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(GMT+08:00) 2005-01-10 10:35:51    
शिंग च्यांग उइगुर जाति का गायक रोज़आमूर्ति

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गीत--दूर रहती है एक लड़की

दूर रहती है एक लड़की

लोग गुजरते हैं उस के घर से

देखना चाहते हैं उसे

लाल सूरज की तरह

खूबसूरत उसका चेहरा

पवित्र चांदनी जैसी

उस की प्यारी आंखें

मैं रहना चाहता हूं

उस के साथ हमेशा

हर रोज़ देखना चाहता हूं

उस का हंसता चेहरा

यह पश्चिमी चीन के शिन च्यांग उइगुर स्वायत्त प्रदेश का एक प्रसिद्ध लोकगीत है। नाम है "दूर रहती है एक लड़की"। यह गीत आप हमारे चीनी गीत-संगीत कार्यक्रम में भी सुन चुके हैं। यह चीन के मशहूर संगीतकार स्वर्गीय वांग लो पिन की रचना है। उइगुर जाति के गायक रोज़आमूर्ति ने इस गीत को अपने नए एलबम का शीर्ष गीत बनाया है। आज के इस कार्यक्रम में मैं आप को परिचय दे रही हूं इसी उइगुर गायक का।

इस सर्दी में हम रोज़आमूर्ति के साथ बातचीत के लिए उन के घर पहुंचे। उन का घर उइगुर शैली का है। सुगंधित चाय पीते हुए उन के नए एलबम के लोकगीत सुनते हुए लगा कि हम पश्चिमी चीन के शिन च्यांग स्वायत्त प्रदेश में प्रवेश कर रहे हैं।

रोज़आमूर्ति ने बताया कि इधर के वर्षों में उन की एक ही आशा थी कि अपने गाए शिन च्यांग के लोकगीतों को इकट्ठा कर एक एलबम प्रकाशित करें। इस वर्ष के अक्तूबर माह में उन का "दूर रहती है एक लड़की"नामक यह एलबम लोगों के सामने आया, जिस में शिन च्यांग उइगुर स्वायत्त प्रदेश के 11 लोकगीत शामिल हैं। सभी गीत बहुत सुरीले और पश्चिमी चीन की विशेष जातीय शैली के हैं और सभी रोज़आमूर्ति को बहुत पसंद हैं।

44 वर्षीय रोज़आमूर्ति पेइचिंग के केंद्रीय जातीय नृत्य गान मंडल के सदस्य हैं। उन का जन्म शिन च्यांग की राजधानी ऊरूमुचि में हुआ। उन्हें बचपन से ही गाना-नाचना पसंद था । उन्होंने बताया

"हम उइगुर जाति के लोग गाने-नाचने के शौकीन है। हम त्योहार पर दोस्तों के साथ गाते-नाचते हैं। हम पार्टी में भी उइगुर जाति में प्रचलित लोकगीत गाते हैं ।ऐसे वातावरण में मुझमें अपने जातीय नाच-गान के प्रति गहरा प्यार और सम्पन्न पैदा हुआ।"

16 वर्ष की उम्र में रोज़आमूर्ति शिन च्यांग की राजधानी उरूमुचि के नृत्य-गान मंडल में दाखिल होकर नृत्य सीखने लगे। अवकाश के समय में वे गाने का अभ्यास करते। बाद की संगीत शिक्षा उन्होंने संगीत अध्यपिका फान अन जे से ली। सुश्री फान को रोज़आमूर्ति के गीत अच्छे लगे और रोज़आमूर्ति सुश्री फान के विद्यार्थी बन गए। प्रोफ़ैसर फान के मार्गदर्शन में वर्ष 1985 में रोज़आमूर्ति ने शांग हाई संगीत कॉलेज में प्रवेश किया।

वहां से स्नातक होने के बाद रोज़आमूर्ति अपने जन्मस्थान शिन च्यांग वापस लौटे और उरूमुचि नृत्य-गान मंडल में शामिल हुए। इस दौरान रोज़आमूर्ति ने चीन के सुप्रसिद्ध संगीतकार वांग लो पिन के साथ सहयोग किया। वांग लो पिन चीन के बहुत मशहूर जातीय संगीतकार रहे हैं। उन्होंने जीवन भर बड़ी संख्या में शिन च्यांग के लोकगीत रचे। वांग लो पिन कोई लोकगीत रचने पर पहले खुद रोज़आमूर्ति को उसका अर्थ समझाते थे, जिस से रोज़आमूर्ति को वांग लो पिन की रचनाओं की समझ हुई और उन्हें गाते समय उन्होंने गहरापन महसूस किया। रोज़आमूर्ति ने कहा

"शिन च्यांग के लोकगीतों की धुन तेज़ ही नहीं, जोशीली भी होती है।इन गीतों के बोल बहुत मज़ेदार ही नहीं होते, उन की शैली भी विविध होती है। इन गीतों को समझने में वांग लो पिन ने मुझे भारी मदद दी। मेरी आवाज़ में बहुत फैलाव है और मुझे गाते समय नाचना भी पसंद है। इस तरह कई वर्षों के प्रयासों से वास्तव में मेरी अपनी विशेष शैली विकसित होती गयी।"

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