चीन को विश्व व्यापार संगठन की सदस्यता प्राप्त किये तीन साल हो चुके हैं। तीन साल पहले लोग चिन्तित थे कि चीन की विश्व व्यापार संगठन में भागीदारी उस के चिकित्सा कार्य व दवा उद्योग के विकास पर कुप्रभाव डालेगी। चीन ने इस संगठन में शामिल होने से पहले वचन दिया था कि वह आयातित दवाओं पर चुंगी दर कम करेगा औऱ विदेशों के लिए अपने थोच और खुदरा दवा बाजार खोल देगा, इस से चीनी कारोबारों पर कुछ न कुछ प्रभाव पड़ने की चिंता जताई गई। इन तीन सालों में चीन सरकार ने विश्व व्यापार संगठन में भाग लेते समय इस संगठन को दिये गये वचनों का पालन किया। चीन का चिकित्सा क्षेत्र व दवा कारोबार विदेशों के लिए दिन ब दिन खुल रहे हैं। चीन के विश्व व्यापार संगठन में भाग लेते समय कुछ लोगों को चिन्ता थी कि इसके बाद बड़ी मात्रा में विदेशी दवाओं का चीनी बाजार में प्रवेश हो जाएगा और इससे चीनी दवा कारोबारों के विकास पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।लेकिन वास्तव में चीन के विश्व व्यापार संगठन में शामिल होने के बाद चीनी चिकित्सा व दवा उद्योग पर बहुत गंभीर प्रभाव नहीं पड़ा। इस के विपरीत चीन के दवा उद्योग का पहले से और अधिक तेज़ विकास हुआ। पिछले तीन सालों की वार्षिक वृद्धि दर दस प्रतिशत बनी रही। चीनी चिकित्सा व दवा कारोबार सोसाइटी के उप प्रधान श्री जू छांग हाउ ने इस की चर्चा में कहा कि विश्व व्यापार संगठन में शामिल होने से पहले भी चीन द्वारा विदेशी दवाओं पर लागू चुंगी बहुत निम्न थी। इसलिए विश्व व्यापार संगठन की सदस्यता पाने के बाद चीन के दवा कारोबारों पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा । चीन में निर्मित दवाओं से चीनी बाजार की जरूरत पूरी की जा रही है, इसलिए चीनी बाजार में विदेशी दवाओं के लिए उतनी गुंजाइश नहीं है। श्री जू ने कहा कि चीन के चिकित्सा व दवा कारोबारों का दरवाजा विदेशों के लिए बहुत पहले खोल दिया गया था । चीन के विश्व व्यापार संगठन में भाग लेने से पहले कोई बीस मशहूर विदेशी कारोबार चीन में संयुक्त पूंजी वाले कारोबार स्थापित कर चुके थे। इन कारोबारों ने अपने उत्पादों की चीन में बिक्री भी शुरू कर दी है। आज बहुराष्ट्रीय कारोबारों के पास चीन के दवा बाजार का चालीस प्रतिशत भाग है। इस का दूसरा परिणाम यह हुआ है कि चीनी बाजार में विदेशों से आयातित दवाओं का आंकड़ा साल दर साल कम होता जा रहा है। इस बीच चीनी कारोबारों ने विदेशों से बहुत से प्रबंध अनुभव सीखे हैं। श्री जू के अनुसार अनेक चीनी कारोबारों ने अपने कार्यकर्ताओं को प्रबंध उपाय सीखने के लिए विदेश भेजा । प्रबंधन के विदेशी अनुभवों व उपायों के चीन में प्रवेश से चीनी कारोबारों का सुधार हुआ। इस तरह चीनी दवा कारोबारों का प्रबंध स्तर उन्नत होने के साथ उन की प्रतिस्पर्द्धा शक्ति भी बढ़ी। वर्ष 2004 के अंत तक चीन के सभी चिकित्सा व दवा कारोबार विदेशों के लिए खोल दिये गये। पर इस से चीन के