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आज के इस कार्यक्रम में हम कोआथ, बिहार के सुनील केशरी, डी डी साहिबा, संजय केशरी, सीताराम केशरी, आजमगढ़ , उत्तर प्रदेश के काजी मनजिल हैदरावाद, बाबू रेडियो श्रोता संघ , आबगीला गया, बिहार के मोहम्मद जावेद खान, मोहम्मद जमील खान, जरीना खातून, शाहीना प्रवीन, कहकशां जबीं, बाबू लड्डू, हमीदा खातून, रूही ताज और एस पी तूफानी साहबक, बिलैसपुर. छत्तीसगढ़ के चुन्नीलाल मासूम तथा आज़मगढ़, उत्तर प्रदेश के अहमद ज़ेया अंसारी के प्रत्र शामिल कर रहे हैं।
पहले कोआथ, बिहार के सुनील केशरी, डी डी साहिबा, संजय केशरी, सीताराम केशरी, आजमगढ़ उत्तर प्रदेश के काजी मनजिल हैदरावाद और बाबू रेडियो श्रोता संघ और आबगीला गया, बिहार के मोहम्मद जावेद खान, मोहम्मद जमील खान, जरीना खातून, शाहीना प्रवीन, कहकशां जबीं, बाबू लड्डू, हमीदा खातून, रूही ताज और एस पी तूफानी साहब का पत्र देखें।
उन्होंने अपने पत्र में पूछा है कि चीन का कौन सा प्रांत पहाड़ी इलाके में पड़ता हैं और सब से ऊंचे पर्वत का नाम क्या है। चीन की मैदानी क्षेत्र कितना लम्बा और चौड़ा है और मैदानी इलाका पहले से बढ़ा है या घटा है। चीन के सब से बड़े पहाड़ तथा उसकी सब से बड़े शिखर का क्या नाम है।
तो आइए, अब हम आपको चीन का संक्षिप्त भौगोलिक परिचय कराने का प्रयास करते हैं। चीन के कुल क्षेत्रफल में पहाड़ों का भाग 33 प्रतिशत है, पठार 26 प्रतिशत हैं, बेसिन 9 प्रतिशत, मैदान 12 प्रतिशत और उच्च भूमि 10 प्रतिशत। पहाड़, उच्च भूमि और पठार का क्षेत्रफल चीन के कुल क्षेत्रफल का एक तिहाई है।
छिंगहै-तिब्बत पठार के दक्षिण में हिमालय पर्वतमाला स्थित है जो चीन, नेपाल, भारत और भूटान की सीमाओं से जुड़ी है। इस की लम्बाई पूर्व से पश्चिम तक 2450 हजार किलोमीटर है। हिमालय पर्वतमाला की समुद्र की सतह से 8000 मीटर ऊंची दस चोटियां हैं, इन में से 5 चीन की सीमा के भीतर हैं। जुमुलांमा चोटी चीन और नेपाल से जुड़ी है। यह चीन की सब से ऊंची चोटी होने के साथ विश्व की प्रथम चोटी भी है। इस की ऊंचाई समुद्र की सतह से 8848 मीटर है।
चीन के मैदान नदियों, झीलों व समुद्र की मिट्टी से बने हैं। मैदानी भाग का क्षेत्रफल 11 लाख 20 हजार वर्गकिलोमीटर है। मैदानी क्षेत्र के खेत उपजाऊ हैं और सिंचाई प्रणाली से अनाज की उच्च पैदावार होती है।

चीन में तीन बड़े मैदान हैं। वे है उत्तर-पूर्वी चीन का मैदान, उत्तरी चीन का मैदान और यांत्सी नदी के मध्य व निचले भाग।
उत्तर-पूर्वी चीन का मैदान चीन में सब से बड़ा है। यह उत्तर-पूर्वी चीन के हैलूंगच्यांग, चीलिन और ल्याओनिंग प्रांतों और भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश में फैला है। इस का क्षेत्रफल 3 लाख 50 हजार वर्गकिलोमीटर है। उत्तर से दक्षिण तक इसकी चौड़ाई 400 किलोमीटर है और पूर्व से पश्चिम तक की लम्बाई 1000 किलोमीटर।
उत्तरी चीन का मैदान हपेई प्रांत में है। इस का क्षेत्रफल कोई 3 लाख वर्गकिलोमीटर है। पेइचिंग, थ्येनचिन, हपैई प्रांत और शानतुंग व हनान प्रांत इसके अंग हैं। चीन की दूसरी सब से बड़ी नदी ह्वांगहो के अलावा ह्वेईहो और हैहो नदियां इस मैदान में बहती हैं।
