तिब्बत का दूसरा बड़ा शहर शिकाजे तिब्बत के शिकाजे प्रिफेक्चर का राजनीतिक , आर्थिक और सांस्कृतिक केन्द्र है , वह विभिन्न पीढियों के पंचन लामा का निवास स्थान भी है , प्रिफेक्चर में हिमालय की चुमुलांमा चोटी , लामा धर्म के जाशलुनबु मठ तथा साक्षा मठ स्थित होने के कारण शिकाजे एक मशहूर पर्यटन शहर भी है। तो आइए , इस प्राकृतिक सौंदर्य और अनोखी तिब्बती रीति रिवाजों से परिपूर्ण स्थान का दौरा करने जाए ।
हान होंग का गीत--जन्म भूमि
यह है सुप्रसिद्ध तिब्बती गायिका हानहुङ की आवाज में प्रस्तुत जन्म भूमि नामक गीत । गीत में इस तिब्बती गायिका की जन्म भूमि शिकाजे के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन किया गया है और जन्म भूमि के प्रति प्रदेश में चले गए यात्रियों का गाढ़ा प्यार और अनुरोग अभिव्यक्त हुआ है ।
गीत का भावार्थ कुछ इस प्रकार है
मेरा जन्मस्थान है शिकाज़े
वहां एक सुन्दर नदी बहती है ।
नीले आसमान में सफ़ेद बादल
आकाश में उड़ता हुए उक़ाब
शक्ति का प्रतीक है जो वह
उस की आवाज़ में
एक कहानी सुनाई देती है
मेरे जन्मस्थान की सुन्दर छवि निखरी है
तिब्बती भाषा में शिकाजे का मतलब सुखद गांव है । इस शहर का अब तक छै सौ साल लम्बा इतिहास रहा है और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा के बाद तिब्बत का दूसरा बड़ा शहर है । समुद्र सतह से 4000 मीटर ऊंचे पठार पर आबाद शिकाजे विश्व का सब से ऊंचे स्थान पर बसा नगर है और एक पठारी पर्यटन शरह भी । विभिन्न पीढ़ियों के पंचन लामा का निवास स्थान होने के कारण वहां प्रचूर धार्मिक व सांस्कृतिक अवशेष उपलब्ध होते है और ठेठ शैली की तिब्बती रीति रिवाज देखने को मिलते हैं । इस प्राचीन शहर के मकान निर्माण परम्परागत तिब्बती व हान जातीय शैली में सुरक्षित हैं , वर्ष 1986 में शिकाजे चीनी राज्य परिषद द्वारा राष्ट्रीय स्तर के नामी एतिहासिक व सांस्कृतिक शहरों की सूची में शामिल किया गया।
तिब्बती लड़की द्वारा गाया गया गीत
तिब्बती लड़की यांचिनच्वमा की मधुर आवाज के साथ जब हम शिकाजे आए , तो हमारा वहां जोशीला स्वागत किया गया । शिकाजे के निवासी सीधे सादे , मिलनसार और मैहमाननवाज हैं , वे अपनी भूमि में आने वाले सभी लोगों का दिल खोल कर स्वागत सत्कार करते हैं । दूसरी जगह से आए मेहमानों के स्वागत में खुबसूरत तिब्बती युवतियां तिब्बती जौ से बना मदिरा का जाम पेश करती है और जाम के साथ सुलीली गीत प्रस्तुत करतू है।
हमें बताया गया है कि शिकाजे शहर के निर्माण के पीछे एक मनोहर कहानी प्रचलित है । कहा जाता है कि आठवीं शताब्दी के काल में तिब्बती राजा छिसङत्येजन के निमंत्रण पर भारतीय बौध धर्म के प्रसिद्ध आचार्य पदमा समभव तिब्बत में सांये मठ बनाने के लिए आए , जब वे शिकाजे आ पहुंचे , तो वे यहां धार्मिक उपदेश देने रूके । आचार्य पदमा ने बंगाल से तिब्बत में प्रवेश करते समय यह भविष्यवाणी की थी कि तिब्बत का पहला केन्द्र ल्हासा में होगा और इस का दूसरा केन्द्र न्यान्मै यानी आज का शिकाजे होगा । उन्ही के उपदेश का पालन करते हुए श्रद्धालू बौध अनुयायियों ने शिकाजे में खड़े निमा पर्वत पर बौध धर्म का प्रचार प्रसार शुरू किया , इसी से शिकाजे धीरे धीरे तिब्बत के शिकाजे क्षेत्र का केन्द्र बन गया । 15 वीं शताब्दी के मध्य में तिब्ब्ती बौध धर्म की गलुपा शाखा के संस्थापक जोंगबा के शिष्य प्रथम दलाई लामा कंतुन्जुबा ने निमा पर्वत की तलहटी में जाशलुनबु मठ का निर्माण करवाया , इस के विकास के साथ साथ शिकाजे ने आगे एक शहर का रूप भी ले लिया ।
शिकाजे में हमारी मुलाकात शिकाजे प्रिफेक्चर का उप उच्चायुक्त सुश्री छान्मुछ्यु से हुई , सुश्री छान्मुछ्युन शिकाजे की एक पुरानी निवासी हैं , शिकाजे की तमाम जानकारी उन के दिमाग में याद है । उन्हों ने हमें बताया कि शिकाजे छिंगहाई तिब्बत पठार के दक्षिण पश्चिम भाग में स्थित है , इस सीमावर्ती प्रिफेक्चर के तहत 18 जिले हैं , जिन में से नौ सीमावर्ती काऊंटी , जो नेपाल आदि देशों से लगे हुए हैं । इस क्षेत्र में देश की सीमा कुल एक हजार सात सौ 53 किलोमीटर लम्बी है , इसलिए इस का बड़ा भौगोलिक महत्व होता है । शिकाजे का निवासी होने पर सुश्री छान्मुछ्युन को बड़ा गर्व है , वह कहती हैः
"तिब्बत देश के दक्षिण पश्चिमी सीमावर्ती भाग में स्थित है , शिकाजे इस के एक प्रमुख द्वार की हैसियत रखता है , प्रिफेक्चर के 18 जिलों में से नौ सीमावर्ती वाले हैं , इसलिए शिकाजे तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में राजनीतिक , आर्थिक और अन्य क्षेत्रों में अहम महत्व रखता है । शिकाजे का प्रमुख उद्योग कृषि और पशुपालन होता है । यहां का कृषि उत्पादन तिब्ब्त का 40 प्रतिशत बनता है और तिजारती अनाज का उत्पादन प्रदेश का 60 प्रतिशत । जबकि यहां का पशुपालन नाछ्यु प्रिफेक्चर के बाद प्रदेश के दूसरे स्थान पर रहा है ।"
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