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2005-01-20 13:52:20
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सुनामी की पूर्व चेतावनी के लिये उपलब्ध व्यवस्था का महत्व
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वर्ष 2004 में हुए हिन्द महासागरीय भूकंप व सुनामी से सभी सुद्रतटीय देशों को चेतावनी दी गयी है । इस विपदा से कुल 1 लाख सत्तर हजार व्यक्तियों की जान छीनी गयी है । नीचे हम इस भयानक विपदा का सिंहावलोकन करें । इंडोनेशिया के उत्तरी भाग में स्थित सुमात्रा द्वीप के समुद्री क्षेत्र में स्थानीय समय के अनुसार छब्बीस दिसंबर की सुबह आठ बजे के आसपास आए भीषण भूंकप से भंयकर ऊंची समुद्री लहरें उठीं ,जिस ने दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के कई देशों को अपनी चपेट में ले लिया और दस हज़ार से ज्यादा लोगों को पानी में समाधि दे दी गई । संबंधित विभागों की रिपोर्ट के अनुसार, भूकंप की तीव्रता रिक्टर माप के अनुसार आठ दर्ज़े की है । इस का उद्गम स्थल सुमात्रा द्वीप के अचे प्रांत के दक्षिण पश्चिम भाग में दो सौ साठ किलोमीटर दूर समुद्र तल में था । इंडोनेशिया में भूकंप व भूकंप से उत्पन्न समुद्री सुनामी लहरों से हजारों लोगों की मृत्यु हुई । इंडोनेशिया विश्व में सब से बड़ा द्वीप समूहों वाला देश है , उस के सभी द्वीप प्रशांत महासागर के ज्वालामुखी पहाड़ों व भूकंप उत्पत्ति क्षेत्र में स्थित हैं । हर वर्ष इंडोनेशिया में दर्जनों भूकंप उत्पन्न होते हैं । सुमात्रा द्वीप में आए मौजूदा भूकंप की स्थिति से देखा जाए तो भूकंप से पैदा हुई प्रत्यक्ष क्षति गंभीर नहीं है, लेकिन भूकंप से आए भीषण समुद्री लहरों ने हिंद महासागर तटों पर स्थित अन्य देशों को भारी क्षति पहुंचाई । मौजूदा भीषम समुद्री लहरों से दक्षिण एशिया के भारत व श्रीलंका को सब से गंभीर नुकसान पहुंचा है । वर्तमान में भूकंप से आए समुद्री लहरों से भारत में तीन हज़ार से ज्यादा लोगों की मृत्यु हुई । भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने तेल मंत्री और यातायात मंत्री को राहत कार्य की जम्मेदारी सौंप कर विपत्ति ग्रस्त क्षेत्र भेजा । इसके अलावा, भूकंप से थाईलैंड के दक्षिण में स्थित पर्यटन स्थल फुकेट द्वीप के आसपास के समुद्री जल क्षेत्र में तुफान उत्पन्न हुआ । तुफानी लहरों ने अधिकांश पर्यटकों को अपनी चपेट में ले लिया , इस लिए इस द्वीप में विभिन्न हॉटलों ने आपात रूप से पर्यकटों को दूसरी जगह ले जाने का कदम उठा है । चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिंग थाओ ने इंडोनेशिया, भारत और श्रीलंका आदि देशों के नेताओं के नाम तार भेज कर समुद्री तुफ़ानी लहरों से इन देशों में हुए लोगों की भारी हताहती व मालों की गंभीर क्षति पर हार्दिक संवेदना जतायी । चीन की वर्ष दो हजार चार की समुद्री विपत्ति संबंधी वैज्ञानिक रिपोर्ट ने इन विपत्तियों के निरीक्षण व पूर्वसूचना की व्यवस्था के निर्माण का सुझाव दिया है । चीनी राजकीय समुद्री ब्यूरो ने समुद्री विपत्ति संबंधी वैज्ञानिक रिपोर्ट जारी की। ब्यूरो के एक अधिकारी ने इस मौके पर कहा कि चीन ने समुद्री निरीक्षण व पूर्वसूचना की प्रारंभिक व्यवस्था स्थापित कर ली है। चीन सरकार इस व्यवस्था के निर्माण में निरंतर तेज़ी लाएगी, ताकि समुद्री विपत्तियों से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके। चीन विश्व के सब से अशांत सागर-- प्रशांत