मिङ राजवंश के मध्य काल से, कृषि और दस्तकारी के अनवरत विकास के आधार पर दक्षिणपूर्वी चीन के रेशमी और सूती उद्योगों में पूंजीवादी उत्पादन संबंध भी विकसित होने लगे। केवल सूचओ शहर में ही वस्त्रोद्योग की कई हजार कर्मशालाएं थीं, जिन में बड़ी तादाद में मजदूर काम करते थे। इन कर्मशालाओं में काम का विभाजन बड़ी तफसील से किया गया था और उन का उत्पादन बहुत ज्यादा था। लेकिन जहां तक उन में काम करने वाले मजदूरों का सवाल था, उन के पास अपनी श्रमशक्ति और तकनीकी कौशल के अलावा अन्य कोई चीज नहीं थी, यहां तक कि एक करघा भी नहीं।
उन को जब काम मिलता तो वे अपनी जीविका चला सकते थे, लेकिन जब उन को काम न मिलता तो जीविका का कोई उपाय उन के पास न रह जाता। अपने मालिकों के साथ उन का संबंध वैसा ही था जैसा कि श्रम और पूंजी के बीच होता है, वह बहुत कुछ पूंजीवादी किस्म का संबंध था। उस समय भी देश में कृषि और दस्तकारी उद्योग के संयोजन पर आधारित प्राकृतिक अर्थव्यवस्ता की ही प्रधानता थी।उत्पादन के पूंजीवादी संबंध अब भी अपनी प्रारम्भिक व शैशव अवस्था में ही थे और सामन्तवादी व्यवस्था द्वारा बाधित होने के कारण बहुत धीरे धीरे विकसित हो रहे थे।
मिङ राजवंशकाल में उत्तरपूर्वी चीन के हेइलुङ नदीघाटी और सुङह्वा नदीघाटी के ज्यादातर निवासी न्वीचन जाति के थे, लेकिन हान जाति , मंगोल जाति, कोरियाई जाति और अन्य अल्पसंख्यक जातियों के कुछ लोग भी वहां वसते थे।
1409 में अओदी नदी व बाह्य हिङकान पर्वतशृंखला तक के इलाके का शासन इसी कमान के हाथ में था। सरकार ने इस विशाल इलाके में बहुत से सैन्यक्षेत्र कायम किए , जो सभी नुरखान गैरिजन कमान के अधीन थे।
चीन के उत्तरपश्चिम के शिनच्याङ इलाके में उइगुर जाति के लोग और कुछ अन्य जातियों के लोग , जिन में हान जाति के लोग भी शामिल थे, रहते थे।
मिङ सरकार ने इस इलाके में आठ सैन्यक्षेत्रों की स्थापना की , जिन का क्षेत्राधिकार पूर्व में कानसू प्रान्त के च्याय्वीक्वान दर्रे तक, पश्चिम में लोग नूर तक, उत्तरपश्चिम में पारखुल पर्वतशृंखला तक और दक्षिणपश्चिम में छाएदाम बेसिन तक था।
मिङ सरकार ने तिब्बत में ,जो उस समय तबुस गत्साङ के नाम से मशहूर था, तबुस गत्साङ गैरिजन कमान की स्थापना की थी, जिस के क्षेत्राधिकार में वहां के सभी सैन्य कार्यालय थे।
मिङ सरकार ने युननान और क्वेइचओ के उन इलाकों में जहां अल्पसंख्यक जातियों के लोग आबाद थे, य्वान काल से चली आई मूल निवासियों के बीच से अफसर नियुक्त करके प्रशासन चलाने की व्यवस्था जारी रखी, जिस के अन्तर्गत वहां की अल्पसंख्यक जातियों के मुखिया या सरदार प्रिफेक्चर , उपप्रिफेक्चर या काउन्टी स्तर के अफसर नियुक्त किये जाते थे।
बाद में इस प्रकार के अफसरों को सीधे केन्द्रीय सरकार द्वारा नियुक्त करके भेजा जाने लगा और केन्द्रीय सरकार अपनी इच्छानुसार उन को पदच्युत या स्थानांतरित भी करने लगी। इस परिवर्तन से अल्पसंख्यक जातियों के इन क्षेत्रों में स्थिरता बनाए रखने और उन का विकास करने में मदद मिली।
मिङ सरकार ने अपनी पूर्ववर्ती सरकार की तरह फङहू में एक निरीक्षक कार्यालय की स्थापना की, जिस के क्षेत्राधिकार में फङहू के साथ साथ थाए वान भी था।
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