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(GMT+08:00) 2004-12-31 08:50:48    
चीन ऊर्जा-स्रोतों के पुनःप्रयोग व विकास करने के लिए कानून बनाएगा

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ऊर्जा-स्रोतों की निरंतर व स्थिर आपूर्ति की गारंटी करने, वर्तमान ऊर्जा-स्रोत संरचना को सुधारने, ऊर्जा-स्रोत की सुरक्षा की गारंटी करने ऊर्जा-स्रोत के प्रयोग से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम करने व सतत आर्थिक व सामाजिक विकास के लिए चीन कानून बना कर पुनः प्रयोग में आने वाले उर्जा-स्रोतों के विकास को बढ़ावा देगा। इससमय आयोजित चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा की स्थाई कमेटी के सम्मेलन में पुनः प्रयोग में आने वाले ऊर्जा-स्रोतों के बारे में कानून का मसौदा पहली बार चीनी कानून संस्था के सामने विचारार्थ पेश किया गया है।

पुनः प्रयोग में आने वाले ऊर्जा स्रोत प्रकृति में निरंतर पुनः उत्पादित व प्रयुक्त ऊर्जा-स्रोतों से संबंधित हैं। ये पवन ऊर्जा, सौर-ऊर्जा, जल-ऊर्जा, सागरीय ऊर्जा, व जैव ऊर्जा आदि हैं। पुनः प्रयोग में आने वाले ऊर्जा स्रोतों से पर्यावरण को नुकसान न होने और इन के भारी विकास की संभावना के कारण वर्तमान स्थिति में पुनः प्रयोग में आने वाले ऊर्जा-स्रोतों का विकास चीन में ऊर्जा-स्रोत की सुरक्षा और पर्यावरण की रक्षा के लिये वास्तविक रूप में आवश्यक हो गया है ।इस कारण एक कानून बना कर पुनः प्रयोग में आने वाले ऊर्जा स्रोतों के प्रयोग को बढ़ावा देना निहायत ज़रुरी है। चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा की पर्यावरण व संसाधन रक्षा समिति के अध्यक्ष माओ रु-पाई ने चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा की स्थाई कमेटी की एक बैठक में कहा कि देश के आर्थिक पैमाने के निरंतर विस्तार के साथ ऊर्जा-स्रोतों के अभाव व ऊर्जा-स्रोतों की संरचना के असंतुलित होने व पर्यावरण का गंभीर प्रदूषण होने से चीन के लिए पुनः प्रयोग में आने वाले ऊर्जा-स्रोतों के भारी विकास की आवश्यकता है। चीन में पुनः प्रयोग में आने वाले ऊर्जा-स्रोतों के व्यापारिक विकास के लिए सरकार को पुनः प्रयोग में आने वाले ऊर्जा-स्रोतों के विकास की परियोजना बनानी चाहिये । कानून के अनुसार पुनः प्रयोग में आने वाले ऊर्जा-स्रोतों के विकास व प्रयोग के अधिकार व कर्तव्य स्पष्ट करना चाहिए तथा पुनः प्रयोग में आने वाले ऊर्जा स्रोतों के विकास की लाभदायक आर्थिक नीति तय करनी चाहिये, ताकि पुनः प्रयोग में आने वाले ऊर्जा स्रोतों के विकास व प्रयोग करने वालों का विश्वास बढ़ाया जा सके। इस तरह कानून बना कर पुनः प्रयोग में आने वाले ऊर्जा स्रोतों के विकास व प्रयोग को बढ़ावा देना न सिर्फ़ आवश्यक है बल्कि व्यावहारिक भी है।

वर्तमान में चीन के कुछ ग्रामीण व दूरदराज क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति का अभाव है । पुनः प्रयोग में आने वाले ऊर्जा स्रोतों का विकास व प्रयोग इस सवाल के समाधान का एक कारगर उपाय है। अनुमान है कि आने वाले 20 से 30 वर्षों के भीतर चीन में पुनः प्रयोग में आने वाले ऊर्जा-स्रोतों की प्रति वर्ष की मात्रा 80 करोड़ टन मापदंड-कोयले के बराबर होगी। इन ऊर्जा-स्रोतों का प्रयोग निश्चय ही चीन के आर्थिक व सामाजिक विकास में भारी भूमिका अदा करेगा। इस बार विचारार्थ पेश किये जाने वाले कानून के मसौदे के मुख्य विषयों में से एक पुनः प्रयोग में आने वाले ऊर्जा स्रोतों के कुल मात्रा का लक्ष्य व विकास की परियोजना बनाना है । श्री माओ ने कहा कि अन्य देशों के संबंधित कानूनों व चीन के पूर्व के अनुभवों से यह कार्य अंजाम दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि ऊर्जा-स्रोत के उत्पादन व इस को उपभोग में पुनः प्रयोग में आने वाले ऊर्जा स्रोतों की कुल मात्रा का लक्ष्य तय करना पुनः प्रयोग में आने वाले ऊर्जा स्रोतों के विकास व प्रयोग को बढ़ावा देने और इन ऊर्जा स्रोतों के बाज़ार के विकास के लिए एक कारगर कदम होगा। इस लक्ष्य के अनुसार संबंधित परियोजना बनाना चीन में संसाधनों के प्रबंध की एक प्रचलित कार्यवाही है।

इस के अलावा वर्तमान चीन में पुनः प्रयोग में आने वाले ऊर्जा स्रोतों के यथाशीघ्र विकास के लिए मसौदे ने वित्तीय प्रोत्साहन के कुछ कदम स्पष्ट किये हैं। इसमें विशेष कोष स्थापित करना ,कर्ज़ के ब्याज तथा कर में रियायत देना आदि शामिल हैं। मसौदे ने यह भी स्पष्ट किया है कि बिजली जालों को पुनः प्रयोग में आने वाले ऊर्जा स्रोतों से बिजली के उत्पादन को सुविधा देनी चाहिये और पुनः प्रयोग में आने वाले मानक ऊर्जा स्रोतों को खरीदना चाहिये ।

श्री माओ ने कहा कि वर्तमान में पुनः प्रयोग में आने वाले ऊर्जा स्रोतों के विकास व प्रयोग की ऊंची लागत को ध्यान में रखते हुए तकनीकों के विकास में तेज़ी लाने और उनका बाज़ार विकसित करने के लिए सरकार को आवश्यक समर्थन देना चाहिये।