महासागर के किनारे स्थित है। चीन के समुद्रीतट की कुल लंबाई अट्ठारह हज़ार किलोमीटर है। चीन विश्व में समुद्री विपत्तियों से सबसे ज्यादा ग्रस्त रहने वाले देशों में से एक है। गत रविवार को पेइचिंग में चीनी समुद्री ब्यूरो के प्रवक्ता श्री ली छुन शिन ने कहा कि गत वर्ष समुद्री विपत्ति की दृष्टि से चीन के लिए एक सामान्य वर्ष रहा। इस दौरान चीन में एक सौ पचपन बार समुद्री तूफ़ान व लाल ज्वार आए। इस से देश को पांच अरब, चालीस करोड़ य्वान का आर्थिक नुकसान हुआ और एक सौ चालीस लोग लापता हो गये या उन की मौत हो गई। चीनी समुद्री ब्यूरो के एक विशेषज्ञ ने हाल में आए समुद्री सुनामी के बारे में कहा कि प्राप्त आंकड़ों के अनुसार चीन में समुद्री सुनामी आने की संभावना अपेक्षाकृत नीची है। चीन की मुख्यभूमि के समुद्रतटीय क्षेत्र में रुख्यू-रेट्टो और दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के द्वीपों की भूमि बीच में स्थित होने के कारण समुद्री सुनामी का ज़ोर जल्द ही कम हो जाता है और चीन की भूमि तक इस का प्रभाव कम होता है , लेकिन चीन का थाइवान समुद्री सुनामी से प्रभावित होने की संभावना कम नहीं आंकी जा सकती । इतिहास में दर्ज़ हुई सत्तर प्रतिशत सुनामी लहरें इसी क्षेत्र में आयी थी । चीन सरकार समुद्री विपत्तियों के निरीक्षण व उनकी पूर्वसूचना पर बराबर भारी महत्व देती आई है। चीनी राजकीय समुद्री ब्यूरो के वातावरण की पूर्वसूचना देने वाले केंद्र के प्रधान चांग शीन वेई ने कहा कि चीन ने समुद्र के निरीक्षण व पूर्वसूचना देने की प्रारंभिक व्यवस्था स्थापित कर ली है। उन्होंने कहा कि समुद्री विपत्तियों की पूर्वसूचना देने के कार्य को बखूबी अंजाम देने के लिए चीन ने समुद्री निरीक्षण का एक जाल सा बिछा दिया है। वर्तमान में वह समुद्र सर्वेक्षण उपग्रहों तथा जहाज़ों आदि के ज़रिये समुद्री वातावरण के आंकड़े जुटा रहा है और विदेशों के साथ इन सामग्रियों का आदान-प्रदान कर रहा है। वर्तमान में चीन के प्रथम समुद्र सर्वेक्षण उपग्रह श्रृंखला का एक उपग्रह भी काम कर रहा है। इस वर्ष के अंत में इस श्रृंखला का दूसरा उपग्रह प्रक्षेपित किया जाएगा। चीन की पूर्वसूचना व्यवस्था ने बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। विगत अगस्त में रानानिम समुद्री तूफ़ान का पूर्वी चीन के च चांग प्रांत के समुद्रतटीय क्षेत्र पर प्रभाव पड़ा। चीन के समुद्री वातावरण की पूर्वसूचना देने वाले केंद्र ने तीस घंटे पहले ही इस प्रांत के समुद्रतटीय क्षेत्र तक यह सूचना भेज दी। वहां की स्थानीय सरकार ने तुरंत चार लाख लोगों का स्थानांतरण किया और करीब दस हज़ार नौपोत तुरंत लौट आये। इस से नुकसान कम किया गया । खबर है कि चीन सरकार समुद्री निरीक्षण व पूर्वसूचना व्यवस्था के निर्माण में निरंतर तेज़ी लाएगी। संबंधित वैज्ञानिक अनुसंधान कार्य चीन की राजकीय योजना में शामिल किया जा चुका है । चीन आने वाले कुछ वर्षों में इस श्रृंखला के और तीन उपग्रह प्रक्षेपित करेगा। हिन्द महासागरीय भूकंप व सुनामी से संबंधित देशों को भारी जान माल का नुकसान पहुंचाया गया है । इन देशों की मदद देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने भारी कोशिश की । इस बीच चीन ने भी सक्रियता से भूकंप व सुनामी लहरों से ग्रस्त देशों को सहायता दी है । हिंद महासागर में हुए जबरदस्त भूकंप व सुनामी होने के बाद चीन सरकार और चीनी जनता ने पीडित देशों को यथासंभव सहायता की । चीन सरकार हिंद महासागर में हुई इस आपदा पर कड़ी नजर रखी हुई है । आपदा के बाद चीनी राष्ट्राध्यक्ष हूचिनथाओ व प्रधान मंत्री वन चापाओ ने अलग अलग तौर पर चीन सरकार की ओर पीडित देशों को तार भेजकर मृतकों को शोक प्रकट किया और विपत्ति ग्रस्त लोगों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की ।