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(GMT+08:00) 2004-12-30 20:43:53    
श्वे शिन छुन बस्ती की कहानी

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चीन के तिब्बत स्वायत प्रदेश के मशहूर पोताला महल के पीछे श्वेई शींग छ्वन नामक एक बस्ती स्थित है। उस का वातावरण बहुत सुन्दर औऱ सुनहरा है और वहां का हर एक व्यक्ति बड़ी खुशी से जीवन बिता रहा है। इस बस्ती के निर्माण की बात उठने पर रहने वाले मुहल्ला कमेटी के प्रभारी ल्वो सांग ने नहीं भूल पाते हैं।

ल्वो सांग ने बताया कि इस बस्ती का क्षेत्रफल 98 हजार वर्गमीटर से हैं, जिस में 700 से ज्यादा परिवार और लगभग 2000 लोग रहते हैं। पोताला महल चौक भी इस बस्ती की मुहल्ला कमेटी के प्रबंध में आता है।

श्वेई शींग छ्वन बस्ती का पुराना नाम श्वेई बस्ती है। पहले वह पोताला महल के नीचे स्थित थी, यानी अब के पोताला महल चौक पर। पिछले शताब्दी के 90 दशक के मध्य में, पोताला महल का जोर्णोद्धार शुरु हुआ, तो श्वेई बस्ती के सभी नागरिकों को महल के पीछे स्थानांतरित कर दिया गया , इस बस्ती का नाम बदलकर श्वेई शींग छ्वन रख दिया गया।

पर बस्ती का स्थानांतरण कोई आसान काम नहीं था। जाहिर है कि पीढ़ियों से वहां बसे लोग अपने पूरान स्थान से नहीं हटना चाहते थे। इसलिए, जब उन को ल्हासा की स्थानीय सरकार द्वारा इस स्थानांतरण की सूचना मिली, तो उन में से अनेक नागरिक अत्यन्त अप्रसन्न हो उठे थे। मुहल्ला कमेटी के प्रभारी ल्वो सांग ने स्थानांतरण के लिए अनेक काम किये। उन्होंने वहां के नागरिकों को पूरे धैर्य से समझाया बुझाया और बताया कि पोताला महल के जोर्णोद्धार का लक्ष्य पोताला महल की और अच्छी तरह रक्षा करना औऱ जातीय परम्परागत संस्कृति का प्रचार-प्रसार करना है।

श्री ल्वो सांग न केवल उन्हें स्थानातंरण का कारण समझाने में सफल रहे, बल्कि सच्चे माइने में उन की देख भाल भी की। उन्होंने संबंधित विभागों को उन की कठिनाइयां बतायी ,जिस से सरकार ने नागरिकों को स्थानांतरण के लिए विशेष धनराशि भी दी। इतना ही नहीं, बस्ती के नागरिकों को नये मकान देने के लिए भी उदार नीति अपनाई गयी। इस से पूरी बस्ती का स्थानांतरण सुचारु रुप से शुरु हुआ, औऱ जल्द ही समाप्त भी हो गया। पोताला महल का जोर्णोद्धार भी समय पर शुरु किया जा सका। इस के बाद पोताला महल और महान दिखने लगा।

नयी बस्ती के स्थानांतरित होने के बाद स्थानीय पर्यावरण को सुन्दर बनाने के लिए श्री ल्वो सांग ने वहां के नागरिकों का नेतृत्व कर जगह जगह पेड़ों, फूलों एवं घास उगायी।इस लिए आब इस बस्ती हरियाली से भरी हुई है और हर एक घर के खिड़कियों पर रंग बिरंगे फूल खिलते नजर आते हैं।

श्री ल्वो सांग ने हर कहीं से चंदा इक्कट्ठा कर नागरिकों की बेरोजगारी की समस्या का हल करने की भी कोशिश की। हाल के वर्षों में उन्होंने कपड़ा कारखाना, वास्तु सामग्री कंपनी और सेवा कंपनी आदि तरह तरह के कारोबार समूहों और क्षेत्रीय कारोबारों का संचालन किया। इन क्षेत्रीय कारोबारों की कुल अचल पूंजी इस समय 1 करोड़ 30 लाख य्वान है औऱ 500 स्थानीय नागरिकों को इन काबोरारों में

काम करने का मौका मिला है।

मुहल्ला कमेटी ने कारोबारों की आय के एक भाग का प्रयोग बस्ती निर्माण पर किया। इस से अब बस्ती में अस्पताल, किन्डरगार्टन, स्कूल आदि सेवा संस्थापन मौजूद हैं। इतना ही नहीं बस्ती की सफाई का कम भी यहां के सफाई दल द्वारा किया जाता है। बस्ती की सुरक्षा स्थिति अत्यन्त अच्छी है। और नागरिकों को कोई चिंता न करने की आवश्यक्ता नहीं है।

बस्ती के इस बड़े परिवर्तन पर श्री ल्वो सांग ने भावुक होकर कहा, तिब्बत में लोकतांत्रिक सुधार लागू होने से पहले, यहां के नागरिक आम तौर पर पोताला महल की सेवा करने वाले नौकर ही थे। उन्हें कोई स्वतंत्रता नहीं थी । पर अब चालीस वर्षों के विकास के बाद तिब्बती जनता के जीवन स्तर में बड़ी प्रगति हुई है। इस बस्ती को ही लेकर कहें , तो यहां के नागरिकों की औसत वार्षिक आय 3600 य्वान तक जा पहुंची है। टेलिफोन के अलावा, अनेक लोगों के पास मोबाइल फोन भी हैं। 95 प्रतिशत घरों में टेलिविजन हैं, और कुछ लोगों के पास कारें भी होते हैं।

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