यांत्सी नदी के मध्य व निचले भाग का मैदान चार भागों में विभाजित है। इस मैदान का क्षेत्रफल 2 लाख वर्गकिलोमीटर है। मैदान में अनेक बड़ी झीलों, और नदियों का जाल फैला है। यहां के खेत उपजाऊ हैं और कृषि उत्पादन विकसित है। शंघाई, उहान और नानचिंग जैसे बड़े शहर इस में स्थित हैं।
अंत में आज़मगढ़, उत्तर प्रदेश के अहमद ज़ेया अंसारी का पत्र देखें। उन्होंने अपने पत्र में पूछा है कि चीन में इलेक्ट्रानिक रेल गाड़ी कब आरम्भ हुई।
चलिए आप की जिज्ञासा शांत करने की कोशिश भी करते हैं। चीन में बिजली की शक्ति से चलने वाली रेल गाड़ियों का प्रयोग वर्ष 1961 में शुरू हुआ।
15 अगस्त, 1961 को, उत्तर-पश्चिमी चीन के शेनशी प्रांत के पाउची से छंगतु जाने वाले रेल मार्ग के 93 किलोमीटर लंबे भाग का विद्युतीकरण किया गया। यह चीन के रेल मार्ग के इतिहास में एक नये अध्याय का आरम्भ था।
तब से 43 साल बीत चुके हैं और चीन के रेल मार्ग उद्योग में भारी परिवर्तन हुआ है। दक्षिण-पश्चिमी चीन के विकास को गति देने के लिए रेल मार्ग के विद्युतीकरण को भी गति दी गई। 1 जुलाई, 1975 को, पाउची से छुंगतु जाने वाले रेल मार्ग का विद्युतीकरण हुआ। इस रेल मार्ग की लम्बाई 676 किलोमीटर है।
चीन में सुधार व खुलेपन की नीति अमल में लाये जाने से विद्युत रेल मार्ग के निर्माण में बड़ी तरक्की हुई। छठी पंचवर्षीय योजना के दौरान 2500 किलोमीटर के विद्युत रेल मार्ग का निर्माण किया गया, सातवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 2787 किलोमीटर के विद्युत रेल मार्ग का निर्माण हुआ।
आठवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 3012 किलोमीटर के विद्युत रेल मार्ग का निर्माण किया गया। नौवीं पंच वर्षीय योजना के दौरान इस कार्य में बड़ी प्रगति हुई। चीन अब कुल 4783 किलोमीटर के विद्युत रेल मार्ग का निर्माण कर चुका है। यही नहीं, क्वांगचओ से शनचन जाने वाले रेल मार्ग पर रेल गाड़ी की प्रतिघंटा रफ्तार 200 किलोमीटर जा पहुंची है। दसवीं पंसवर्षीय योजना के पहले साल यानी वर्ष 2001 में ही 3665 किलोमीटर के विद्युत रेल मार्ग का निर्माण किया गया। विश्व के विद्युत रेल मार्ग के निर्माण के इतिहास में यह एक रिकार्ड है। वर्ष 2002 में 1193 किलोमीटर के विद्युत रेल मार्ग का निर्माण पूरा हुआ। इस वर्ष के अंत तक, चीन में कुल 41 विद्युत रेल मार्गों का निर्माण किया गया, जिन की कुल लम्बाई 18615 किलोमीटर जा पहुंची। यह जापान और भारत को पार कर एशिया में पहले स्थान पर रही और विश्व में रूस व जर्मनी के बाद तीसरे स्थान पर।
अनुमान है कि वर्ष 2005 में चीन में विद्युत रेल मार्ग की लम्बाई 20000 किलोमीटर को पार कर जायेगी, 2010 में यह लम्बाई 26000 किलोमीटर होगी। वर्ष 2020 तक चीन में रेल मार्ग की कुल लम्बाई एक लाख किलोमीटर जा पहुंचेगी, तब इन का 50 प्रतिशत युगल लाइन व विद्युत लाइन होगी।
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