चीनी नेताओं ने चीनी रेड क्रोस सोसाइटी के जरिये पीडित देशों को चंदा दिया और संबंधित देशों के राहत कार्य व पुन निर्माण का समर्थन किया । इस आपदा के पैदा होने के बाद चीन सरकार ने फौरन ही पीडित देशों को 2 करोड य्वान के खाद्यान्न व तंबू समेत राहत सामग्री व नकद की आपात सहायता की । गत वर्ष के अंतिम दिन में चीन सरकार ने पीड़ित देशों को और पचास करोड य्वान की राहत सहायता देने की घोषणा की ।चीनी नागरिक कल्याण मंत्रालय ने नागरिक चंदा की सुविधा के लिए विशेष समन्वय संस्था की स्थापना की ।इस के साथ साथ चीन ने कुछ पीडित देशों को आपात चिकित्सा दल भी भेजे ,जो संबंधित देशों को चिकित्सा बचाव व संक्रामक रोगों की रोकथाम में मदद दे रहे हैं । चीनी राष्ट्राध्यक्ष हूचिनथाओ ने पहली जनवरी को पेइचिंग में कहा कि चीन सरकार और चीनी जनता हिंद महासागर के भूकंप व सूनामी लहरों से ग्रस्त देशों को यथा संभव सहायता प्रदान करने को तैयार है । उन का कहना है इन्डोनेशिया के सुमात्रा द्वीप के आसपास के समुद्रीय क्षेत्र में हुए भीषण भूकंप और सुनामी लहरों से दक्षिण पूर्वी एशिया और दक्षिण एशिया के कई देशों को जान माल की भारी क्षति पहुंच गयी । हम ने इस दूर्दशा के प्रति गहरी सहानुभूति व संवेदना व्यक्त की । चीन सरकार और चीनी जनता विपत्ति ग्रस्त देशों और वहां की जनता को यथा संभव सहायता प्रदान करने को तैयार है , और तहेदिल से कामना करती हैं कि इन देशों की सरकारें और जनता कठिनाइयों को दूर कर विपत्ति को जीत करें और शीघ्र ही अपनी जन्मभूमि का पुनर्निर्माण करें । मौजूदा भीषण विपत्ति पर चीनी जनता का बड़ा ध्यान है । इधर के दिनों में चीन के विभिन्न तबकों के व्यक्तियों व गैर सरकारी संगठनों ने चंदा देकर भूकंप व सूनामी लहरों से ग्रस्त लोगों को सहायता देने में होड़ लगायी । अखिल चीन मज़दूर संघ , चीनी महिला संघ तथा चीनी युवा संघ आदि संगठनों ने विपत्ति ग्रस्त देशों के संबंधित संगठनों को कोई लाखों चीनी य्वान का चंदा दिया , ताकि विपदा ग्रस्त देशों की जनता कठिनाइयों को दूर शीघ्रातिशीघ्र अपनी जन्मभूमि का पुनर्निर्माण कर सके । इस के अतिरिक्त चीनी लोगों ने नव वर्ष के सुअवसर पर आपदाग्रस्त देशों की जनता को संवेदना भी दी। पूर्वी चीन के उशी शहर में लोगों ने सुनामी लहरों से ग्रस्त लोगों के प्रति अभिवादन प्रकट करने के लिए मोमबत्तियां जलायीं । श्री ली ने बताया इस सुअवसर पर हम आपदा से ग्रस्त लोगों के लिए शुभकामना करते हैं कि वे आइंदे आपदा से दूर रहें और अपने लापता परिजनों का पता लगाये। खबर है कि चीन सरकार ने आपदा से ग्रस्त देशों को जो सामग्री व धन प्रदान किया है वे सही सलामत वहां पहुंच गया। चीनी चिकित्सा दल और विशेषज्ञ राहत कार्य के लिए आपदा से ग्रस्त देश जाने को तैयार है। पर विशेषज्ञों का मानना है कि सुनामी से पैदा नुकसान से बचने के लिये सिर्फ पूर्व चेतावनी व्यवस्था लागू करना काफी नहीं है , इसमें आम नागरिकों में सुनामी का मुकाबला करने के संदर्भ में जानकारियों का प्रसार करने का महत्व भी होता है ।
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