चिकित्सा व दवा कारोबार को कोई खतरा नहीं है, क्योंकि चीनी बाजारों के खुलने के साथ विदेशी बाजार भी चीन निर्मित दवाओं के लिए खुले हैं। विश्व व्यापार संगठन में शामिल होने से पहले चीन निर्मित दवाओं खासकर चीन की परंपरागत जड़ी-बूटियों के निर्यात में बहुत बाधाएं आती रहीं। चीन के विश्व व्यापार संगठन में भाग लेने के बाद संगठन के अन्दर विभिन्न सदस्यों के बीच खड़ी चुंगी दीवार ढहा दी जाएगी , जिससे चीन निर्मित दवाओं को निर्यात का नया मौका मिला है। इधर के सालों में चीनी चिकित्सा व दवा प्रबंध विभागों ने चीन निर्मित दवाओं की गुणवत्ता, सुरक्षा तथा कारगरता को उन्नत करने के भारी प्रयास किये और चीन की चिकित्सा सेवा व दवाओं की प्रतिस्पर्द्धा शक्ति को उन्नत करने में भारी प्रगति प्राप्त की। चीनी राजकीय चिकित्सा व दवा प्रबंध ब्यूरो के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग विभाग के प्रधान श्री शेन चीश्यांग के अनुसार चीन ने कुल सात दवा परीक्षण प्रबंध केंद्र बनाये हैं। आज चीन की सभी दवाओं का परीक्षण अंतर्राष्ट्रीय मापदंड के मुताबिक किया जा रहा है। इस तरह चीनी दवाओं का अंतर्राष्ट्रीय बाजार में स्वागत हुआ है। श्री शेन के अनुसार वर्ष 2004 के पहले दस महीनों में चीन निर्मित दवाओं का निर्यात पिछले साल की तुलना में बीस प्रतिशत अधिक रहा। इधर चीन में 130 परंपरागत चिकित्सा व दवा अनुसंधान केंद्र भी स्थापित किये गये और परंपरागत दवाओं के नियमन का काम भी जारी है। चीन ने विदेशी चिकित्सा व दवा संस्थाओं के साथ आदान-प्रदान व सहयोग पर विशेष जोर दिया है। अब तक चीन ने विदेशों में दस हजार परंपरागत चिकित्सा केंद्रों वाला एक अंतर्राष्ट्रीय परंपरागत चीनी चिकित्सा सेवा जाल स्थापित किया है। पता चला है कि चीन, परंपरागत चिकित्सा व दवा उद्योग के आधुनिकीकरण का निरंतर प्रयास करेगा , ताकि विदेशों में इस सेवा का प्रसार कर सके। चीन के विश्व व्यापार संगठन में शामिल होने से विदेशी रोगियों को चीन में उपचार की सेवा प्राप्त करने का लाभ मिला है। अब विदेशी रोगियों को चीन में चीनी नागरिकों की सी चिकित्सा सेवा प्रदान की जा रही है। चीनी अस्पतालों का खर्च विदेशी अस्पतालों की तुलना में बहुत कम है, इसलिए भी अधिकाधिक विदेशी चीन में उपचार लेने आ रहे हैं। चीनी राजधानी पेइचिंग के ह्वासिन अस्पताल के उप प्रधान श्री चांग जूंगमीग के अनुसार कुछ समय पूर्व हृदयरोग से ग्रस्त एक रोगी ने कनाडा से पेइचिंग आकर इस अस्पताल में अपना उपचार करवाया। उन्होंने उपचार पर चीनी रोगियों की ही तरह काफी कम पैसे खर्च किये। यह खर्च कनाडा की तुलना में बहुत कम रहा। प्रोफेसर चांग ने बताया कि चीनी अस्पताल अधिक विदेशी रोगियों के स्वागत के लिए अपने उपकरणों का पुनर्निर्माण कर रहे हैं, ताकि चीन के विश्व व्यापार संगठन में भाग लेने के बाद की नयी स्थितियों का मुकाबला कर सकें।
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