तीसरा कार्यक्रम प्रतिदिन सुनता हूं । कार्यक्रम की प्रस्तुति और हिन्दी का सुस्पष्ट उच्चारण बड़े ही अच्छे ढंग से होती है , जो काफी सराहनीय है । पहले तो जब मैं कार्यक्रम सुनता था , तब बहुत कुछ सोचता था , किन्तु श्रोता वाटिका में आप लोगों के फोटो देख कर अब ऐसा लग रहा है कि जैसे कोई अपना बोल रहा है । मैं ने कभी चीन देखा नहीं है , लेकिन जब आप लोग अपनी संस्कृति और वहां के रीति रिवाज तथा वहां के प्रमुख स्थानों के बारे में बताते हैं , तो बहुत ही अच्छा लगता है , साथ ही ज्ञान भी बढ़ता है । सी .आर .आई पिछले कुछ दिनों से जिस तरह से यहां भारत में लोकप्रिय हो रहा है , उस में मुख्य रूप से हिन्दी विभाग के सभी लोगों के लगन मेहनत और यहां के प्रति उन के दिल में अथाह प्रेम की भावना ही है , जो प्रसारण का समय होते ही अपनी तरफ आकर्षित कर लेती है ।

गोण्डा उत्तर प्रदेश के पुष्पा श्रीवास्तव ने हमें लिखे पत्र में कहा कि आप के द्वारा प्रेषित पत्र , श्रोता वाटिका का अंक तथा गोल्डन मोंकी तथा ह्विट लिप्पेड डीयर का कार्ड प्राप्त करके मुझे बहुत प्रसन्नता हुई । आपने मेरे पत्र का उत्तर देते हुए मुझे जो उपहार दिया , उस के लिए आप को धन्यावाद । वाटिका में हिन्दी विभाग के सभी सदस्यों को देख कर मुझे अच्छा लगा , सभी सदस्य बहुत खूबसूरत है और चंद्रिमा जी तो वास्तव में चांद जैसी है ।

सी .आर .आई हिन्दी विभाग का प्रयास सराहनीय है , इस कार्यक्रम के द्वारा दो विशाल देशों के लोग निकटता का अमुभव करते हैं और मन में सहज ही अपनापन का भाव उदित होता है । आशा है कि भविष्य में भी आप का स्नेहसिक्त पत्र तथा श्रोता वाटिका मुझे प्राप्त होता रहेगा ।

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