तिब्बत के शिकाजे का दौरा करने के दौरान मैं यहां के तेज आर्थिक विकास से बहुत प्रभावित हुई हैं , यहां के हर क्षेत्र में जो बड़ी प्रगति हुई है , वह हर तरफ महसूस हो सकती है । आप को पता चला होगा कि शिकाजे पंचन लामा का स्थाई निवास स्थान होने के कारण वह तिब्ब्त का दूसरा बड़ा महत्वपूर्ण शहर रहा है। यह तिब्बत के दक्षिण पश्चिमी भाग का राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक केन्द्र है । इस प्रिफैक्चर में पर्यटन संसाधन बहुत प्रचूर है , इस में विश्व की प्रथक ऊंची पर्वत चोटी --हिमालय की चुमालांमा चोटी है , लामा धर्म के सुप्रसिद्ध मठ जाशलुनबु तथा साक्षा है , जो विश्वविख्यात है । शिकाजे प्रिफैक्चर में ठेठ तिब्बती परम्परा में स्थानीय रीति रिवाज देखने को मिलते हैं , स्थानीय निवासियों का सुखद जीवन अनुभव किया जा सकता है ।
हमें बताया गया है कि इधर के सालों में आर्थिक सुधार और खुलेपन की नीति लागू होने के चलते तिब्बत स्वायत्त प्रदेश का सामाजिक व आर्थिक विकास भी देश के अन्य क्षेत्रों की तरह काफी तेज चला , खास कर केन्द्र सरकार की उदार नीतियों के समर्थन तथा भीतरी इलाके के विभिन्न प्रांतों और शहरों की जोरदार सहायता से शिकाजे का कायापलट हो गया है ।
हमें बताया गया है कि देश के भीतरी इलाके के शांगहाई शहर , हैलुन्च्यांग व चीलिन प्रांत विशेष रूप से शिकाजे को सहायता देने वाले इकाई तय किये गए हैं , उन की निस्वार्थ सहायता से शिकाजे में भारी परिवर्तन आया ।
शिकाजे प्रिफैक्चर की उप उच्चायुक्त सुश्री छान्मुछ्युन पुरानी शिकाजे निवासी है , उन्हों ने खुद आंखों से यहां का भारी परिवर्तन देखा है , उन्हें गहरा अनुभव हुआ है कि शिकाजे का परिर्वतन केन्द्र सरकार तथा भीतरी इलाके के भरपूर समर्थन से अलग नहीं किया जा सकता है । वर्ष 2003 तक कुल नौ सालों के भीतर विभिन्न भीतरी शहरों और प्रांतों ने शिकाजे को सहायता के रूप में एक अरब 40 करोड़ य्वान की पूंजी लगायी , सहायता के मुद्दों में शिक्षा , संस्कृति , स्वास्थ्य चिकित्सा , रिहाइशी आवास , किसानों व चरवाहों के स्थाई निवासों का निर्माण , जल संसाधन विकास , यातायात , टीवी प्रसारण और ऊर्जा विकास आदि शामिल है , आज के शिकाजे में स्थानीय लोग बहुत खुशहाल जीवन बिताते हैं । सुश्री छान्मुछ्युन ने कहाः
"भीतरी इलाकों द्वारा तिब्बत को सहायता दी जाने में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त हुई है , तिब्बती जनता इस का हार्दिक स्वागत करती है , वर्ष 2004 के जून माह में तिब्बत की सहायता करने आए भीतरी क्षेत्र के नए व पुराने लोगों का तबादला किया गया , पुराने लोगों के चले जाने पर स्थानीय निवासियों ने दूर से आ कर उन्हें बिदा दी , बिदाई का माहौल बेहद उत्साहपूर्ण था और बहुत प्रभावकारी था ।"
आज के शिकाजे में सभी लोग मजे में मस्त हैं , जीवन विविधतापूर्ण और सुखमय है । पंचन लामा का निवास स्थान होने के कारण जाशलुन्बु मठ बहुत रौनक हो गया , रोज बड़ी संख्या में श्रद्धालु लोग मठ में पूजा करने आते हैं । मठ की बुद्ध तस्वीर धूप में सूखा रखने का उत्सव और पूजा नृत्यु उत्सव शिकाजे निवासियों के प्रमुख त्यौहार हैं । त्यौहार के दौरान तिब्बती लोग जाशलुन्बु मठ में लामाओं के साथ मिल कर खुशी मनाते हैं । जब मैं शिकाजे में थी, ठीक सितम्बर की 17 तारीख को वहां पूजा नृत्य उत्सव मनाया जा रहा था ।
जाशलुंबु मठ के विशाल मैदान में दूर निकट से आए लोग इक्टठे हुए हैं , वे पूजा नृत्य का आनंद उठाने आए हुए हैं , मठ के लामा नाना आकृति वाले मुखौटा पहने धुन और बिगुल के ताल पर थिरकते नाच कर रहे हैं , चारों ओर भीड़ लगी हुई है ।
50 वर्षीय छिरनत्यनजू अपनी पत्नी तथा आठ महीने की नन्ही पोती को लेकर नृत्य देखने आए, वह अभी हाल ही में शिकाजे की एक कोयला खान से रिटायर हुए है , धर्म में आस्था रखने वाला यह तिब्बती मजूदर रोज जाशलुंबु मठ का एक चक्कर लगाते हैं और मठ में अकसर पूजा करने आते हैं । अवकाश समय वह ल्हासा आदि शहर की यात्रा पर भी जाते हैं । आज के जीवन से संतुष्ट हो कर उन्हों ने हमें तिब्बती भाषा में बतायाः
"शिकाजे का जीवन बहुत अच्छा हुआ है , हर तरह की सुविधाएं मिलती है, पहले से हमारा आज का जीवन बहुत सुधर गया है , हां हां , बहुत उम्दा है । हम ल्हासा और कुंबु आदि की सैर सपाट के लिए भी गए हैं , हमारा जीवन जरूर और खुशहाल होगा ।"
शिकाजे अपनी अनुठी खूबसूरती से विदेशी पर्यटकों को आकृष्ट करता है । नीटरलैंड से आई सुश्री कोचे ने हमें बताया कि वर्ष 2000 में वह तिब्बत आई थी , चार साल बाद अब अपने बोय फ्रेंड के साथ दोबारा इस सुन्दर भूमि में आई , शिकाजे में वह पहली बार आयी है , पर वह इस के सौंदर्य से मनमुग्ध हो गई और एक नया अनुभव भी हुआ । वह कहती हैः
"यहां भारी परिवर्तन हुआ है , नई नई ऊंची इमारतें खड़ी की गई हैं , परिवर्तन जरूर बहुत ज्यादा है , पर हमारा अनुभव भी और बेहतर हुआ है ।"
जो भी विदेशी लोग शिकाजे में आए , वह जरूर यहां के प्राकृतिक सौंदर्य और अनुपम संस्कृति से आकृष्ट होते है और शिकाजे निवासियों के शिष्टाचार और सदिच्छा से प्रभावित हो जाते हैं ।
शिकाजे शहर लामा धर्म के प्रचूर सांस्कृतिक अवशेष सुरक्षित करने वाले साक्षा मठ से सिर्फ 150 किलोमीटर और विश्व की छत कहलाने वाली चुमुलांमा पर्वत चोटी से तीन सौ किलोमीटर दूर है । इसलिए वह चीनी व विदेशी पर्वतारोहियों का आधार शिविर बन गया है , शिकाजे तीर्थ पर्वत कैलास तथा मानसवर जाने का मुख्य रास्ता है , शिकाजे प्रिफेक्चर में वह मशहूर च्यांगची पहाड़ है , जिस पर तत्कालीन ब्रिटिस आक्रमणकारी सेना का मुकाबला करने वाले तिब्बती लोगों के अवशेष सुरक्षित है , प्रिफेक्चर में सामंती भूदास व्यवस्था का साक्ष्य अवशेष पोला उद्यान सुरक्षित है , शिकाजे में अनुठी शैली का तिब्बती आपेरा देखने को मिलता है , यह सब हमेशा लोगों को अपनी ओर बरबस खींच लेते हैं ।
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